राष्ट्रीय राजमार्गों पर जगह-जगह हादसों को न्यौता
कोटा से निकल रहे राजमार्गो पर कई स्थानों पर टूटी रेलिंग, डिवाइडर को तोड़कर बना लिए अवैध कट, गड्ढों की भरमार
नवज्योति की टीम ने रविवार को शहर के नया नोहरा से हैंगिंग ब्रिज तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 27 पर ग्राउंड रियालिटी को चैक किया।
कोटा। केस 1 - इसी साल मार्च माह में एनएच 27 पर बारां में बटावदा गांव के पास आवारा मवेशी से कार टकरा गई थी। जिसमें सवार परिवार के आठ जनों में से दो की मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं 6 जन घायल हो गए थे। इनमें से भी 5 गंभीर घायलों को कोटा रैफर करना पड़ा था।
केस 2 - वर्ष 2023 में बारां निवासी सानिध्य कुमरा अपने दोस्तों के साथ कोटा से बारां जा रहे थे। जहां सीमलिया टोल नाके के पास गड्ढे के कारण उनकी कार अनियंत्रित हो जाने से बड़ा हादसा हो गया और सानिध्य की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं तीन दोस्त गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
केस - पिछले साल 11 जून को भी एनएच 27 पर एक जीप अनियंत्रित होकर हाई वे से नीचे उतर गई थी। जिसमें तीन लोगों की मौके पर मौत हो गई थी। साथ ही चार लोग गंभीर रूप से घयल हो गए थे। जांच में हादसे का कारण गड्ढे से जीप को बचाने के दौरान वाहन अनियंत्रित होेना पाया गया था।
राष्ट्रीय राजमार्गों को देश की नब्ज कहा जाता है, इन मार्गों से होकर ही देश का अधिकतम ट्रांसपोर्ट और माल ढुलाई का कार्य किया जाता है। अगर इन मार्गों पर खड्डे या अन्य कोई बाधाएं आती हैं तो वाहनों चालाकों को परेशानी होना निश्चित है। कोटा में निकल रहे दो राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी यही स्थिति है जहां कई स्थानों पर या तो डिवाइडर टूटे हुए हैं या साइड वाली रेलिंग तोड़कर लोगों ने रस्ते बना लिए हैं। जिसके चलते कई बार गंभीर हादसे हो चुके हैं। वहीं हाई वे होने के कारण इन मार्गों पर वाहनों की गति भी हमेशा अधिक होती है। जो दुर्घटना की संभावना को और ज्यादा बढ़ा देती है।
कोटा के 18 किलोमीटर में दर्जनभर स्थानों पर टूटे डिवाइडर
कोटा शहर से दो राष्ट्रीय राजमार्ग निकल रहे हैं, जिनमें एक एनएच 27 और दूसरा एनएच 52 है। इन दोनों ही राजमार्गों पर दर्जनभर स्थानों पर डिवाइडर टूटे हुए हैं। साथ ही कई स्थान ऐसे हैं जहां हाईवे के किनारों पर मौजूद रेलिंग भी टूटी हुई है। गौरतलब है कि इन हाई वे पर आए दिन हादसों की खबरें आती रहती हैं। जिनमें कई हादसे तो इतने गंभीर होते हैं कि घायलों की मौके पर ही मृत्यु हो जाती है। इन दोनों ही हाईवे पर हर दिन हजारों वाहन निकलते हैं। इन हजारों वाहनों में भी अधिकतर वाहन चौपहिया और भारी वाहन होते हैं। इनकी रफ्तार भी तेज होती है जिसके चलते कई बार वाहन नियंत्रण में नहीं आता और हादसा हो जाता है।
ये बड़े हादसे हो चुके हाई वे पर
27 और 52 पर पिछले दो सालों में 300 से ज्यादा हादसे हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर हादसे मवेशियों के सामने आने से वाहन के अनियंत्रित होने, डिवाइडरों से वाहनों के पार करने और ओवरटेक करते समय भिडंत होना सबसे बड़े कारण हैं।
इन स्थानों पर टूटे हैं डिवाइडर और रेलिंग
नवज्योति की टीम ने रविवार को शहर के नया नोहरा से हैंगिंग ब्रिज तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 27 पर ग्राउंड रियालिटी को चैक किया। नया नोहरा से हैंगिंग बिंज तक की दूरी करीब 16 किलोमीटर है, इसमें नयागांव, डाढ़देवी, कंवरपुरा उम्मेदगंज, धाकड़खेड़ी और बंधा धर्मपुरा क्षेत्र में कई स्थानों पर लोगों ने डिवाइडर को तोड़कर आने जाने और यू टर्न लेने के लिए जबह बनाई हुई है। साथ ही कई स्थानों पर तो किनारे पर लगने वाली रेलिंग को भी तोड़ा हुआ है जो दुर्घटना के समय वाहन को नीचे उतरने से रोकती है। लेकिन रेलिंग के टूटे होने के चलते कई बार वाहन मार्ग से नीचे उतर जाते हैं। रेलिंग के अलावा हाई वे पर कई स्थानों पर पर्याप्त रिफ्लेक्टर और संकेतकों की कमी भी पाई गई। जिनसे वाहन चालक कई असंमजस की स्थिति में पहुंच जाते हैं।
गायों का झुंड बना रहता है परेशानी
राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई स्थानों पर रेलिंग टूटी होने के कारण आवारा मवेशी हाई वे पर आ जाते हैं। हाई वे पर ये मवेशी कई बार नजर तक नहीं आते और वाहनों से टकरा जाते हैं। पूरे 16 किलोमीटर के हाई वे पर 8 स्थान ऐसे थे जहां मवेशी मार्ग या तो घूमते हुए मिले या झुंड बनाकर बैठे हुए थे। जो भी हादसों का एक बड़ा कारण है।
इनका कहना है
सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से हादसों की जानकारी रिकॉर्ड कर उन्हें भविष्य में हादसे रोकने का कार्य किया जाता है। साथ ही हाईवे पर डिवाइडरों को तोड़ने की जानकारी है, जिन्हें ब्लैक स्पॉट घोषित कर कई जगह मरम्मत कराई है। बाकी स्थानों पर भी मरम्मत कराई जाएगी। साथ ही संकेतकों को भी ठीक कराया जाएगा।
- संदीप अग्रवाल, प्रोजेक्ट डारेक्टर, एनएचएआई, कोटा
Comment List