11 महीने में बायोलॉजिकल पार्क मालामाल, कमाए 39.68 लाख

334 दिन में 95 हजार से ज्यादा पर्यटकों ने देखा वन्यजीवों का संसार

11 महीने में बायोलॉजिकल पार्क मालामाल, कमाए 39.68 लाख

बायोलॉजिकल पार्क के प्रति शहरवासियों के रुझान का अंदाजा जुलाई से नवम्बर तक पर्यटकों की संख्या और उनसे होने वाली आय से लगाया जा सकता है।

कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क 11 महीनों में ही मालामाल हो गया है। 334 दिनों में 95 हजार से ज्यादा पर्यटक वन्यजीवों के संसार को देखने पहुंचे। जिनसे पार्क को 39.68 लाख से ज्यादा की कमाई हुई। वहीं, छुट्टी के दिन हर रविवार को औसतन 600 से ज्यादा लोगों की भीड़ रहती है। साथ ही एक लाख से अधिक का राजस्व सरकार के खाते में जमा हो जाता है। लेकिन, पर्यटकों का रुझान बाघ-बाघिन व शेरनी के आने के बाद से ही बढ़ा है। इससे पहले तक कमाई का आंकड़ा अपेक्षाकृत कम था।  हालांकि, गत 20 फरवरी को लॉयनेस व 1 मार्च को टाइगर का जोड़ा आने के बाद से कमाई का आंकड़ा शुरुआती तीन माह में 10.80 लाख तक पहुंच गया था। वहीं, आॅक्टूबर माह में टाइगर के हमले में केयर टेकर की मौत के बाद बायोलॉजिकल पार्क सुर्खियों में रहा। लोगों में टाइगर व घटना स्थल देखने को लेकर उत्सुकता रही। जिसके चलते पर्यटकों की संख्या बढ़ी। दरअसल, 1 जनवरी से 30 नवम्बर तक 95 हजार से ज्यादा पर्यटकों ने बायोलॉजिकल पार्क की विजिट की, जिनसे 39 लाख से ज्यादा की कमाई हुई। 

अली और गणेश का इंतजार
बायोलॉजिकल पार्क में गत वर्ष से ही उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से बब्बर शेर अली व जयपुर नाहरगढ़ से नर भालू लाया जाना था, जो अब तक वन्यजीव विभाग द्वारा नहीं लाया जा सका। जबकि, दस महीने से लॉयनेस सुहासिनी एकाकी जीवन काट रही है। वहीं, मादा भालू काली को भी जीवन साथी नहीं मिल सका। इधर, पार्क में लोमड़ी का दो साल से एनक्लोजर बना हुआ है, जो अब तक खाली है। इसे भी नाहरगढ़ जयपुर से लाने की तैयारी थी, जो परवान नहीं चढ़ी। 

जनवरी में 5.30 लाख का मिला राजस्व 
जनवरी माह में 12 हजार 198 पर्यटक बायोलॉजिकल पार्क देखने पहुंचे थे। जिनसे पार्क को कुल 5 लाख 30 हजार 626 रुपए की कमाई हो गई। यदि, गत वर्ष जनवरी माह की बात करें तो उस समय बायोलॉजिकल पार्क ने 10 लाख का आंकड़ा पार कर लिया था। लेकिन इसकी वजह इसी माह में ही बायोलॉजिकल पार्क को दर्शकों के लिए खोला जाना प्रमुख था। 

334 दिन में कमाए 39.68 लाख 
बायोलॉजिकल पार्क से मिली जानकारी के अनुसार, 1 जनवरी से 30 नवम्बर तक 95 हजार 374 पर्यटक अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क देखने पहुंचे, जिनसे पार्क को 39 लाख 68 हजार 204 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। वन्यजीव विभाग की ओर से बब्बर शेर, नर भालू, लोमड़ी सहित अन्य एनिमल लाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन एक साल बाद भी नहीं आ पाए। वहीं, चिड़ियाघर के पक्षी, सारस, मगरमच्छ, घड़ियाल, अजगर सहित अन्य वन्यजीवों को बायोलॉजिकल पार्क में बसाने के प्रयास भी अब तक पूर नहीं हो सके। 

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जुलाई से नवम्बर तक 17.38 लाख की कमाई
बायोलॉजिकल पार्क के प्रति शहरवासियों के रुझान का अंदाजा जुलाई से नवम्बर तक पर्यटकों की संख्या और उनसे होने वाली आय से लगाया जा सकता है। इन पांच महीनों में पार्क को देखने के लिए 45 हजार से ज्यादा पर्यटक पहुंचे। जिनसे  सरकार को 22 लाख 29 हजार 244 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। 

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भीषण गर्मी में भी कम नहीं हुई दीवानगी 
अप्रेल माह में भीषण गर्मी होने के बावजूद शहरवासी बड़ी संख्या में वन्यजीवों का संसार से रुबरू होने बायोलॉजिक पार्क पहुंचे थे। वन्यजीवों के प्रति पर्यटकों की दिवानगी कम नहीं हुई। इस वर्ष अप्रेल में 7 हजार 928 पर्यटक लॉयन-टाइगर, भालू, पैंथर सहित अन्य वन्यप्राणियों को देखने पहुंच गए थे। जिससे पार्क को 3 लाख 51 हजार 434 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। जबकि, गत वर्ष अप्रेल में 1 हजार 723 पर्यटकों से मात्र 76 हजार 660 रुपए की कमाई हुई थी। 

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चिड़ियाघर से जानवर शिफ्ट हो तो बढ़े राजस्व
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत कई अधूरे निर्माण कार्य पूरे किए जाने हैं। इसके लिए जायका प्रोजेक्ट के तहत 20 करोड़ का बजट मिलना था, जो डेढ़ साल बाद भी नहीं मिल सका। बजट के अभाव में 31 एनक्लोजर, स्टाफ क्वार्टर, कैफेटेरिया, वेटनरी हॉस्पिटल, आॅडिटोरियम हॉल सहित अन्य सुविधाएं विकसित नहीं हो पाई। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि यदि, चिड़ियाघर में बंद दो दर्जन से अधिक जानवरों को भी बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिए जाए तो राजस्व में बढ़ोतरी होगी। 

जुलाई में ही 6 लाख की कमाई
जनवरी से नवम्बर तक के पूरे 11 माह में सबसे ज्यादा धन जुलाई माह में बरसा। इस महीने में 14 हजार से ज्यादा पर्यटक शेरनी व टाइगर्स के दीदार को पहुंचे, जिनसे अब तक की सर्वाधिक 6 लाख रुपए की कमाई हुई। हालांकि, इस माह में बरसात का दौर शुरू हो जाता है और मौसम सुहावना होने का फायदा भी मिलता है। हालांकि, गत वर्ष से ही लॉयन और टाइगर लाने की सुगबुगाहट ने पर्यटकों में उत्सुकता बढ़ा दी थी। गत 20 फरवरी को लॉयनेस सुहासिनी व 1 मार्च को बाघ नाहर और बाघिन महक के आने पर पर्यटकों के रुझान में जबरदस्त रुझान देखने को मिला।  

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों को देखने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। यहां पर्यटन बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। वहीं, पर्यटकों की सुविधाओं का भी ख्याल रखा जा रहा है। बब्बर शेर व भालू सहित अन्य वन्यजीव लाने के प्रयास जारी है। जल्द ही पर्यटकों के लिए गोल्फ कार्ट का भी संचालन किया जाएगा। जिसकी तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी है।  
- दुर्गेश कहार, रेंजर, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क 

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