महिला अखाड़े जो दिखाते हैं हैरत अंगेज प्रदर्शन
दांतो तले अंगुलियां दबाने को मजबूर कर देती हैं बेटियां
अखाड़े में कलाबाजी के गुर सीख रही युवतियों ने बताया कि उन्हें पहले डर लगता था लेकिन कहते हैं ना कि डर के आगे जीत है।
कोटा। बल्लम, भाला, तलवार, बनेठी, और चक्कर ये सारे नाम हैं उन हथियारों के जो एक अखाड़े में कलाबाजों द्वारा चलाए जाते हैं। अखाड़ों को लडकों का खेल माना जाता है लेकिन चलिए आज हम आपको एक ऐसी व्यायामशाला ले चलते हैं जहां लड़कियों ने लडकों को अखाड़े में पीछे छोड़ रखा है। छावनी स्थित मंगलेश्वर महादेव व्यायामशाला वही व्यायामशाला है जहां साल 2011 से ही लडकियां लड़कों को अखाड़े के हर दांव पेंच में कड़ी चुनौती दे रही हैं, और इतना ही नहीं अखाड़े के साथ साथ राष्टÑीय खेलों में भी अपनी प्रतिभा और कुशलता का प्रदर्शन कर रही हैं। साल भर यहां हर दिन शाम होते ही करतब सीखने सिखाने व अभ्यास का दौर शुरू हो जाता है कोई भाले से करतब दिखता है कोई तलवार से तो कोई मल्लखम्ब पर अपनी कला का प्रदर्शन करता है। चाहे गणेश उत्सव हो या नवरात्रा हर साल यहां से महिला अखाड़ा निकाला जाता है जो पूरे इलाके से होकर निकलता है। और इन त्यौहारों के समय व्यायामशाला की रौनक और बढ़ जाती है, लडकियां पूरे जोश के साथ अखाड़े के सारे अस्त्रों का अभ्यास करती नजर आ जाती हैं। व्यायामशाला मंगलेश्वर महादेव और भगवान हनुमान के मंदिर प्रांगण में होने से अखाड़े में अभ्यास के समय माहौल भक्तिमय भी हो जाता है।
डर के आगे जीत है
अखाड़े में कलाबाजी के गुर सीख रही युवतियों ने बताया कि उन्हें पहले डर लगता था लेकिन कहते हैं ना कि डर के आगे जीत है। हम उसे ही फोलो करती हैं। अब हमें डर नहीं लगता। तानिया, लक्ष्मी, गीतांजलि, एकता ने बताया कि उन्हें हर वर्ष गणेश चतुर्दशी का इंतजार रहता है। यह पर्व आने के साथ ही वह अपनी तैयारी परखने लग जाती हैं। लगातार कोशिश से वह ऐसे ऐसे करतब दिखा जाती हैं जिन्हें देख वह खुद दंग रह जाती हैं। इस पर्व पर हमें गर्व तो महसूस होता ही है साथ ही कॉन्फिडेंस में बी इजाफा होता है। पहले घरवाले थोड़ा आनाकानी करते थे। अब वह भी नहीं करते। अब हम कहीं भी जाती हैं तो बेधड़क जाती हैं कोई डर नहीं लगता।
डांडिया खेलते खेलते उतरी अखाड़े में
व्यायामशाला के उस्ताद पहलवान नाथूलाल ने बताया कि साल 2011 से पहले यहां बालिकाएं डांडिया खेला करती थीं लड़को को अखाड़ा खेलते देख लड़कियों ने भी अखाड़ा खेलने कि इच्छा जताई तो उन्होंने लड़कियों को भी अखाड़े के गुर सिखाना शुरू किया। और तब से लेकर अब तक यहां से पाँच सौ से ज्यादा लड़कियां अखाड़े के साथ साथ अन्य खेलों में भी नाम कमा चुकी हैं। वहीं इस बार व्यायामशाला कि तरफ से योग के साथ अखाड़ा निकाला जाएगा जिसमें योग करने के साथ साथ कलाबाज करतब दिखाते नजर आएंगें। इस व्यायामशाला में अखाड़े के साथ साथ बच्चों को जूडो भी सिखाया जाता है ताकि बच्चे अखाड़े के साथ साथ दूसरे खेलों में भी अपना दम खम दिखा सके। इसी क्रम में इस अखाड़े से लक्ष्मी नागर ने 2020 में गुवहाटी में आयोजित हुए जुनियर जूडो चैंपिनशिप में रजत पदक, इशिता राठौर ने भोपाल में आयोजित हुए 2022 खेलो इंडिया में जूडो प्रतियोगिता में रजत पदक, तानिया राठौर ने सब जूनियर जूडो चैंपियनशिप 2023 प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक और एकता हाड़ा ने दिल्ली में आयोजित वूमन्स जूडो चैंपियनशिप 2023 के नेशनल में कांस्य व वेस्ट जोन में स्वर्ण पदक जीतकर आखड़े का नाम रोशन किया। वहीं अखाड़े कि बालिका शिवानी गौचर ने कर्नाटक में आयोजित राष्ट्रीय जूडो चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक जीतकर क्रोशिया में आयोजित होने वाले विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई कर लिया था लेकिन वीजÞा ना लगने के कारण प्रतियोगिता से वंचित रह गई। अखाड़े का सारा खर्चा मंदिर समिति ही उठाती जो आम जन के सहयोग से चल रहा है और बच्चों को प्रतियोगिताओं में भेजने के साथ उनकि तैयारी कि सारी जिम्मेदारी भी मंदिर समिति ही उठाती है।

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