अब लेपर्ड प्रूफ होगा बायोलॉजिकल पार्क, 80 लाख की सौलर फेंसिंग बनेगी लक्ष्मण रेखा
गत वर्ष ब्लैक बक के पिंजरे में घुसकर हमला कर चुका पैंथर
शाकाहारी वन्यजीव व वनकर्मी होंगे सुरक्षित
कोटा। प्रदेश का सबसे बड़ा अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क अब लेपर्ड प्रूफ बनेगा। पार्क में मौजूद वन्यजीव व रात को गश्त करते वनकर्मियों के लिए सौलर फेंसिंग सुरक्षा कवच बनेगी। पार्क की सम्पूर्ण दीवार सौलर फेंसिंग रूपी लक्ष्मण रेखा से कवर्ड होगी, जिसमें विद्युत करंट प्रवाहित होता रहेगा। यदि, लेपर्ड छलांग लगाकर दीवार पार करने की कोशिश करेगा तो सौलर फेंसिंग करंट का झटका देगी। इलेक्ट्रिक शॉक लगने से पैंथर बायोलॉजिकल पार्क के अंदर घुस नहीं पाएंगे। हालांकि, इस करंट से वाइल्ड एनिमल को नुकसान नहीं होगा। दरअसल, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में मौजूद शाकाहारी वन्यजीवों को सबसे ज्यादा खतरा लेपर्ड से है। पार्क के आसपास खुला जंगल है। जहां पैंथर का मूवमेंट ज्यादा रहता है। ऐसे में वह पार्क की 10 फीट ऊंची सुरक्षा दीवार को फांद अंदर घुस जाता है। गत वर्ष ऐसी घटना घट चुकी है। वन्यजीव विभाग ने सौलर फेंसिंग लगवाने के लिए प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों को भेज दिए हैं।
लेपर्ड कर चुका ब्लैक बक के पिंजरे पर हमला
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में गत वर्ष 29 अप्रेल की रात को लेपर्ड ने बाहर से बायोलॉजिकल पार्क की 10 फीट ऊंची दीवार फांद परिसर में घुस गया था और ब्लैक बक के एनक्लोजर पर हमला कर दिया। शाकाहारी वन्यजीवों के नाइट शेल्टर तक पहुंच गया और ब्लैक बक के शावक का शिकार कर लिया। घटना का पता अगले दिन सुबह गश्त कर रहे कर्मचारियों की सूचना पर अधिकारियों को लगा। ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए लेपर्ड प्रूफ सौलर फेंसिंग लगवाना अति आवश्यक है।
5 हजार मीटर सुरक्षा दीवार पर लगेगी सौलर फेंसिंग
वन्यजीव विभाग के उप वन संरक्षक अनुराग भटनागर ने बताया कि अभेड़ा बायोलॉजिकल की सुरक्षा दीवार 5 हजार रनिंग मीटर लंबी है। वर्तमान में यह दीवार 10 फीट ऊंची है, जिस पर करीब 4 फीट ऊंची सौलर फेंसिंग लगाई जाएगी, जो सौलर से कनेक्ट रहेगी और चार्ज होने के साथ उसमें निर्धारित मात्रा में विद्युत करंट प्रवाहित होता रहेगा। इससे बाहर का कोई भी वाइल्ड एनिमल खास तौर पर लेपर्ड दीवार फांद पार्क के अंदर नहीं आ सकेगा। इस सौलर फेंसिंग से पूरा बायोलॉजिकल पार्क कवर्ड किया जाएगा। जिसमें करीब 80 लाख रुपए का खर्चा आएगा। इसके प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों को भेज दिए हैं।
रात को गश्त करते वनकर्मियों पर भी हमले का खतरा
बायोलॉजिकल पार्क के आसपास खुला वनक्षेत्र है। जिसमें पैंथर व भालूओं का मूवमेंट अधिक रहता है। चूंकी, वन्यजीव रात को ही सक्रिय होते हैं और शिकार की तलाश में जंगल से बाहर निकलते हैं। ऐसे में भालू और पैंथरों का बायोलॉजिकल पार्क में प्रवेश करने का अंदेशा लगा रहता है। जिससे रात को पार्क में गश्त करने वाले वनकर्मियों व होम गार्ड पर मांसाहारी वन्यजीवों के हमले का खतरा रहता है। ऐसे में सुरक्षा दीवारों पर सौलर फेंसिंग होने से शाकाहारी वन्यजीवों के साथ गश्त करने वाले कर्मचारी भी अनजाने खतरों से महफूज हो सकेंगे।
50 लाख से लगेगा इलेक्ट्रिक शवदाह गृह
जानकारी के अनुसार, बायोलॉजिकल पार्क में इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनवाया जाएगा। इससे मृत जानवरों के शव का सुगमता से डिस्पोजल हो सकेगा। अब तक शव का अंतिम संस्कार करने के लिए जलाया जाता है, जिससे लकड़ियों की खपत बढ़ती है और धुएं से हवा में प्रदूÑषण भी बढ़ता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनने से लकड़ियों की खपत रुकेगी और वायुमंडल में प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। इसके अलावा इंफेक्शन, बैक्ट्रेरिया व संक्रमण का खतरा भी टलेगा। ऐसे में 50 लाख की लागत से इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाया जाएगा। वन्यजीव विभाग द्वारा तैयार किए प्रस्ताव में इसे भी शामिल किया गया है।
इनका कहना
बजट घोषणा के तहत अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के द्वितीय फेस के निर्माण के लिए 25 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेजे गए हैं। प्रस्ताव में बायोलॉजिकल पार्क को लेपर्ड पू्रफ सौलर फेंसिंग से कवर्ड किया जाना शामिल किया है। बजट जारी होते ही अधूरे प्रस्तावित कार्यों का निर्माण कार्य पूर्ण हो सकेंगे। पर्यटकों की सुविधाओं में विस्तार के प्रयास लगातार जारी है।
-अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग
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