सावधान : ट्रांसफार्मर बन सकता है आग का गोला, बिजली कम्पनी ने लगाई सुरक्षा जालियां; आग लगने का मुख्य कारण बन रहा कचरा
ट्रांसफार्मर बने कचरा पात्र : सुरक्षा के लिए लगी जालियों में भी डाल रहे लोग कचरा
शहर में लोगों की सुविधा के लिए जगह-जगह लगे बिजली के ट्रांसफार्मर इन दिनों कचरा पात्र बने हुए हैं
कोटा। शहर में लोगों की सुविधा के लिए जगह-जगह लगे बिजली के ट्रांसफार्मर इन दिनों कचरा पात्र बने हुए हैं। ट्रांसफार्मर की सुरक्षा के लिए लगाई गई जालियों के अंदर तक कचरा डाला जा रहा है। जिससे गर्मी में ये आग लगने का प्रमुख कारण बन रहे हैं। मार्च के महीने में जिस तरह से गर्मी के तेवर तीखे हो रहे है। उससे आने वाले तीन महीनों अप्रैल से जून तक में गर्मी अधिक होने की संभावना है। तापमान अधिक होने से कचरे में आग लगने की घटनाएं होती रहती है। साथ ही कचरे में जलती हुई वस्तु डालने से भी आग जल्दी फेलती है। हालत यह है कि नगर निगम की ओर से कचरा पाइंट को कम किया जा रहा है। वहीं अब लोग ट्रांसफार्मरों के आस-पास ही कचरा डालने लगे है। शहर में ऐसा शायद ही कोई ट्रांसफार्म होगा जहां कचरे का ढेर नहीं लगा हो। वह कचरा भी ट्रांसफार्मर के इतना अधिक नजदीक है कि जाली के अंदर ही डाला हुआ है।
बिजली कम्पनी ने लगाई सुरक्षा जालियां
शहर में लोगों को निर्बाध रूप से बिजली मिलती रहे इसके लिए बिजली कम्पनी की ओर से निर्धारित स्थानों पर ट्रांसफार्मर लगाए हुए हैं। पहले जहां अधिकतर ट्रांसफार्मर सड़क पर नीचे की तरफ ही रखे होते थे। उन्हें ऊंचाई पर रखा गया है। साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए लोहे की जालियां तक लगाई हुई है। जिससे उनके कारण किसी को कोई खतरा नहीं हो। लेकिन लोगों की हालत यह है कि उन जालियों के अंदर ही कचरा डाला जा रहा है। जिससे अधिकतर ट्रांसफार्मरों की जालियां कचरा पाइंट बन गई है।
आग लगने का मुख्य कारण बन रहा कचरा
शहर में गर्मी के दिनों में अक्सर ट्रांसफार्मर में आग लगने की घटनाएं होती रही है। आग लगने का मुख्य कारण यहां पड़ा कचरा बताया जा रहा है। इस कचरे में जलती वस्तु डालने या कचरे में आग लगाने से वह आग ट्रांसफार्मर तक पहुंचकर बढ़ जाती है। जिससे ट्रांसफार्मर में आॅयल होने से वह पूरा जल जाता है। ट्रांसफार्मर के जलने पर उसे सही करने या बदलने में इतना अधिक समय लगता है कि उस दौरान बिजली बंद करनी पड़ती है। जिससे लोगों को गर्मी में बिजली बंद होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यह है शहर में स्थिति
शहर में कोई भी एरिया या ट्रांसफार्मर ऐसा नहीं है जहां उनकी जालियों के अंदर कचरे का ढेर नहीं हो। यदि वहां कचरा नहीं है तो झाड़ियां या घास उगी हुई है जो गर्मी में आग लगने का कारण बन रहे है। छावनी चौराहे पर एलआईसी बिल्डिंग के सामने लगे ट्रांसफार्र्मके यहां कचरे का ढेर तो लगा हुआ ही है। साथ ही यहां नगर निगम का कचरा पात्र तक रखा हुआ है। जिससे लोग वहां कचरा डाल रहे है। यह आग लगने का कारण है। इसी तरह गुमानपुरा में मल्टीपरपज स्कूल के मुख्य द्वार के पास पार्किंग के बाहर लगे ट्रांसफार्मर के पास भी कचरा पात्र रखा होने से वहां कचरा डाला जा रहा है। पास ही फास्ट फूड के ठेले होने से उनका चारा भी यहीं डाला जा रहा है। न्यू कॉलोनी गुमानपुरा, सीएडी मेन रोड,सब्जीमंडी न्यू क्लॉथ मार्केट के पास, सर्राफा मार्केट के बाहर, बारां रोड पुलिस लाइन के पास समेत सैकड़ों ऐसी जगह हैं जहां ट्रांसफार्मरों की जालियों के आस-पास व अंदर लगे का अम्बार लगा हुआ है।
गर्मी के सीजन में तापमान अधिक होने से आग लगने की घटनाएं अधिक होती है। विशेष रूप से कचरा, सूखी झाड़ियों और एसी में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की घटनाएं अधिक होती है। ट्रांसफार्मर के आस-पास कचरा डालना खतरनाक है। इससे ट्रांसफार्मर में आग लगने की घटना होती है। यहां आग बुझाने के लिए लाइट बंद करनी पड़ती है। जिससे लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ट्रांसफार्मर की जालियों के अंदर कचरा साफ करने की जिम्मेदारी बिजली कम्पनी की है। जबकि बाहर की तरफ नगर निगम सफाई करवाए।
- राकेश व्यास, सीएफओ, नगर निगम कोटा दक्षिण
बिजली कम्पनी ने ट्रांसफार्मर को ऊंचाई पर रखवा रखे हैं। उनकी सुरक्षा के लिए लोहे की जालियां लगाई गई है। उसके बाद भी लोग जान बूझकर उन जालियों के अंदर ऊपर से फेककर कचरा डाल रहे है। समय-समय पर उनकी सफाई करवाई जाती है। लेकिन शहर में बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर होने से सभी की सफाई करवाना भी मुश्किल काम है। वैसे कम्पनी की ओर से जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं कि होली के अवसर पर ट्रांसफार्मर के आस-पास या बिजली के तारों के नीचे आग नहीं लगाएं।
- अनोमित्रो डॉली, तकनीकी हैड निजी बिजली कम्पनी
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