अहमदाबाद ब्लास्ट के दोषियों में तीन कोटा के भी, मेडिकल स्टोर और नाश्ते की दुकान चलाते-चलाते बन गए आतंकी, मरते दम तक जेल में रहेंगे

अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट मामले के दोषियों को शुक्रवार को सजा सुनाई गई।

अहमदाबाद ब्लास्ट के दोषियों में तीन कोटा के भी,  मेडिकल स्टोर और नाश्ते की दुकान चलाते-चलाते बन गए आतंकी, मरते दम तक जेल में रहेंगे

38 दोषियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। इनमें कोटा के तीन युवक भी शामिल थे। इन्हें उम्र कैद की सजा मिली है।

कोटा। अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट मामले के दोषियों को शुक्रवार को सजा सुनाई गई। 38 दोषियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। इनमें कोटा के तीन युवक भी शामिल थे। इन्हें उम्र कैद की सजा मिली है।

दरअसल, साल 2008 में हुए ब्लास्ट के तार कोटा से भी जुड़े थे। शहर के आम लोगों के बीच रह रहे ये तीन आतंकी थे इमरान, अतीकुर रहमान और मेहंदी हसन अंसारी। अदालत ने तीनों को आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है।जानकारी मे पता चला कि इन आरोपियों में एक कोटा के किशोरपुरा इलाके का रहने वाला, दूसरा घंटाघर इलाके का तथा तीसरा नांता का रहने वाला है। जब उनके परिवार से बात करनी चाही तो कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ। सभी इस मामले से दूर रहना चाहते हैं।

सूत्रों के मुताबिक इमरान पकड़े जाने से पहले पाटनपोल में मेडिकल स्टोर चलाता था। इस दौरान ही वो सिमी से संपर्क में आया। उसके परिवार में मां-पिता और भाई है। पिता सरकारी नौकरी में थे। जयपुर ब्लास्ट के तार भी इमरान से जुड़े थे। दरअसल, जयपुर में पकड़े गए एक आतंकी से इमरान का इनपुट मिला था। इसके बाद किशोरपुरा से उसे पकड़ा था।

अंसारी अस्पताल के सामने लगाता था दुकान
दूसरा आतंकी मेहंदी हसन अंसारी नयापुरा में जेके लोन अस्पताल के सामने नाश्ते की दुकान लगाता था। सिमी के संपर्क में कैसे आया, इसका जवाब उसके परिवार के पास भी नहीं था। परिजनों ने बताया कि पुलिस ने सिमी से लिंक के चलते पकड़ा था। बाद में ब्लास्ट केस में इन्वॉल्वमेंट निकला। वहीं, अतीकुर रहमान को नांता इलाके से पकड़ा गया था।


कोटा में पहले भी पकड़े जा चुके हैं आतंकी
यह पहली बार नहीं था कि कोटा से आतंकी पकड़े गए। सिमी संगठन से लिंक के कई मामले सामने आ चुके हैं। अगस्त 2008 में कोटा से तीन, बारां से 3 लोगों को पकड़ा गया। इनमें पिता-पुत्र भी शामिल थे। इशाक और उसके बेटे सलीम सहित इन तीनों पर जयपुर धमाकों के आरोपी सलीम को रुकवाने का आरोप था। 2008 में ही मुनव्वर नाम के युवक को पकड़ा था। जिस पर धमाकों के मुख्य आरोपी साजिश मंसूरी को पनाह देने का आरोप था। 2014 में कोटा के इंद्र विहार से एक और सिमी कार्यकर्ता को पकड़ा गया। वह पढ़ाई की आड़ में सिमी नेटवर्क को फैला रहा था।  पिछले साल सितंबर में कोटा रेलवे स्टेशन से जान मोहम्मद नाम के आतंकी को दिल्ली पुलिस ने पकड़ा था।

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