पशुपालन बदल रहा किसानों की तकदीर

खेती में नुकसान से पशुपालन में बढ़ रहा रुझान : दूध सहित अन्य उत्पादों से हो रही अच्छी कमाई

पशुपालन बदल रहा किसानों की तकदीर

अब पशुपालन में नई तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

कोटा। केस 1 - जिले के अभयपुरा गांव निवासी किसान दुर्गाशंकर गुर्जर के पास सिर्फ 4 बीघा पुश्तैनी जमीन थी। सिंचाई के संकट के चलते उनके लिए खेती करना संभव नहीं था. ऐसे में उन्होंने इस जमीन पर डेयरी फार्मिंग की शुरूआत की। शुरूआत में उनके पास सिर्फ 1 गाय व 2 भैंस थी। इनका दूध वह गांव में जाकर बेचते थे। आज उनके पास 80 गायें व भैंसें हैं। और वह रोजाना 500 लीटर दूध डेयरी को बेचते हैं। साथ ही वह गोबर बेचकर भी बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। वह दूध के लिए मिल्किंग मशीन का उपयोग करते हैं।

केस 2 - शंकरपुरा गांव निवासी किसान रामभरोस मीणा ने मुर्गीपालन फार्म खोल रखा है। उनके पास दो बीघा जमीन है। इससे परिवार का खर्चा चलाने में परेशानी आ रही थी। कुछ लोगों की सलाह लेकर उसने सरकार से दो लाख का ऋण लिया और मुर्गी पालन के लिए फार्म बनाया है। इसके बाद अजमेर से चूजे लाकर उन्हें तैयार किया है। मीणा ने बताया कि डेढ़ माह का होने के बाद इनकी बिक्री कर दी जाती है। इससे 30 से 40 हजार रुपए की कमाई हो जाती है। 

कोटा जिले में यह केस तो बानगी भर हैं। अब खेती के साथ पशुपालन भी किसानों की तकदीर बदल रहा है। बेमौसम बारिश के कारण रबी व खरीफ फसलों में नुकसान के चलते अब किसानों ने पशुपालन की ओर रुख किया है। इसके चलते अब पशुपालकों की आजीविका भी बढ़ने लगी है। कोटा जिले में वर्तमान में 6 लाख से अधिक मवेशी हैं। जिनसे यहां के पशुपालक लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। अब पशुपालन में नई तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे कमाई में लगातार इजाफा हो रहा है। 

दूध उत्पादन में बन रहा अग्रणी
कोटा जिला दूध उत्पादन में अग्रणी बनता जा रहा है। इसका प्रमुख कारण जिले में भैंसों की संख्या अधिक होना है। जिले में 2 लाख 40 हजार 628 भैंसवंश है। ऐसे में इनसे हजारों टन दूध का उत्पादन होता है। इनके अलावा जिले में गोवंश की संख्या भी 2 लाख 16 हजार 343 हैं। जिनमें से देशी गोवंश के साथ अन्य नस्लों की गोवंश भी शामिल हैं। इनमें से दूध का काफी मात्रा में उत्पादन हो रहा है। ऐसे में अब खेती की बजाय पशुपालन में युवा वर्ग हाथ आजमा रहा है।

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सरकार दे रही पशुपालन को बढ़ावा
अनियमित मौसम चक्र के कारण खेती में किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। इस कारण सरकार ने पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रखी है। केन्द्र सरकार की ओर से राष्टÑीय पशुधन मिशन के तहत मुर्गी, भेड़ पालन और चारे से सम्बंधित उद्योग लगाने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। वहीं किसानों को बकरी पालन के लिए 1 से 25 लाख रुपए तक की ऋण सुविधा भी दी जा रही है। इस कारण बकरी फार्म का चलन भी बढ़ने लगा है।

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नवाचार दिला रहा सफलता
बोराबास निवासी सुकेश गुंजल ने खेती को छोड़कर पूरी तरह से पशुपालन को अपना लिया है। गुंजल ने बताया कि मिल्किंग मशीन ने पशुपालन और डेयरी फार्मिंग में क्रांति ला दी है। उसके पास करीब 20 भैंस और 10 गायें हैं। पशुओं की संख्या बढ़ने पर उसने मिल्ंिकग मशीन खरीद ली है। इससे अब कम समय में दूध निकल जाता है और इससे करीब 15 प्रतिशत तक की वृद्धि भी होती है। उत्पादन बढ़ने से उसे अब अच्छा मुनाफा होने लगा है।

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कोटा संभाग में अंडे व ऊन के उत्पादन का विवरण
                  ऊन (किलो में)    अण्डा (लाख 
2018-19     283.945           143.080   
2019-20     260.058           201.411
2020-21     398.080           621.460
2021-22     599.375           642.873
2022-23     339.949           704.521

गांव के अन्य 
पशुओं की संख्या
गाय    216343
भैंस    240628
भेड़    22434
बकरी    137387
घोड़ा    534
सूअर    6619
ऊंट    1862
बंदर    286
स्रोत : 20वीं पशुगणना के अनुसार

दूध व मांस के उत्पादन का विवरण
वर्ष             दूध             मांस 
2018-19    1898.892      12.965
2019-20    19767.431    22.161
2020-21    1900.67        20.835
2021-22    2255.932      28.791
2022-23    2285.248      33.969

पशुओं की मौत पर मिल रहा मुआवजा
अब राजस्थान में दुधारू पशुओं की मौत पर मुआवजा भी मिलने लगा हैं।  राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य हैं, जहां लम्पी रोग से हुई दुधारू पशुओं  की मौत पर पशुपालकों को मुआवजा दिया गया है। सरकार की ओर से प्रत्येक मृत पशु के मालिक को 40 हजार रुपए प्रति पशु के हिसाब से मुआवजा सीधा पशुपालकों के बैंक खातों में डाला गया है। इसके लिए कामधेनु बीमा योजना के तहत पशुओं की बीमा किया गया था। 

अब खेती के साथ पशुपालन भी किसानों की तकदीर बदल रहा है।  बेमौसम बारिश के कारण रबी व खरीफ फसलों में नुकसान के चलते किसानों ने पशुपालन की ओर रुख किया है। वहीं राज्य सरकार की ओर से पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। ऐसे में दूध सहित अन्य उत्पादों से पशुपालकों की आजीविका बढ़ने लगी है।
- डॉ. गणेश नारायण दाधीच, उपनिदेशक पशुपालन विभाग 

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