इको और टीएमटी संचालन के लिए नही फैकल्टी
मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में शुरू नही हो सकी सेवाएं, मरीज परेशान, करना पड़ रहा इंतजार, एक माह पहले की थी स्थापित
मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में टीएमटी और इको मशीन स्थापित कर दी है, लेकिन इसका लाभ मरीजों को नही मिल सका है। क्योंकि, इनके संचालन के लिए तकनीकी स्टाफ नही है।
कोटा। मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में टीएमटी और इको मशीन स्थापित कर दी है, लेकिन इसका लाभ मरीजों को नही मिल सका है। क्योंकि, इनके संचालन के लिए तकनीकी स्टाफ नही है। ऐसे में एक माह बाद भी दोनों मशीनें ताले में कैद है। एक समय इनको स्थापित करने से ऐसा लगा था कि दिल के मरीजों का उपचार आसान हो जाएगा। कार्डियालोजी में जाने से पूर्व प्रारंभिक उपचार होगा, लेकिन ऐसा हुआ नही। मशीनें जरूर लगी लेकिन, मरीजों के लिए शुरू नही हुई है। यही वजह है कि मरीजों को अभी बाहर से इको और टीएमटी करवानी पड़ रही है। हालांकि कार्डियालोजी में ऐसी सुविधाएं है। लेकिन कम लोग ही वहां जाते है। वहां पर 90 फीसदी से अधिक कार्डियालोजी से भेजे गए मरीजों को ऐसी सुविधा मिलती है। ऐसे में मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
तकनीकी विशेषज्ञों की होती है जरूरत
जानकारों का कहना है कि मशीन के संचालन में तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत होती है, लेकिन मेडिसिन विभाग के पास एक भी नही है। इसके लिए लेक्चरर्स को ट्रेनिंग देने की बात कही जा रही है। इसके लिए मेडिसिन विभाग से फैकल्टी का चयन किया जाएगी। ट्रेनिंग उपरांत नियुक्ति दी जाएगी। उधर टेक्निकल डिप्लोमा धारक यूटीबी के तहत भर्ती करने की मांग रहे है। इसके लिए उन्होंने प्रिंसिपल को ज्ञापन भी दिया था। लेकिनए ऐसा नही हो सका है। बेरोजगारों का कहना है कि बड़ी संख्या में डिप्लोमा धारक मौजूद है। इसके बावजूद उनको ट्रेंड नही किया जा रहा है।
सीएमएचओ करेगे पंजीयन
स्टाफ के साथ पंजीयन की जरूरत भी पड़ती है। इसके लिए मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी के पास आवेदन के लिए भेजा गया है, लेकिन पंजीयन नही हो सका है। हालांकि, एकाध दिन में पंजीयन होने की बात कही जा रही है। जल्द पंजीयन हो सकता है। इसके बाद शुरू होगी।
इनका कहना है।
अभी संचालन के लिए स्टाफ नही है। साथ ही इनका पंजीयन नही हुआ है। ऐसे में शुरू नही हो सकी है। -डॉ. एस जैलिया, प्रभारी, टीएमटी और इको मशीन
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