दो दशक पहले केन्द्र में थे एक हजार से ज्यादा बच्चे : अब रह गए केवल 300 ही, बजट की वजह से बिगड़ी कथक की ताल घट रहे है केन्द्र में कथक के स्टूडेंट्स

20 पद स्वीकृत, वर्तमान में केवल दो कर्मचारी नियमित 

दो दशक पहले केन्द्र में थे एक हजार से ज्यादा बच्चे : अब रह गए केवल 300 ही, बजट की वजह से बिगड़ी कथक की ताल घट रहे है केन्द्र में कथक के स्टूडेंट्स

जयपुर कथक केंद्र को लाइब्रेरी, सीसीटीवी कैमरा, स्मार्ट क्लास और नियमित फैकल्टी की आवश्यकता

जयपुर। गुलाबी नगर के कथक कलाकारों ने न केवल देशभर में बल्कि विदेशी सरजमीं पर भी ताल से ताल मिलाकर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया हैं। राज्य सरकार की ओर से शहर में 1978 में जयपुर कथक केन्द्र की स्थापना की गई थी। जिसका उद्देश्य स्टूडेंट्स को जयपुर घराने की कथक नृत्य शैली का प्रशिक्षण देकर उच्च स्तरीय मंच पर प्रदर्शन करने के लिए तैयार करना रहा है। लेकिन इन दिनों कथक केन्द्र में चल रही अव्यवस्थाओं से स्टूडेंट्स को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 

बच्चों को बैठने की जगह नहीं मिलती थी
जानकारी के अनुसार 20 साल पहले इस केन्द्र में एक हजार से अधिक बच्चें कथक सीखने आते थे। इस दौरान बाहर तक बच्चों को बैठने की जगह नहीं मिलती थी, लेकिन अब केवल 300 स्टूडेंट्स रह गए हैं।

बजट में मिले एक करोड़
जानकारी के मुताबिक पिछली सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कथक केंद्र के विकास के लिए बजट में एक करोड़ रुपए की घोषणा की थी। घोषणा होने के बाद यह राशि फाइल से बाहर निकली। सरकार ने एक करोड़ रुपए मिले, लेकिन ये पैसे कर्मचारी और अन्य जरूरतमंद चीजों के उपयोग में काम आ गई। ऐसे में कथक केंद्र को जीर्णोद्धार, रंग रोगन, नए साज और उपकरण, लाइब्रेरी, सीसीटीवी कैमरा और स्मार्ट क्लास, नियमित फैकल्टी की आवश्यकता है। 

दो कर्मचारी नियमित
केन्द्र में आचार्य (1), नृत्य गुरु (1) सहायक नृत्य गुरु (2), नगमा वादक, तबला वादक, सारंगी वादक और सहायक कर्मचारी (3-3) समेत करीब 20 नियमित पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में यहां दो कर्मचारी नियमित है। अन्य कर्मचारी एजेंसी के जरिए यहां कार्यरत है। सचिव और आचार्य के पद रोलअप पर है। वर्तमान में जयपुर कथक केन्द्र में करीब 300 स्टूडेंट्स आ रहे हैं। जिनको कथक की बारीकियां सिखाने के लिए सिर्फ  तीन फैकल्टी मौजूद रहती है।

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एक करोड़ का बजट मिला था, जो कि कर्मचारियों की सैलरी सहित अन्य जरूरी चीजों में काम किया गया। केन्द्र के जीर्णोद्धार के लिए अभी 50 लाख रुपए की डिमांड की है। केन्द्र को जेकेके की तर्ज पर बजट मिले तब इसकी हालात सही हो सकेगी। इसके लिए वर्कशॉप, विभिन्न एक्टिविटीज के लिए अलग से बजट मिलना चाहिए। मेरे समय में इस केन्द्र में एक हजार के करीब बच्चे कथक सीखने आते थे। कथक केंद्र को जीर्णोद्धार, रंग रोगन, नए साज और उपकरण, लाइब्रेरी, सीसीटीवी कैमरा और स्मार्ट क्लास, नियमित फैकल्टी के लिए बजट चाहिए।
-श्रुति शर्मा (कथक केन्द्र की सचिव)

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कथक केन्द्र की दयनीय स्थिति की वजह से कथक में अपना करियर बनाने वाले नए कलाकारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिम्मेदारों को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए। इसके कारण नए उभरते हुए कलाकारों की संख्या में रुकावट आगई है।
-मनुहार जोशी (कथक नृत्यांगना)

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