रात में घोड़ा चौराहा हो रहा रोशन व एरोड्राम पर छाया अंधेरा
एरोड्राम चौराहा लाइटों की फिर हुई केबल चोरी
करीब एक माह से अंधेरे में डूबा है एरोड्राम चौराहा।
कोटा। कांग्रेस सरकार के समय में करोड़ों रुपए खर्च कर शहर के चौराहों का विकास व सौन्दर्यीकरण कराया गया था। लेकिन देखरेख के अभाव में चौराहों की दुर्दशा होने लगी है। इसका एक उदाहरण हैं एरोड्राम चौराहा। तत्कालीन नगर विकास न्यास(वर्तमान में केडीए) द्वारा करीब 50 करोड़ रुपए की लागत से तो एरोड्राम चौराहे पर अंडरपास का निर्माण किया गया था। वहीं इसके सौन्दर्यीकरण पर भी 20 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए। जिसके तहत यहां टावर्स आॅफ लिबर्टी का निर्माण किया गया था। इन पर मशाल रूप में आकर्षक व रंग बिरंगी लाइटें लगाई गई। ये लाइटें हर बार रंग व डिजाइन बदलती हुई जल रही थी। जिससे शहर के मध्य होने से जो भी यहां से गुजरता उसके लिए यह आकर्षण का केन्द्र था। लेकिन हालत यह है कि पिछले करीब एक माह से यह चौराहा अंधेरे में डूबा हुआ है। इसकी एक भी लाइट नहीं जल रही है। इसका कारण इन लाइटों को रोशन करने वाली बिजली की केबल ही चोरी होना है। जरा से नशे के लिए नशेड़ी महंगी लाइटों व केबल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
अंडरग्राउंड होने से नशेड़ियों के लिए आसान
एरोड्राम चौराहे के टावर्स आॅफ लिबर्टी की लाइटों की केबल अंडरपास के नीचे है। जिससे इन तक पहुंचना नशेड़ियों के लिए काफी आसान हो रहा है। यह पहला मौका नहीं है जब यहां के केबल चोरी हुई है। पहले भी कई बार यह चोरी हो चुकी है। केबल के साथ पूर्व में तो पैनल बॉक्स व लाइटें तक चोरी हो गई थी। जिसे पहले तो समय-समय पर ठीक भी किया गया था। लेकिन अब तो कोई उसे ठीक करने को भी तैयार नहीं है। जिससे यह लम्बे समय से अंधेरे में डूबा हुआ है। हालांकि संवेदक द्वारा पूर्व में कई बार केबल व लाइटों को पेड़ा बांधकर सही कराया जा चुका है।
सुरक्षा गार्ड होने से घोड़ा चौराहा रोशन
एक तरफ जहां एरोड्राम चौराहा अंधेरे में डूबा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ इसके नजदीक घोड़े वाला चौराहा रात में रोशन हो रहा है। जानकारों के अनुसार शुरुआत में सभी चौराहों पर नगर विकास न्यास की ओर से सुरक्षा गार्ड लगाए गए थे। जिससे वहां लगाई गई लाइटों के साथ ही विकास कार्यों की सुरक्षा हो सके। लेकिन समय के साथ कई जगह से सुरक्षा गार्ड हटा दिए गए। हालांकि वर्तमान में घोड़े वाले बाबा चौराहे पर रात में सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं। जिससे वहां की लाइटें फिलहाल सुरक्षित होने से रात ें यह चौराहा रोशन हो रहा है। जबकि एरोड्राम चौराहे पर कोई सुरक्षा गार्ड नजर ही नहीं आते। यदि कोई होंगे भी तो वे बाहर की तरफ ही रहते हैं। जबकि नशेडी अंधेरे का फायदा उठाकर अंडरग्राउंड से केबल चोरी कर ले जा रहे हैं।
एक बार केबल चोरी होने पर लाखों का नुकसान
केडीए की ओर से वैसे तो हर चौराहे व विकास कार्य का निर्माण करवाने के साथ ही संवेदक के साथ उसका एमओयू भी किया हुआ है। एक निर्धारित अवधि तक उस विकास कार्य में कोई भी नुकसान होता है या खराबी होती है तो उसे संवेदक द्वारा ही सही कराया जाएगा। उसके लिए केडीए को अलग से खर्चा नहीं करना पड़ेगा। जबकि एमओयू के समय ही मेंटेनेंस के लिए निर्धारित राशि संवेदक को दी गई है। चौराहों व मेन रोड पर लगाई गई लाइटें काफी महंगी है। एक बार केबल चोरी होने पर उन्हें दोबारा लगाने पर लाखों रुपए का खर्चा होता है।
लाइटें खराब होने की गारंटी, चोरी होने की नहीं
एरोड्राम चौराहे की मेंटेनेंस करने वाली फर्म के संवेदक सुनील कुमार गर्ग का कहना है कि केडीए से चौराहे व लाइटों की खराबी व टूटफूट का एमओयू हुआ है। लाइटें चोरी होने का नहीं। उसके बाद भी तीन से चार बार लाइटें व केबल बदली जा चुकी है। एक बार केबल चोरी होने पर 50 हजार से एक लाख रुपए का खर्चा होता है। सुरक्षा गार्ड होने के बाद भी नशेड़ी अंधेरे का फायदा उठाकर अंडरग्राउंड केबल होने से आसानी से चोरी कर ले जाते हैं। इस बार केबल केडीए लाकर देगा तो उसे सही करवा दिया जाएगा। लेकिन लगाने के बाद फिर से क्या गारंटी है कि केबल चोरी नहीं होगी।
नशेड़ियों का कोई इलाज नहीं
इधर केडीए अधिकारियों का कहना है कि एरोड्राम चौराहे पर ही सबसे अधिक लाइटें व केबल चोरी हो रही है। संवेदक के माध्यम से इन्हें कई बार सही कराया जा चुका है। लेकिन नशेड़ियों का कोई इलाज नहीं होने से वे बार-बार केबल व लाइटें चोरी कर ले जाते है। अधिकारियों का कहना है कि संवेदक से कहकर लाइटों को चालू करवाने का प्रयास किया जा रहा है।

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