अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस - लहरा दो, लहरा दो सरजमीं का परचम लहरा दो...
नारी है तो समाज है
शहर की उन सशक्त महिलाओं से रुबरु करवा रहें हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों के चलते कामयाबी हासिल की और अपना एक खास मुकाम बनाया।
कोटा। "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:" अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, उनका सम्मान किया जाता है वहां देवता निवास करते हैं। मुस्कुराकर, दर्द भूलकर,रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी, हर पग को रोशन करने वाली वो शक्ति हैं नारी ! नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है, वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है। नारी समाज का मूल आधार है, नारी है तो समाज है नारी समाज का आईना है, क्योंकि वह समाज में कई तरह की भूमिकाएं निभाती है। आज नारी ने शिक्षा, राजनीति, व्यवसाय, और सामाजिक सेवाओं में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। इन्होंने यह भी बता दिया है कि वे किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए सक्षम हैं। किसी भी प्रोफेशन को ले लीजिए महिलाएं अब पुरुषों से कंधा मिलाकर चल रही हैं। यह अब अपवाद नहीं रह गया है। बीते जमाने की बात हो गई है कि महिलाएं सिर्फ घर की चाहरदीवारी में ही रहेंगी। आज की महिलाएं जागृत हैं और अनेक क्षेत्रों में नेतृत्व भी कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शहर की उन सशक्त महिलाओं से रुबरु करवा रहें हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों के चलते कामयाबी हासिल की और अपना एक खास मुकाम बनाया।
हमारा परिवार इस विचारधारा को मानने वाला था कि लड़कियों की समय पर शादी उनकी शिक्षा से ज्यादा जरूरी है। मेरी बड़ी बहिन की शादी 18 साल की होते ही कर दी गई। मेरे आगे पढ़ने की इच्छा को जानकर मेरी दादी ने मेरे घर वालों को मुझे उचित माहौल देने का मार्ग प्रशस्त किया। समस्या यह थी कि परिवार में सभी बड़े लोग निजी क्षेत्र में कार्यरत थे। ऐसे में परिवारजनों के समुचित सहयोग के बावजूद उचित मार्गदर्शन के अभाव में कई दिक्कतें आई। प्रतियोगिता पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले सफल अभ्यर्थियों के साक्षात्कार पढ़कर प्रशासनिक सेवा में जाने का संकल्प लिया। कोचिंग नहीं करने की वजह से तैयारी के दौरान कई चुनौतियां आई लेकिन कड़ी मेहनत का परिणाम मिला कि मेरा चयन राजस्थान प्रशासनिक सेवा में हो गया। महिलाओं को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद, महिलाएं लगातार आगे बढ़ रही हैं। महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए उन महिलाओं को देखने की जरूरत है जो विभिन्न क्षेत्रों में सफल हुई है। महिलाओं को अपने लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन्हें प्राप्त करने के लिए योजना निर्माण करना चाहिए। नए कौशल सीखने और अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए प्रयासरत रहना होगा। महिलाओं को अपनी आवाज उठाने और अपने अधिकारों के लिए जागरूक रहना होगा। एक महिला को दूसरी महिला का समर्थन करने और एक-दूसरे को आगे बढ़ने में मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
-ममता तिवारी, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त कोटा
आपकी जो आज की परिस्थिति है उसको अगर बदलने का जज्बा है वो इच्छाश्क्ति अगर आप में है तो हालातों को बदल सकते है। मेरा ग्रामीण परिवेश था। मुझे एक ही इच्छा थी कि मुझे अपने पैरों पर खड़े होना है। मैं कभी नहीं चाहुंगी कि मैं किसी पर निर्भर रहुं अपने फैसले लेने में या अपनी लाइफ के छोटे-छोटे फैसले लेने में या कहीं आने जाने में। इसी ने मुझे प्रेरित किया। आजकल लाइफ में डिस्ट्रेक्शन बहुत ज्यादा है सबसे पहले अपने उद्देश्य पर केंद्रित रहे, डिस्ट्रेक्शन को अपने ऊपर बहुत हावी नहीं होने दें। आज आप जिस परिस्थिति में हैं और उसे बदलना चाहते है तो निश्चित रूप से आपको कुछ अलग करना होगा।
- गीता चौधरी, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण
जब कोई महिला घर से बाहर निकल कर कुछ करती है तो बहुत अड़चनें आती है। पुरूष तो करें ही पर हर महिला को महिला का भी सपोर्ट जरूरी है। महिला अगर ठान ले कि मुझे इस मुकाम तक पहुंचना है चाहे कितना भी संघर्ष करना पड़े, कोई कुछ भी कहें मुझे आगे बढ़ना है यह लक्ष्य लेकर चलें तो वह वहां तक पहुचेंगी। अपनी व अपने अंदर की सुनें तो अवश्य मंजिल को छूएंगी। मैं जब 9वीं कक्षा में पढ़ती थी तभी विवाह हो गया था। ससुराल से भी पढ़ने जाती थी। पति, सास व ससुर ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। मेरी इच्छा शुरू से टीचर बनने की थी। स्कूल में बच्चों को पढ़ाया भी, समाज सेवा भी करती थी। सब जगह मंजू मैडम के नाम से जानी जाती थी जब कहीं महिला की सीट आती और किसको खड़ा करें यह बात आई तो उस समय मुझसे कहा गया एक बार तो मैंने सोचा यह सब नहीं पर सबने कहां कि आप सब कुछ कर सकती है इस तरह राजनीति में आ गई। यहां भी सास, ससुर, पति के सपोर्ट से आई। मैं चाहती हूं कि मेरे पीछे की महिलाएं भी आगे बढ़े। महिला अपने आस-पास, अपने क्षेत्र, अपने ग्रुप में जो महिलाएं हैं उन्हें सपोर्ट करके आगे बढ़ाए। माता-पिता अपनी बेटियों को संपूर्ण शिक्षा दिलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर ही उनका विवाह करें।
- मंजू मेहरा, महापौर कोटा उत्तर
व्यक्ति के पूरे जीवन के लिए अर्थात जन्म से लेकर अंत तक के लिए कानूनी प्रावधान हैं। कानून में हर तरह की स्थिति का प्रावधान हैं। महिला को सशक्त होने, स्वाभिमान से जीवन जीने, हर वो काम करने की आजादी है जो वह करना चाहती है। लेकिन यह जरूरी है कि महिलाओं को अपने अधिकारों की जानकारी होना चाहिए। महिलाओं को यह पता होना चाहिए कि वर्क प्लेस, घर ससुराल,या अन्य स्थान पर किसी भी तरह की घटना होती है वह क्या करे, कैसे बचे, किससे सहायता लें आदि। इसके साथ महिला को कभी अपने आप को किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं समझना चहिए। आज हर महिला को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए, ताकि वह कठिन समय का सामना आसानी से कर पाए। मैं इस अवसर पर यह भी कहना चाहती हूं कि कभी भी अपने अधिकार व कानून का मिस्यूज नहीं करें।
- डॉ. अमृता दुहन पुलिस अधीक्षक कोटा शहर
शिक्षा वह है जो हर व्यक्ति में आत्मविश्वास भी लाती है और उसका व्यक्तित्व भी निखारती है। हर लड़की को चाहिए कि वह अपनी शिक्षा पर पूरा ध्यान दें। अपनी रूचि के अनुरूप अपना करियर चुनें। हर परिस्थिति में अपने पैरों पर खड़ी हो। हर परिस्थिति में सही-गलत को सोच विचार कर निर्णय करें। क्षेत्र पूरे आत्मविश्वास, पूरी लगन व मेहनत से काम करें तो महिलाएं अपने को ऊंचाई तक ले जा सकती है। हमारा विभाग गरीब, दुखी व वंचित वर्ग के लिए काम करता है। मेरा सौभाग्य था कि ईश्वर ने मुझे इस काम के लिए चुना ताकि मैं लोगों की कुछ मदद कर सकूं। सरकार की योजनाओं से जोड़कर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से किसी भी तरह मदद कर सकूं। मैंने कभी सोचा नहीं था कि इस फील्ड में जाउंगी । सोशलॉजी में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। उसके बाद जब इस फील्ड में आई तो धीरे-धीरे समाज को जाना और समझा तो लगा कि सहीं दिशा थी। मैं सेतुष्ट हुं इस विभाग में काम करके। शादी के तीन साल बाद जॉब ज्वाइन किया तो पति व सभी लोगों का मोटीवेशन व सपोर्ट मिला।
- सविता कृष्णैया, संयुक्त निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग
आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। लेकिन आज भी बालिका शिक्षा में हम काफी पिछड़े हुए है। आज भी ग्रामीण परिवेश में बालिकाओं को उच्च शिक्षा के लिए भेजने में संकोच करते हैं। मैं अपनी बात करूं तो मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से आई हूं। हमारे समय में लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए नहीं भेजते थे। लेकिन इस बारे में लकी हूं मेरे पिता ने मुझे पढ़ाई के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया। दादाजी मेडिकल लाइन में नहीं भेजना चाहते थे लेकिन पिता के सहयोग से आज मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं। बालिकाओं को किसी भी फील्ड में जाना है तो इसके लिए अपना लक्ष्य तय करना चाहिए। जब तक अपना लक्ष्य हासिल नहीं हो तब तक प्रयास करते रहना चाहिए। मैं कोटा आई तो पहली स्त्री रोग विभाग में महिला सर्जन थी पुरुष प्रधान समाज में इसको लेकर काफी भ्रांतियां भी फैलाई एक महिला सर्जन रूप में कई नकारात्मक चीजें आई उनका डटकर मुकाबला किया। मुझे काम करना था तो मैंने हर चुनौती का स्वीकार कर इस फील्ड में आगे बढ़ती चली गई। स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सफर की शुरुआत हुई उसके बाद विभागाध्यक्ष, बूंदी मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य फिर ब्लड बैंक प्रभारी बनी । वर्तमान में जेकेलोन अधीक्षक पद पर हूं। सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि लगन से किया गया हर कार्य संभव हो जाता है।
- निर्मला शर्मा, अधीक्षक जेकेलोन अस्पताल कोटा
एक कोर टेक्निकल ब्रांच से इंजीनियरिंग करने के लिए वर्कशॉप मैनेजर बनने तक के सफर में हर कदम पर पुरुषों के साथ मिलकर काम शुरू किया। शुरू में एडजस्ट करने के लिए मुझे कुछ दिक्कतें भी आई पर जब मन में सोच लिया कि कुछ अलग करना है तो डर की जगह नहीं रहती। मेरे अनुसार महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता सबसे ज्यादा जरूरी है। हर लड़की को अपनी पसंद की किसी भी फील्ड में बिना डरे आगे बढ़ने के लिए प्रयास करना चाहिए।
- सुचिता गुप्ता, मुख्य आगार प्रबंधक यातायात, कोटा
महिला दिवस के शुभ अवसर पर मैं सभी साथी महिलाओं को बधाई देना चाहती हूॅ। परन्तु ये जोश ये जुनून सिर्फ आज तक सीमित न रहे। हर दिन महिला सशक्तिकरण सही अर्थों में तभी होगा । जब महिलाऐं न सिर्फ अर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होगी बल्कि अपने जीवन के सभी निर्णय लेने का अधिकार होगा। वे अपने पिता, भाई, पति और पुत्र पर निर्भर नहीं होगी। वे पैसा कमाने के साथ पैसा का व्यय, नियोजन व निवेश का निर्णय भी स्वयं लें। पिछले 4 सालों से राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से जुड़ी हुई हंू। इस अनुभव ने मेरी सोच बदली है- मैं आम ग्रामीण महिला की शक्ति का अनुभव करती हंू। महिलाएं हर दिन अपने आप को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही हैं। नई विधाएं सीख रही, साक्षर हो रही हैं। यहीं चाहती हंू। कि ये सभी महिलाएं निरंतर इस मार्ग पर आगे बढ़ती रहें।
-नेहा चतुर्वेदी, जिला परियोजना प्रबंधक राजीविका
Comment List