असर खबर का - कुपोषित व बिन मां के बच्चों को अब मिलेगा मां का अमृत
मदर मिल्क बैंक शुरू
पहले दिन पांच माताओं ने किया मिल्क डोनेट।
कोटा। पौने तीन साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार जेकेलोन अस्पताल परिसर में बहुप्रतीक्षित मदर मिल्क बैंक मंगलवार को शुरू हो ही गया। नवज्योति मदर मिल्क बैंक शुरू करने को लेकर लगातार खबरे प्रकाशित करता रहा उसकी यह परिणाम है कि 34 माह के बाद मंगलवार को पहली बार कोटा के मदर मिल्क बैंक में पांच माताओं ने दुध का दान करने के साथ ही मदर मिल्क बैंक शुुरुआत हो गई। दैनिक नवज्योति के 4 मार्च के अंक में पेज दो पर आखिरकार 34 माह बाद मदर मिल्क बैंक के ताले खूले शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद जेकेलोन प्रशासन ने आनन फानन में मदर मिल्क मंगलवार को शुरू कर दिया। मदर मिल्क बैंक शुरू होने से। मदर मिल्क बैंक के शुरू होने से कोटा संभाग के कुपोषित बच्चों व बिन मां के बच्चों को मां का दूध मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बूंदी और बारां की मदर मिल्क के सफल संचालन के बाद अब संभाग के सबसे बड़े जेकेलोन अस्पताल में भी अब मदर मिल्क बैंक की शुरुआत हो गई है।
नवजात बच्चों को कुपोषण से बचाने में मददगार होगा
बालपोषण संस्थाओं के अनुसार जन्म के आधे घंटे के भीतर मां का पहला दूध बच्चे के लिए पीना जरूरी है, लेकिन किसी कारणवश देश में 95 प्रतिशत बच्चों को यह दूध नहीं मिल पाता। यही वजह है कि भारत में हर दूसरा बच्चा कुपोषित है। इसी बात को ध्यान में रखते नौ साल पहले राजस्थान के उदयपुर में दिव्य मदर मिल्क बैंक की स्थापना की गई। इसके पीछे सिर्फ एक वजह थी कि नवजात (0-1 साल) बच्चों को कुपोषित होने और दूध के अभाव में मौत के मुंह में समाने से रोकना। उदयपुर के मदर मिल्क की सफलता के बाद प्रदेश में जयपुर, बूंदी, बारां में मदर मिल्क बैंक खोले गए। अब कोटा में खुलने से बढ़ राहत मिलेगी।
प्रदेश में बढ़ रहा मदर मिल्क बैंक का ट्रेंड
मदर मिल्क बैंक के नोडल अधिकारी व प्रभारी डॉ. मोहित अजमेरा ने बताया कि यह एक नॉन-प्रॉफिट बैंक है । यहां नवजात शिशुओं के लिए मां का सुरक्षित दूध स्टोर किया जाएगा। इसकी मदद से उन नवजात शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध कराया जाएगा जिनकी अपनी मां किसी कारणवश स्तनपान करा पाने में असमर्थ हैं। इस केंद्र में दो तरह की महिलाएं दूध दान कर सकती हैं। पहली स्वैच्छा से और दूसरी वे माताएं जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिला सकतीं। जिनके बच्चे दूध नहीं पीते। अगर उनका दूध नहीं निकाला जाए तो मां के रोगी होने की आशंका बढ़ जाती है। उनके लिए दूध दान करना अच्छा विकल्प है। नर्स रुकसाना, ऋतु, आरती शर्मा ने मंगलवार दुध संग्रह किया।
ऐसे लेते है दूध का दान
मदर मिल्क बैंक में दूध दान करने आई मां की पहले एचआईवी, एचबीएसएजी, डब्लूबीआरएल जांच की जाएगी । जांच रिपोर्ट सही आने के बाद महिला से लिखित अनुमति ली जाती है । उसके बाद मदर मिल्क लिया जाएगा। मदर मिल्क बैंक वो बैंक है जो महिलाओं से न सिर्फ दूध इकट्ठा करती है, बल्कि जरुरतमंद बच्चों तक वो दूध पहुंचाने का काम भी करती है। उत्तर भारत में सबसे पहली मदर मिल्क बैंक 2013 में बनाई गई थी। राजस्थान में उदयपुर में यह पहली बैंक बनी थी। उसके बाद जयपुर, बूंदी बारां और अब कोटा में बनी है।
स्तनपान प्रबंधन पर रहेगा जोर
मदर मिल्क बैंक के साथ स्तनपान प्रबंधन पर मुख्य रूप से फोकस रहेगा। महिलाओं को स्तनपान कराने में आने वाली समस्याओं का समाधान मदर मिल्क बैंक में किया जाएगा। माताओं को मेडिकल व इमोशन प्रॉब्लम का समाधान किया जाएगा। स्तनपान प्रबंधन के तहत दूसरा मुख्य कार्य यह किया जाएगा जिन माताओं के पास अतिरिक्त दूध है वह स्वैच्छा से दान करेंगी। उसका संग्रहण कर कुपोषित व समय से पूर्व हुए बच्चों को दिया जाएगा। यह दूध दवाई के रूप में कार्य करेंगा। माता दूर होने पर उन बच्चों को यह दूध दिया जाएगा।
- डॉ. मोहित अजमेरा, नोडल अधिकारी कोटा
मदर मिल्क बैंक का सात दिन से व्यवस्थाओं का अवलोकन करने के बाद मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य के निर्देशन में मंगलवार को इसका संचालन शुरू किया। पहले दिन पांच महिलाओं ने मिल्क डोनेट किया। मदर मिल्क का संचालन के लिए नोडल अधिकारी मोहित अजमेरा को नियुक्त किया गया है। मिल्क बैंक में चार एसी भी लगाए है।
- डॉ. निर्मला शर्मा, अधीक्षक जेकेलोन अस्पताल कोटा
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