नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्कः जीनपूल में बदलाव के लिए 17 साल बाद मैसूर चिड़ियाघर से लाए जाएंगे भेड़िए
2008-09 में गुजरात के चिड़ियाघर से मादा भेड़िया लाए थे जयपुर जू
दैनिक नवज्योति की खबर पर लगी मुहर , अप्रैल, 2024 में इन्हें जल्द लिए जाने की खबर की थी प्रकाशित
जयपुर। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क आने पर पर्यटकों में सबसे ज्यादा कैट फैमिली के वन्यजीवों को देखने का क्रेज देखा जाता है। वहीं वन्यजीव एक्सचेंज कार्यक्रम के लिए गोल्ड कहे जाने वाले भेड़ियों की संख्या (मेल और फिमेल मिलाकर) करीब 10 बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार साल 2008-09 में गुजरात के चिड़ियाघर (कैप्टिविटी) से एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत मादा भेड़िया लाई गई थी। जिससे इनके जीनपूल में बदलाव हुआ। अब करीब 17 साल बाद फिर दूसरे जू (कैप्टिविटी) से भेड़िए लाए जा रहे हैं । इसके लिए नाहरगढ बायोलॉजिकल पार्क के वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ अरविंद माथुर के नेतृत्व में शुक्रवार सुबह टीम कर्नाटक के मैसूर स्थित चामरेंद्र जूलोजिकल पार्क के लिए रवाना हुई। डीसीएफ़ विजयपाल सिंह ने ये जानकारी दी। गौरतलब है कि साल 2012 में वन क्षेत्र (वाइल्ड) से भी एक घायल नर भेड़िया को रेस्क्यू कर लाया गया था। जिसके स्वस्थ होने पर सेंट्रल जू ऑफ अथॉरिटी (सीजेडए) से अनुमति मिलने के बाद पर्यटकों के अवलोकनार्थ जू में डिस्प्ले में रखा गया था।
सेंट्रल जू ऑफ अथॉरिटी से मिल मंजूरी के बाद हुए रवाना
वन विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार भेड़िए एक्सचेंज कार्यक्रम के लिए दिल्ली स्थित सेंट्रल जू ऑफ अथॉरिटी (सीजेडए) को प्रपोजल बनाकर भेजा गया था। वहां से अनुमति मिलने के बाद जयपुर से वन विभाग की टीम इन्हें लेने के लिए मैसूर रवाना हो गई है। ऐसे में वहां से एक मादा और एक नर भेड़िया नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया जाएगा। वहीं एक नर और एक मादा भेड़िया मैसूर चिड़ियाघर को दिया जाएगा। ताकि दोनों जगह इनका जीनपूल चेंज किया जा सके।
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