पांच रुपए में लोगों को भोजन परोस रही मुस्कान की रसोई, 7 साल से चल रहा निस्वार्थ सेवा अभियान
प्लेट में हर दिन अलग-अलग व्यंजन परोसे जाते
सात साल से प्रतिदिन सुबह 10 से 11 बजे तक काउंटर पर भोजन का वितरण करते हैं।
कोटा। शहर में तलवंडी स्थित मुस्कान की रसोई द्वारा प्रतिदिन करीब 70-75 लोगों को मात्र पांच रुपये में खाना खिलाया जाता है।आज के जमाने में जब पांच रुपये में शहर में सिर्फ चाय मिलती है, उसी रेट में मुस्कान की रसोई द्वारालोगों को खाना परोसा जाता है। जी हां, अभी तलवंडी स्थित एक पार्क के नजदीक लगाए गए काउंटर पर पांच रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
संचालिका स्वाति श्रृंगी ने बताया कि रसोई की शुरूआत करीब 2018 में की थी। हमने केवल नौ सदस्यों से शुरूआत की थी। अब हमारे पास करीब 100 से अधिक सदस्य हैं। रसोई में परोसा जाने वाला खाना हम घर पर ही बनाते हैं। हमारे सदस्य इस काम के लिए सुबह से ही जुट जाते हैं, तब जाकर हमारा खाना तैयार होता है। इस दौरान हमारी गुड्डी व ममता बाई, सुनिता कुमावत, तृप्ति श्रृंगी सहित योगेश गुप्ता हमारी सहायता करते हैं। यदि हम लोग अन्य काम में बिजी रहते हैं, तो हमारे सदस्य जरूरत पड़ने पर कॉल करने पर तुरंत सहयोग के लिए आ जाते हैं। करीब सात साल से प्रतिदिन हम सुबह 10 से 11 बजे तक काउंटर पर भोजन का वितरण करते हैं।हमारे पास फंड के लिए भामाशाह आकर सहयोग करते हैं, साथ ही हम सभी सदस्य भी आपस में सहयोग करके संचालन कर रहे हैं।
मुस्कान की रसोई नाम रखने की वजह
संचालिका स्वाति श्रृंगी ने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि शहर में आने वाला कोई व्यक्ति भूखा न रहे। और भूख मिटाने के बाद उसके चेहरे पर जो मुस्कान आती है, वही मुस्कान हमारे लिए खुशी देने वाली होती है। इसी के चलते हमने इसका नाम मुस्कान की रसोई रखा।
ऐसे हुई शुरूआत
संचालिका ने बताया कि नोएडा में दादी के नाम से रसोई का संचालन होता है। उसके बारे में पता चला तो हमने उसकी जानकारी विभिन्न माध्यमों से जुटाना शुरू किया। नोएडा में संचालित होने वाली रसोई के संचालनकर्ता से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पहले छोटे स्तर से शुरूआत करें।इसके बाद धीरे-धीरे काउंटर बढ़ाएं। हमने पहले एक काउंटर से शुरूआत की, उसके बाद तीन से चार काउंटर शहर में संचालित किए। परंतु अब पारिवारिक व्यस्तता व अन्य कार्यों के चलते शहर में अब मात्र एक ही काउंटर संचालित है।
पांच रुपये में क्यों खिलाते हैं खाना
संचालिका सहित अन्य महिलाओं ने बताया कि हम पांच रुपये इसलिए लेते हैं ताकि खाना खाने वाले का स्वाभिमान बना रहे। उन्हें यह न लगे कि वे फ्री में खाना खा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना ही हमारा उद्देश्य है। लोग जो दुआएं देकर जाते हैं, वही हमारी असली कमाई है।
थाली में सर्व किया जाता है खाना
मुस्कान की रसोई में जो भोजन पांच रुपये में दिया जाता है, वह घर के बने भोजन की तरह स्वादिष्ट होता है। इसी कारण उनके काउंटर पर लोगों की भीड़ हमेशा लगी रहती है। पांच रुपये की प्लेट में हर दिन अलग-अलग व्यंजन परोसे जाते हैं।
मौसम के हिसाब से और स्पेशल मेनू
संचालिका श्रृंगी ने बताया कि रूटीन खाने में दाल-चावल, चपाती, अचार, नमकीन प्रतिदिन देते हैं। वहीं अब सर्दी के मौसम में तिल के लड्डू, गुड़ व तिल से बने व्यंजन भी सर्व करते हैं। जब किसी सदस्य का जन्मदिन, मैरिज ऐनिवर्सरी या घर में कोई कार्यक्रम होता है, तो उस दिन स्पेशल खाना देते हैं, जिसमें पूरी-सब्जी, गुलाब जामुन, पनीर की सब्जी, कचौरी, इमरती, हलवा सहित अन्य व्यंजन शामिल होते हैं।

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