एनएचएआई के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा हैंगिंग ब्रिज टोल प्लाजा

सुविधाएं आधी-अधूरी, टोल पूरा, फिर भी लग रहा लंबा जाम : बेरिकेड लगाकर 300 सैकंड से ज्यादा रोक रहे वाहन, 10 सैकंड से ज्यादा समय तक नहीं रोक सकते

  एनएचएआई के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा हैंगिंग ब्रिज टोल प्लाजा

चंबल हैंगिग ब्रिज टोल प्लाजा पर एनएचएआई नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने शिवा कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड को टोल संचालन का ठेका दे रखा है। यहां फास्ट टैग सुविधा होने के बावजूद टोलकर्मी लोहे के बेरिकेड लगाकर वाहनों को रोक रहे हैं।

कोटा। चंबल हैंगिग ब्रिज टोल प्लाजा पर एनएचएआई नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने शिवा कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड को टोल संचालन का ठेका दे रखा है। यहां फास्ट टैग सुविधा होने के बावजूद टोलकर्मी लोहे के बेरिकेड लगाकर वाहनों को रोक रहे हैं। जिससे जाम के हालात बने रहते हैं। वाहनों की लंबी कतारें लगी होने से चालक परेशान हो रहे हैं। इमरजेंसी लेन नहीं होने के कारण एम्बुलेंस सहित अन्य इमरजेंसी वाहनों को साधारण लेन से ही निकाला जाता है। जिसकी वजह से कई बार इमरजेंसी वाहन जाम में फंसे रहते है। वहीं, एनएचआई द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार वाहनों के पीक समय पर भी एक गाड़ी पर 10 सेकंड से ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए और फास्ट टैग सुविधा होने के बावजूद अगर टोल प्लाजा पर किसी भी कारण से वाहनों की कतार 100 मीटर से अधिक होती है तो इस स्थिति में सभी वाहनों को बिना टोल दिए जाने की इजाजत होती है। लेकिन, हैंगिग ब्रिज टोल प्लाजा पर नियमों के विपरीत काम हो रहा है। बेरीकेड लगाकर वाहनों को रोक टोल वसूल रहे हैं। इस प्रक्रिया में एक वाहन को करीब पैंच मिनट से ज्यादा रोका जा रहा है।

फास्ट टैग वाहनों को भी रोक रहे 
नेश्नल हाइवे-27 पर बना हैगिंग ब्रिज टोल प्लाजा 17 मार्च 2018 को शुरू हुआ था। वाहनों के बढ़ते दबाव के कारण एनएचआई ने यहां फास्ट टैग सुविधा अनिवार्य की थी। ताकि, वाहन चलाकों को जाम की परेशानी से निजात मिल सके। लेकिन, ठेका फर्म ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए। हालांकि, दोनों लेन पर फास्ट टैग स्केन के लिए सेंसर तो लगवाए लेकिन आॅटोमेटिक बेरिकेड नहीं लगवाए। ताज्जूब की बात तो यह है, टोल कर्मी लोहे के बेरिकेड लगाकर फास्ट टैग वाहनों को रोक रहे हैं और कम्प्युटर सिस्टम से फास्टैग भुगतान का मिलान करने पर ही वाहनों को निकलने की अनुमति दी जाती है। इस कारण कई बार टोल कर्मचारियों व वाहन चालकों के बीच विवाद की स्थित बन जाती है।

आधी-अधूरी व्यवस्था और टोल पूरा 
टोल प्लाजा पर वाहनों से पूरी टोल वसूली की जाती है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। वाहन सवारों को टोल पर होने वाली दिक्कतों को लेकर जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं, जिसके कारण लोगों में टोल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश है। यहां से गुजर रहे वाहन चालकों ने बताया कि किसी वाहन चालक के फास्ट टैग अकाउंट में बैलेंस कम हो तो उससे टोल के साथ जुर्माना भी वसूला जाता है। पैसा पूरा ले रहे हैं लेकिन जाम से राहत के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। फास्ट टैग लगे होने के बावजूद गाड़ियों को रोका जा रहा है, समय बर्बाद कर रहे है। यहां दो लेने, बड़े और छोटे वाहन उसी में फंसे रहते हैं। इसके अलावा दुपहिया वाहनों के लिए अलग से कोई लेन नहीं है।

सुबह-शाम लगता है लंबा जाम
टोल प्लाज से प्रतिदिन करीब दो हजार से ज्यादा वाहनों का आवागमन रहता है। वाहनों की बढ़ती संख्या के मुकाबले यहां मात्र दो ही लेन है। वहीं, टोल मैनेजमेंट सही नहीं होने से वाहनों की लंबी कतारें लगी रहती है। जिससे समय और ईंधन की बर्बादी हो रही है। बुधवार दोपहर को भी यही हालात बने हुए थे और 100 मीटर से अधिक दूरी तक वाहनों की कतारें लगी हुई थी। जबकि, एनएचएआई का दावा है, टोल प्लाजा पर फास्टैग वाहनों को नहीं रोका जाएगा। लेकिन, हकीकत दावों के ठीक उलट है।  

100 मीटर दूर खींची जाती है पीली लाइन
गाइड लाइन के अनुसार, सभी टोल नाकों पर 100 मीटर की दूरी का पता लगाने के लिए पीले रंग की एक लकीर बनाने का प्रावधान है। इसका उद्देश्य टोल प्लाजा आॅपरेटरों में जवाबदेही की भावना पैदा हो।

100 मीटर लंबी लाइन तो नहीं लगेगा टैक्स
टोल प्लाजा पर यातायात का प्रवाह सुचारू रहे, इसके लिए नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने गाइड लाइन जारी की हुई है। जिसके तहत टोल प्लाजा पर किसी कारण वाहनों की कतार 100 मीटर से अधिक होती है तो इस स्थिति में सभी वाहनों को बिना टोल दिए जाने की इजाजत होगी।

कोटा-बूंदी के वाहनों का फास्टैग से कट रहा टोल
हैंगिंग ब्रिज पर कोटा और बूंदी के वाहन चालकों के लिए टोल फ्री है। लेकिन, फास्टैग से टोल कट रहा है। फास्टैग से कटा टोल, कंपनी की ओर से लौटाया भी नहीं जा रहा। हालांकि कोटा-बूंदी के लोगों का टोल न कटे इसके लिए अलग से स्लीप लेन के रूप में सड़क निकाल रखी है लेकिन सभी वाहन चालकों को वहां से निकालना संभव नहीं है, क्योंकि वाहनों के दबाव के कारण जाम के हालात बने रहते हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से दोनों जिलों के वाहन चालकों के लिए टोल फ्री करवाया था। लेकिन, फास्टैग शुरू होने से फिर से वाहन मालिकों का टोल कटना शुरू हो गया।

बिना फास्टैग वाहनों से वसूला जाता है दोगुना टोल
टोलकर्मी अमित टांक ने बताया कि टोल क्रॉस करने के लिए गाड़ियों में फास्टैग होना अनिवार्य है। जिन वाहनों में फास्टैग नहीं होता उनसे दो गुना टोल वसूला जाता है। दोगुना से तात्पर्य, टोल की राशि के बराबर ही जुमार्ना वसूला जाता है। हर वाहन का अलग-अलग टोल चार्ज होता है। वहीं, वाहनों के फास्टैग डेमेज होने के कारण सेंसर टैग को स्केन नहीं कर पाता। ऐसे में वाहन मालिक से मैनअली ही टोल लिया जाता है, जिसके कारण जाम की स्थिति बनती है।

इनका कहना है
कोटा-बूंदी के वाहनों को फ्री जरूर कर रखा है, लेकिन इसके कोई लिखित आदेश हमारे पास नहीं है।  फास्टैग से आॅटोमेटिक टोल कट जाता है। ऐसे में कटे हुए पैसे वापस नहीं हो सकते। वहीं, ट्रैफिक जाम के लिए फास्टैग अकाउंट में पैसा नहीं होना, फास्टैग डेमेज होना सहित अन्य कारण जिम्मेदार हैं। ऐसे वाहनों को रोककर मैनुअली बनाते है, जिससे जाम लगता है।
-अमित टांक, टोल सुपरवाइजर

नहीं दिया कोई जवाब
एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर ए.के गुप्ता को कई बार फोन किए लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

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