असर खबर का - वन विभाग ने कोटा यूनिवर्सिटी को थमाया नोटिस, मचा हड़कंप
नवज्योति ने किया था विश्वविद्यालय में नियम विरूद्ध कार्य का भांडाफोड़
वन विभाग ने माना कि कोटा विश्वविद्यालय के वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट की लैबोरेट्री में बिना सक्षम स्वीकृति के कोबरा, करेत और चैकर्ड कीलबैक के मृत शरीर रखे हुए थे।
कोटा। कोटा विश्वविद्यालय में अवैध रूप से शेडयूल 1 व 2 के वन्यजीवों के मृत शरीर व हड्डियां रखे जाने के मामले में मंगलवार को वन विभाग ने विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस थमा दिया है। टीम के यूनिवर्सिटी पहुंचते ही वहां शिक्षकों व छात्रों में हड़कम्प मच गया। वन अधिकारी ने वन्यजीव विभाग की कोर्डिनेटर सहित मामले से संबंधित तीन लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं। इन्हें बयान देने के लिए वनमंडल कोटा कार्यालय में उपस्थित होने की हिदायत दी गई है। साथ ही इसकी प्रतिलिपि रजिस्ट्रार को सौंपी गई है। इधर, विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी कमेटी गठित कर दी है, जो मामले की जांच में जुटी है।
इन्हें जारी हुए नोटिस
वन विभाग ने कोटा विश्वविद्यालय के वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट की कोर्डिनेटर डॉ. रंजना, रेप्टियल साइंस के को-कोर्डिनेटर विनित महोबिया और कम्प्यूटर आॅपरेटर घनश्याम शर्मा के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं। जिसके तहत इन्हें बुधवार दोपहर 12 बजे नयापुरा स्थित वन मंडल कार्यालय में जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर बयान दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए हैं। यह लोग बयान दर्ज नहीं करवाते हैं तो इनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
नोटिस में माना, बिना स्वीकृति के रखे सांप
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जारी किए गए नोटिस में वन विभाग ने माना कि कोटा विश्वविद्यालय के वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट की लैबोरेट्री में बिना सक्षम स्वीकृति के शेड्यूल-1 व 2 के कोबरा, करेत और चैकर्ड कीलबैक के मृत शरीर रखे हुए थे। साथ ही हड्डियां भी अवैध रूप से रखे हुए थे, जो वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की धारा-9 के तहत धारा 39 व 51 के अंतर्गत दोष में आता है।
इन धराओं में समझें वन्य अपराध की गंभीरता
वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत यह मामला गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। मामले की गंभीरता को इन धाराओं के माध्यम से समझ सकते हैं, जो इस प्रकार है।
धारा-9 के तहत शिकार का मामला बनता है
- धारा-39 के तहत कोई भी व्यक्ति या संस्थान बिना सक्षम अनुमति के वन्यजीवों को जीवित या मृत नहीं रख सकता। यदि रखता है तो तस्करी की श्रेणी में आता है, क्योंकि इस अधिनियम में उल्लेखित वन्यप्राणी सरकार की सम्पति हैं।
- धारा-44 : वन्यजीवों के अंगों को रखना एवं प्रदर्शनी करना कानून का उल्लंघन की श्रेणी में है।
- धारा 48-ए (क) : कोई भी व्यक्ति वन्यप्राणी या प्राणी वस्तु का मुख्य वन्यजीव संरक्षक या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अन्य अधिकारी की परिमिशन के बिना एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन नही कर सकता। यदि करता है तो तस्करी की श्रेणी में आता है।
- धारा 49 : वन्यजीवों को जीवित, मृत या अवशेष रखना व किसी से लेकर अपने पास रखना अपराध की श्रेणी में आता है।
- धारा 51 के तहत वन्यजीव या किसी भी वन्यप्राणी को मारने की श्रेणी में आता है।
नोटिस जारी कर दिए हैं
कोटा विश्वविद्यालय के वाल्ड लाइफ डिपार्टमेंट की कोर्डिनेटर डॉ. रंजना गुप्ता, कम्प्यूटर आॅपरेटर घनश्याम शर्मा व रेप्टियल साइंस के को-कोर्डिनेटर विनित महोबिया के खिलाफ अनवेषण अधिकारी द्वारा बयान अभिलेखबद्ध के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। इन्हें बुधवार दोपहर 12 बजे वन मंडल कार्यालय में अनवेषण अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर बयान दर्ज करवाने होंगे।
- जयराम पांड्ेय, उप वन संरक्षक, वन मंडल कोटा
जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है
मामले की आंतरिक जांच के लिए कोटा विश्वविद्यालय द्वारा कमेटी गठित कर दी गई है, जिसे रिपोर्ट सौंपने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। अब कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- आरके उपाध्याय, रजिस्ट्रार, कोटा यूनिवर्सिटी
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