सर्दी में पानी से बाहर आ रहा दानव, खतरे में पर्यटक

सीवी गार्डन के तालाब में 8 माह से दो मगरमच्छ का डेरा: शिकायत के बावजूद वन विभाग नहीं कर रहा रेस्क्यू

सर्दी में पानी से बाहर आ रहा दानव, खतरे में पर्यटक

तालाब किनारे जॉय ट्रेन होने से बच्चों की मौजूदगी अधिक रहती है। ऐसे में हादसे का खतरा बना रहता है।

 कोटा। नयापुरा स्थित सीवी गार्डन के तालाब में 8 महीने से भारी-भरकम मगरमच्छ ने डेरा डाल रखा है। शिकायतों के बावजूद वन्यजीव विभाग के अफसरों ने आंखें मूंदी रखी। जबकि, 15 दिन पहले ही मगरमच्छ तालाब किनारे बतखों पर हमला कर चुका है। एक बतख को तो खा भी गया और दूसरी को लहुलूहान कर दिया। घटना के बाद से ही पर्यटक व मॉर्निंग वॉकर्स दशहत में है। वहीं, खतरे की जद में केडीए द्वारा बोटिंग  करवाई जा रही है। तालाब किनारे जॉय ट्रेन होने से बच्चों की मौजूदगी अधिक रहती है। ऐसे में हादसे का खतरा बना रहता है। जागरूक मॉर्निंग वॉकर्स ने पहले भी इसकी शिकायत वन्यजीव विभाग से की थी। सम्पर्क पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई। इसके बावजूद वन्यजीव विभाग द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, कुछ माह पहले पिंजरा लगाकर खानापूर्ति जरूर की।  

मॉर्निंग वॉकर्स में दहशत 
सीवी गार्डन में बोटिंग व जॉय ट्रेन संचालन में लगे कर्मचारियों ने बताया कि गत वर्ष 9 दिसम्बरको तालाब में छिपा मगरमच्छ ने बतखों पर हमला कर दिया था। बतखों के जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज सुन स्टाफ व पर्यटक सकते में आ गए थे। मौके पर जाकर देखा तो मगरमच्छ बतखों पर हमला कर रहा था। एक बतख को तो खा गया और दूसरी को लहुलूहान कर दिया। लोगों की आवाजाही होने से मगरमच्छ वापस पानी में  चला गया। घटना के बाद से ही लोगों में दहशत है। 

वन अधिकारियों को लिख चुके पत्र, कोई सुनवाई नहीं
सीवी गार्डन के बोटिंग व जॉय ट्रेन कॉन्ट्रेक्टर शिव शर्मा ने बताया कि गार्डन के तालाब में मगरमच्छ लंबे समय है। जबकि, इसी तालाब में पैदल बोटिंग करवाई जाती है। वहीं, जॉय ट्रेन भी यहीं हैं। ऐसे में लोगों व बच्चों की मौजूदगी अधिक रहती है। ऐसे में हादसे का खतरा बना रहता है। मगरमच्छ रेस्क्यू को लेकर हमने वन विभाग के अधिकारियों को कई बार पत्र लिखे लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। विभाग की अनदेखी से बड़ा हादसा हो सकता है। केडीए के अधिकारियों ने भी पत्र भेज रेस्क्यू करवाने की मांग की थी, जिसे भी वन अधिकारियों ने अनदेखा कर दिया। जबकि, पार्क में सुबह-शाम बड़ी संख्या में लोग आते हैं। 

तालाब किनारे ही धूप सेंक रहा मगरमच्छ
मॉर्निंग वॉकर्स डॉ. सुधीर उपाध्याय ने बताया कि तालाब में एक नहीं दो मगरमच्छ है। सर्दियों में वह अक्सर तालाब किनारे ही धूप सेंकता नजर आता है। जबकि, तालाब के किनारे पर ही मंदिर है, जहां सुबह व शाम को श्रद्धालु आते हैं, ऐसे में वह मगरमच्छ के हमले का खतरा बना रहता है। वन अधिकारियों से इसकी शिकायत की थी तो उन्होंने कुछ दिन पिंजरा लगाकर खानापूर्ति कर दी लेकिन  रेस्क्यू करने का प्रयास नहीं किया। 

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सम्पर्क पोर्टल पर भी की शिकायत   
डॉ. उपाध्याय ने बताया कि गत वर्ष अगस्त माह में मुख्यमंत्री सम्पर्क पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई थी। तालाब में 8 से 10 फीट लंबा मगरमच्छ डेरा जमाए हुआ है। मॉर्निंग व इवनिंग वॉक पर प्रतिदिन यहां बड़ी संख्या में शहरवासी व पर्यटक आते हैं। मगरमच्छ कभी पानी में तो कभी जमीन पर झाड़-झंकाड़ों के बीच छिपा रहता है। ऐसे में राहगीरों व बच्चों पर मगरमच्छ के हमले का खतरा ज्यादा रहता है। 

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मंदिर के पास झाड़ियों में छिपा रहता है  
राहगीरों ने बताया कि सीवी गार्डन में तालाब किनारे गणेश मंदिर बना हुआ है। जहां बोटिंग के लिए टिकट विंडो है। यहां बड़ी संख्या में बच्चे खेलते हैं। वहीं, श्रद्धालु दर्शन को जाते हैं। ऐसे में मगरमच्छ द्वारा हमला करने का डर लगा रहता है। सर्दियों में मगरमच्छ तालाब से बाहर आने  की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में वह लोगों पर हमला कर सकता है। वन अधिकारियों की घोर लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता है। पूर्व में मगरमच्छ के फोटो-वीडियो वन्यजीव विभाग के डीएफओ को भेजकर रेस्क्यू का आग्रह किया था। इसके बावजूद वन अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं। 

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बोटिंग में बच्चे, हादसे का डर 
सीवी गार्डन के तालाब में केडीए द्वारा पेडल बोटिंग करवाई जाती है। जबकि, इसी तालाब में मगरमच्छ छुपा हुआ है। बोट में छोटे बच्चे भी होते हैं, जो पानी में भी हाथ डाल देते हैं। ऐसे में मगरमच्छ के हमले का डर बना रहता है। इधर, पर्यटक कैलाश माहेश्वरी व अशोक मीणा का कहना है, केडीए को या तो बोटिंग बंद करवानी चाहिए या फिर मगरमच्छ को रेस्क्यू करवाना चाहिए। अफसरों की लेटलतीफी व अनदेखी के चलते बच्चों की जान संकट में रहती है। 

पिंजरा भी उठा ले गए वनकर्मी 
मॉर्निंग वॉकर सुरेंद्र कुमार, नीलेश जोशी, अरविंद जाट का कहना है कि दो महीने पहले वन्यजीव विभाग के कर्मचारियों ने तालाब किनारे पिंजरा लगाया था लेकिन मॉनिटरिंग नहीं करते थे। वह पिंजरा देखने तक भी नहीं आते थे। मगरमच्छ को रेस्क्यू करने का प्रयास ही नहीं किया। वन अधिकारियों की घोर लापरवाही से किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। जिला प्रशासन को हस्तक्षेप कर सीवी गार्डन के तालाब से मगरमच्छ को रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों को पाबंद करना चाहिए। 

इनका कहना है
सर्दियों में मगरमच्छ के पानी से बाहर रहने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में रेस्क्यू करने के प्रयास करेंगे। हालांकि, पर्यटकों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। 
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक वन विभाग 

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