निकायों के निर्माण कार्यों में एम-सैंड का उपयोग अनिवार्य, प्रोजेक्ट्स में न्यूनतम 25 प्रतिशत एम-सैंड लेंगे काम

निकायों के निर्माण कार्यों में एम-सैंड का उपयोग अनिवार्य, प्रोजेक्ट्स में न्यूनतम 25 प्रतिशत एम-सैंड लेंगे काम

नगरीय विकास एवं आवासन विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें निर्माण कार्यों में खनिज बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए गए हैं।

जयपुर। नगरीय विकास एवं आवासन विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें निर्माण कार्यों में खनिज बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए गए हैं। राज्य सरकार की एम-सैंड नीति-2020, जो 25 जनवरी 2021 से प्रभावी हुई थी, के तहत एम-सैंड के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह आदेश जारी किया गया है।

विभाग ने स्पष्ट किया है कि निर्माण कार्यों में प्रयुक्त खनिज बजरी की मात्रा में न्यूनतम 25 प्रतिशत एम-सैंड का उपयोग अनिवार्य होगा। यह निर्णय खनिज एवं पेट्रोलियम विभाग की सिफारिशों पर आधारित है और इसका उद्देश्य निर्माण उद्योग में पर्यावरण के अनुकूल और सस्ती सामग्री का उपयोग बढ़ाना है। इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।एम-सैंड, जो कि निर्मित रेत है, खनिज बजरी का एक किफायती और टिकाऊ विकल्प है। इसके उपयोग से न केवल प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होगा, बल्कि यह निर्माण की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से राज्य में निर्माण की लागत में भी कमी आएगी और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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