20 वर्षो में अप्रैल में इस बार लगी सबसे अधिक आग

हर दिन आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर हो रही आग लगने की घटनाएं

20 वर्षो में अप्रैल में इस बार लगी सबसे अधिक आग

अधिक तापमान बन रहा आग का बड़ा कारण।

कोटा। केस 1 - नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में 11 मार्च को एरोड्राम चौराहे के पास कारों के शोरूम के पीछे मैकेनिकों की थड़ियों में आग लगी। जिस पर दो दमकलों के काबू पाया गया। 

केस 2 - वर्धमान महावीर खुला विश्व विद्यालय के गेस्ट हाउस में 12 मार्च को दिन के समय अचानक आग लग गई। जिससे वहां रखा फर्नीचर व अन्य सामान जल गए। दो दमकलों से आग पर काबू पाया।

केस 3 - दादाबाड़ी बड़े चौराहे के पास 12 मार्च की रात को एक साथ दो कारों में आग लग गई थी। आग वहां लगे पेड़ व बिजली के तारों तक पहुंच गई थी। निगम की एक दमकल ने आग पर काबू पाया। 

ये तो उदाहरण मात्र है। आग की उस भयावयता तो बताने के लिए जो इस बार शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में लग रही है। कार, बस, खेत, झाड़ियां, भूसा, पराली और मकान व गेस्ट हाउस समेत कोई भी जगह ऐसी नहीं है जहां आग नहीं लगी हो। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में मार्च से अप्रैल के बीच ही हर दिन आधा दर्जन से एक दर्जन स्घानों पर आग लगने की घटनाएं हो रही है। वैसे तो हर साल 15 मार्च के बाद से जून तक आग लगने की घटनाएं होती रही है। लेकिन इस बार मार्च से अप्रैल के बीच ही इतनी अधिक आग लगने की घटनाएं हुई है। जितनी इस अवधि में पिछले 20 साल में नहीं हुई। बूंदी रोड स्थित होटल मैनाल में रविवार देर शाम को एक सूखे पेड़ में आग लग गई। जिस पर सब्जीमंडी फायर स्टेशन से एक दमकल मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया।  इस बार आग लगने का अधिकतर कारण तापमान में बढ़ोतरी होना व शॉर्ट सर्किट रहा है। 

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निगम के चार फायर स्टेशन, 32 दमकलें
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में चार फायर  स्टेशन हैं। जिनमें से एक पुरानी सब्जीमंडी में, दूसरा श्रीनाथपुरम् में, तीसरा भामशाशाह मंडी में और चौथा रानपुर में है। वहीं दोनों निगमों में 16-16 दमकलें है। अलग-अलग क्षमता की ये दमकलें रोजाना आग बुझाने में काम आ रही है। वहीं दो बड़ी हाईड्रोलिक लेडर दमकलें हैं। जिनमें से एक बहुमंजिला इामरतों में 40 मीटर ऊंचाई तक और दूसरी 60 मीटर ऊंचाई तक आग बुझाने के काम आ सकती है। 

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यहां लगी भीषण आग  
शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार छोटी-छोटी जगह पर तो अनगिनत स्थानों पर आग लगी है। जबकि अधिकतर आग की बड़ी-बड़ी घटनाएं हुई हैं। एक दिन पहले ही बारां  रोड पर एक ऑयल प्लांट के भूसे में भीषण आग लगी थी।  दो दिन पहले गुमानपुरा टीचर्स कॉलोनी स्थित एक मोबाइल के गोदाम में आग लगी थी। जिससे लाखों रुपए के मोबाइल व एसेसरीज जलकर खाक हो गए।  तीन दिन पहले ट्रांसपोर्ट नगर क्षेत्र में मजदूरों की झोपड़ियों में आग लग गई थी। शॉर्ट सर्किट से लगी आग से करीब एक दर्जन से अधिक झौंपड़ियां  जलकर खाक हो गई थी। उसमें श्रमिकों का गृहस्थी का सामान भी जल गया था। 

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ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगी आग
इस बार शहरी क्षेत्र में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी आग लगने की घटनाएं काफी अधिक हुई है। निगम के फायर अनुभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 अप्रैल को जगपुरा के जंगल में आग लगने की सूचना पर दो दमकलों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। इसी दिन बंधा धर्मपुरा स्थित देव नारायण योजना में झाड़ियों में आग की सूचना पर दो दमकलें मौके पर पहुंची।  12 मार्च की रात को खिचलहेड़ा गांव में खेत में आग लगने की सूचना पर एक दमकल ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। 

हर साल करीब एक हजार घटनाएं
नगर निगम के फायर अनुभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोटा शहर व ग्रामीण में हर साल करीब एक हजार से अधिक स्थानों पर आग लगने की घटनाएं होती रही है। जिन्हें बुझाने के लिए निगम के चारों फायर स्टेशनों से दमकलें दौड़ती रही है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21 में शहर में 681 व ग्रामीण में 79 जगह पर आग गी। इसी तरह से वर्ष 2021-22 में शहर में 600 व ग्रामेण में 54 जगह पर, 2022-23 में शहर में 847 व ग्रामीण में 40, वर्ष 2023-24 में शहर में 909 व ग्रामीण में 48 और 2024-25 में शहर में 958 व ग्रामीण में 63 स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हुई है। 

आधा दर्जन से अधिक कारों व बस में लगी आग
हर साल वैसे तो गर्मी के सीजन में कारों व अन्य वाहनों में भी आग लगने की घटनाएं होती रही है। लेकिन इस बार 15 दिन के भीतर ही करीब आधा दर्जन से अधिक कारों व सिटी बस में आग लग चुकी है। नयापुरा में किशोर सागर तालाब के किनारे दिन दहाड़े कार में आग लग गई थी। बूंदी रोड स्थित फ्लाई ओवर पर, दादाबाड़ी  बड़े चौराहे पर दो कारों में समेत कई अन्य जगहों पर कारें भी जलकर खाक हो गई थी। वहीं शहर में पहली बार नयापुरा क्षेत्र में चलती सिटी बस में आग लग गई। जिससे सवारियां तो सुरक्षित बच गई लेकिन बस पूरी तरह से जलकर खाक हो गई। उसके बाद झालावाड़ रोड पर भी एक सिटी बस में इंजन की तरफ आग लगने की घटना हो चुकी है। 

इनका कहना है
शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल गर्मी में आग लगने की घटनाएं होती है। 15 मार्च के बाद से आग लगने की घटनाएं शुरु हो जाती है जो अप्रैल से जून तक रहती है। हर साल सामान्य तौर पर करीब एक हजार आग लगने की घटनाएं होती है। वहीं मार्च-अप्रैल में भी घटनाएं होती है लेकिन इस बार मार्च-अप्रैल में ही करीब एक चौथाई से अधिक यानि करीब 250 से अधिक स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। पिछले 20 साल में अप्रैल में इतनी आग नहीं लगी जितनी इस बार लगी है। इस बार कारें भी अधिक जली है। इसका कारण तापमान का अधिक होना है। गर्मी अधिक होने से ग्रामीण में भूसे व खेत में और शहर में झाड़ियों में व वाहनों में आग लगने की घटनाएं अधिक हुई है। अभी तो इस महीने के दस दिन बाकी है। 
- राकेश व्यास, सीएफओ, नगर निगम कोटा दक्षिण

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