ऐसे तो बरसों तक नहीं होगी आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित
निगम की श्वानशाला में मात्र डेढ़ सौ ही कैनल
साढ़े तीन साल में करीब 35 हजार का किया बधियाकरण
कोटा। शहर में एक तरफ तो आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वहीं इसके साथ ही इनकी संख्या में भी हर साल कई गुना बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन नगर निगम की श्वानशाला में कैनलों की संख्या कम होने से शहर में हजारों आवारा कुत्तों का बधियाकरण कर उनकी संख्या को नियंत्रित करने में बरसों लग जाएंगे। कोटा समेत पूरे देश में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। हालांकि बाद में कोर्ट ने अपने ही आदेश में संशोधन किया। लेकिन संशोधित आदेश में भी आवारा कुत्तों का बधियाकरण व टीकाकरण करने में तेजी लाने को कहा। नगर निगमों को इस संबंध में आदेशित किया गया है। साथ ही इनके लिए अलग से वार्ड वाइज खाना डालने के स्थान बनाने को कहा। कोटा में नगर निगम उत्तर व दक्षिण की ओर से पहले से ही श्वानशाला में आवारा कुत्तों का बधियाकरण व टीकाकरण तो किया जा रहा है। लेकिन श्वानशाला में कैनलों की संख्या कुत्तों की तुलना में काफी कम है। जिससे सभी का बधियाकरण करने में काफी अधिक समय लगेगा। जबकि इनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।
एक बार में मात्र 150 का ही बधियाकरण
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से बंधा धर्मपुरा स्थित निगम की गौशाला के पास ही श्वानशाला का निर्माण किया गया है। कोटा उत्तर की श्वानशाला में 125 व दक्षिण की श्वानशाला में मात्र 33 ही कैनल बने हुए हैं। जिससे एक बार में अधिकतम करीब 150 श्वानों का ही बधियाकरण किया जा सकता है। एक बार बधियाकरण व टीकाकरण के बाद श्वानों को 4 से 5 दिन निगरानी में रखना होता है। ऐसे में कुत्तों का बधियाकरण व टीकाकरण करने में समय अधिक लग रहा है।
उत्तर में ज्यादा तो दक्षिण में कम बधियाकरण
नगर निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम की ओर से वर्ष 2022 में श्वानशाला का निर्माण किया गया था। उसके बाद से यहां निजी फर्म के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार आवारा कुत्तों का बधियाकरण किया जा रहा है। कोटा उत्तर निगम द्वारा अभी तक करीब 24 हजार से अधिक व दक्षिण निगम द्वारा मात्र 10 हजार श्वानों का ही बधियाकरण किया गया है। उत्तर में अप्रेल 2022 से अप्रैल 2024 तक 15084 श्वानों का, अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 8725 का और अप्रैल 2025 से अगस्त तक करीब 600 श्वानों का बधियाकरण किया गया है। वहीं कोटा दक्षिण निगम में इस साल के 8 माह में ही करीब 3500 का बधियाकरण किया चुका है। सूत्रों के अनुसार कोटा में हालांकि अधिकृत रूप से आवारा कुत्तों का सर्वे नहीं किया गया है। लेकिन जिस तरह से ये जगह-जगह झुंड में देखे जा सकते है। उस हिसाब से इनकी संख्या कई गुना अधिक है। साथ ही हर 6 माह में इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में एक भी श्वान बधियाकरण से बचा तो सुरक्षा चक्र टूटते ही इनकी संख्या को नियंत्रित कर पाना मुश्किल होगा।

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