हर साल 70 से 80 लोगों की जान ले रही नहरें

शहर के बीच से निकल रही नहर में नए साल में ही हो चुकी डूबने की कई घटनाएं

हर साल 70 से 80 लोगों की जान ले रही नहरें

नहर की चार दीवारी इतनी छोटी है वहां से कोई भी आसानी से नहर में उतर व कूद सकता है।

कोटा। केस- 1 बोरखेड़ा थाना क्षेत्र में दो दिन पहले  छोटी नहर में एक युवक डूब गया था। सूचना पर नगर निगम के गोताखोरों की टीम ने मौके पर पहुंचकर उसे बाहर निकाला लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। 

केस- 2 नांता थाना क्षेत्र में एकदिन पहले एक व्यक्ति के बांयी मुख्य नहर में डूबने की सूचना मिली थी।  सूचना  पर निगम के गोताखोरों की टीम मौकेपर पहुंची। काफी तलाश के बाद दो कि.मी. दूर युवक का शव मिला।

केस- 3 नांता थाना क्षेत्र में ही रविवार को दो मजदूरों के नहर में डूबने की सूचना मिली थी। जिसमें एक युवक हाथ धोते समय नहर में गिर गया था। जिसे बचाने उतरा दूसरा युवक भी डूब गया। 

केस- 4 कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में एक दिन पहले बांयी मुख्य नहर में कूदे युवक का शव सोमवार को मिला।   जिसे निगम के गोताखोरों ने एक दिन पहले रात तक तलाश किया था। 

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 ये तो उदाहरण मात्र हैं उस भयावह स्थिति को बताने के लिए जो नए साल के शुरुआती 12 दिन में ही हुई है। शहर के बीच से निकल रही नहर में डूबने व कूदकर खुदकुशी करने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। नगर निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार  हर साल ऐसे करीब 70 से 80 मामले होते है। जिनमें लोगों के डूबने या कूदने पर उन्हें निकाला जाता  है।  डूबने वालों में से अधिकतर के शव ही निकलते है। जबकि समय रहते सूचना मिलने पर या मौके पर मौजूद लोगों द्वारा तुरंत कूदकर बचाने पर ही गिनती के लोगों को जीवित बाहर निकाला जाता  है।  शहर में नए साल के शुरुआत में ही बोरखेड़ा, कुन्हाड़ी, नांता समेत अन्य थाना क्षेत्रों में नहर में लोगों के डूबने की घटनाएÞं हो चुकी है। उसके बाद भी संबंधित विभाग,प्रशासन व पुलिस विभाग  की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

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आए दिन हो रही घटनाएं
शहर के बीच से दांयी व बांयी मुख्य नहर निकल रही है। नांता, कुन्हाड़ी, बरखेड़ा, गुमानपुरा समेत कई थाना क्षेत्रों से निकल रही इस नहर की चार दीवारी जगह-जगह से टूटी हुई है। जहां से आए दिन लोगों के नहर  में गिरने या कूदने की घटनाएं  हो रही है। साथ ही जहां चार दीवारी सही भी है तो वहां उसकी ऊंचाई इतनी कम है कि आसानी से  लोग नहर में उतर रहे है। नहर में ढलान होने व पानी का बहाव अधिक होने पर तैरना जानने वाले तक डूब रहे है। गुमानपुरा सिंधी कॉलोनी में पहले नहर की दीवार काफी छोटी थी।  जिसे ऊंचा तो कर दिया लेकिन वह कई जगह से टूटी हुई है। जिससे वहां से किसी के भीनहर में गिरने की घटना हो सकती है। बोरखेड़ा माइनर कई जगह से टूटी हुई है। वहीं अधिकतर जगह पर नहर की चार दीवारी इतनी छोटी है वहां से कोई भी आसानी से नहर में उतर व कूद सकता है। 

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हर साल 70 से 80 घटनाएं
नगर निगम के गोताखोर विष्णु शृंगी ने बताया कि शहर के बीचसे निकल रही नहर व चम्बल नदी में डूबने व खुदकुशी करने की हर साल 70 से 80 घटनाएं होती है। जिनमें से अधिकतर के तो शव ही निकालते है। इस साल की शुरुआत में ही 12 दिन में  4 से 5 घटनाएं हो चुकी है। हालांकि कई लापरवाही से तो कई जान बूझकर जान गवां रहे है। श्रृंगी ने बताया कि  प्रशासन  को चाहिए नहरों की चार दीवारी को इतना ऊंचा तो बनाया जाए जिससे कोईउसमें कूद नहीं सके। साथ ही जहां टूटफूट हो रही है। वहां उन्हें समय पर मरम्मत करवाईजाए। जिससे किसी के गिरने की कोई घटना नहीं हो। पुलिस को चाहिए कि वह भी सख्ती करे। बड़ी घटना होने पर कुछ दिन तो सख्ती होती है उसके बाद फिर पुराने ढर्रे पर लौट आते है। किसी के डूबने पर उस परिवार की मनोदशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं भरी सर्दी में नहर के ठंडे पानी में रहकर डूबने वालों को तलाश करना काफी कठिन काम है लेकिन निगम के गोताखोर हो या एसडीआरएफ के जवान वे अपने काम को बखूबी कर रहेहै। 

दो साल पहले होली पर हुआ हादसा तो बढ़ी थी सख्ती
 शहर में वैसे तो नहर में डूबने की घटनाएं आए दिन हो रही है। कभी एक तो कभी दो लोग या तो हादसों के कारण नहर में डूब रहे हैं या फिर कई लोग जान बूझकर नहर में कूदकर आत्म हत्याएं कर रहे हैं। दो साल पहले कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में धुलंडी के दिन एक साथ नहर में तीन से चार जनों के डूबने की घटना हुई थी। उस घटना के बाद जिला कलक्टर व एसपी ने सख्ती की थी। जिसके बाद नहर पर पुलिस का पहरा लगा दिया था। साथ ही लोगों के नहर पर नहाने पर भी पाबंदी लगा दी थी। इतना ही नहीं नहर पर नहाने वालों को पुलिस ने पकड़ा भी था। जिसका असर पिछले साल धुलंडी पर भी देखा गया था। लेकिन कुछ दिन की सख्ती के बाद फिर से मामला पुराने ढर्रे पर लौट आया। 
- शैलेन्द्र तापड़िया निवासी  बजरंग नगर 

इनका कहना है
शहर के बीच विभिन्न क्षेत्रों से निकल रही नहर की चार दीवारी में टूट फूटकी समय-समय पर मरम्मत करवाईजाती है। पूर्व में कई जगह पर चार दीवारी को ऊंचा भी कराया गयाहै। फिर भी जहां अभी भी चार दीवारी छोटी है  या टूटी हुई है  बजट उपलब्ध होते ही उन्हें भी सही करवा दिया जाएगा। - लखनलाल, अधिशाषी अभियंता, सिचाई विभाग 

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