राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम के तहत आचरण जांच और अधिभार प्रक्रिया तय, दोषी से ब्याज सहित होगी वसूली
जांच में दोषी व्यक्ति को स्पष्टीकरण का अवसर प्रदान किया जाता है
राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 57 और सहकारी सोसाइटी नियम, 2003 के नियम 76 के तहत आचरण की जांच और अधिभार निर्धारण की प्रक्रिया को सुदृढ़ और सुलभ बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं
जयपुर। राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 57 और सहकारी सोसाइटी नियम, 2003 के नियम 76 के तहत आचरण की जांच और अधिभार निर्धारण की प्रक्रिया को सुदृढ़ और सुलभ बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सहकारिता विभाग के अनुसार धारा 57 के अनुसार, यदि लेखापरीक्षा, जांच, निरीक्षण, या समापक की रिपोर्ट में किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा सोसाइटी के धन या संपत्ति का दुरुपयोग पाया जाता है, तो रजिस्ट्रार स्वयं या किसी प्राधिकृत व्यक्ति के माध्यम से जांच कर सकता है। जांच में दोषी व्यक्ति को स्पष्टीकरण का अवसर प्रदान किया जाता है।
रजिस्ट्रार दोषी को संपत्ति या धन की वसूली के लिए ब्याज सहित प्रतिसंदाय का आदेश दे सकते हैं। यह जांच किसी घटना के छह वर्षों के भीतर या रजिस्ट्रार को जानकारी मिलने के दो वर्षों के भीतर की जानी चाहिए। नियम 76 के तहत, रिपोर्ट के आधार पर रजिस्ट्रार दुरुपयोग की सीमा और वसूली की प्रक्रिया तय करते हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य सहकारी सोसाइटियों में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन बनाए रखना है।
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