आपकी गली में टिपर पहुंचा या नहीं, अब निगम को तुरंत मिलेगी जानकारी
कंट्रोल रूम से होगी मॉनिटरिंग : क्षेत्र का हर घर जुड़ेगा आरएफआईडी टैगिंग से
सफाई की इस नई व्यवस्था को लागू करने पर करीब 52 सौ लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है।
कोटा। वार्ड की किस गली में टिपर गया या नहीं गया। टिपर ट्रेचिंग ग्राउंड तक पहुंचा या नहीं। टिपर चालक ने रास्ते में ही कचरा सड़क किनारे खाली किया या ट्रेचिंग ग्राउंड में। इसकी पल-पल की जानकारी निगम अधिकारियों के पास तुरंत पहुंचेग। साथ ही वार्ड के लोगों को भी पता चलेगा कि उनकी गली में टिपर नहीं आया या देर से आएगा। यह व्यवस्था कोटा में शीघ्र ही नगर निगम कोटा उत्तर में देखने को मिल सकती है। नगर निगम कोटा उत्तर द्वारा घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था को इतना व्यवस्थित व सुदृढ़ किया जाएगा जिससे टिपर चालक न तो मनमानी कर सकेंगे और न ही किसी तरह की बेईमाई। साथ ही लोगों के घरों तक टिपर नहीं पहुचने जैसी समस्या का भी समाधान हो जाएगा। यह संभव होगा आरएफआईडी ट्रेगिंग व जीपीएस ट्रेकिंग सिस्टम से। साथ ही कंट्रोल रूम के माध्यम से इनकी मॉनिटरिंग भी होगी। नगर निगम कोटा उत्तर द्वारा अपने क्षेत्र के वार्डों में सफाई, कचरा संग्रहण व कचरा परिवहन व्यवस्था में सुधार के लिए इस सिस्टम को लागू करने का प्रयास कर रहा है। इस नई व्यवस्था के तहत कोटा उत्तर निगम के सभी 70 वार्डों के हर घर को आरएफआईडी टैगिंग से जोड़ा जाएगा।
बैंगलोर व जयपुर में यह व्यवस्था
नगर निगम कोटा उत्तर के स्वाास्थ्य अधिकारी तनुज शर्मा ने बताया कि यह व्यवस्था बैंगलोर व जयपुर में है। हालांकि जिस तरह की अपडेट व एडवांस सुविधा कोटा में की जानी है उस रह की व्यवस्था जयपुर में भी नहीं है। उन दोनों शहरों के बाद कोटा उत्तर निगम में यह सिस्टम लागू किया जाएगा। शर्मा ने बताया कि इससे टिपर चालकों की मॉनिटरिंग होने के साथ ही लोगों के घरों पर टिपर नहीं पहुंचने की शिकायत का भी समाधान होगा। इसी तरह से कचरा पाइंट से कचरा परिवहन की व्यवस्था में भी सुधार किया जाएगा।
गली में प्रवेश करने व बाहर निकलने की मिलेगी सूचना
आरएफआईडी टैगिंग सिस्टम के तहत वार्ड व क्षेत्र की हर गली के मकान वालों का मोबाइल नम्बर को इससे जोड़ा जाएगा। साथ ही टिपर पर जीपीएस सिस्टम लगाया जाएगा। ऐसे में जैसे ही टिपर वार्ड की गली में प्रवेश करेगा और वहां से वापस बाहर निकलेगा। इसकी मोबाइल व कंट्रोल रूप में तुरंत सूचना प्राप्त हो जाएगाी। साथ ही यदि टिपर उस गली में नहीं गया या देरी से जाएगा तो उसकी सूचना उस गली के घरों तक भी मोबाइल के जरिये पहुंच जाएगी। साथ ही टिपर के ट्रेचिंग ग्राउंड में जाने पर भी उसकी जानकारी निगम अधिकारियों को पता चल जाएगाी। जिससे यदि टिपर चालक किसी गली में नहीं पहुंचा या खराब होने से नहीं जा सका तो वहां तुरंत दूसरा टिपर पहुंचा दिया जाएगा।
237 टिपरों का उपयोग
नगर निगम कोटा उत्तर के पास वर्तमान में 237 टिपर हैं। जिनमें से 214 का नियमित उपयोग किया जा रहा है। रात के समय बाजारों में सफाई के लिए 9 टिपर काम में लिए जा रहे है।
तीन साल में 5200 लाख खर्च
सफाई की इस नई व्यवस्था को लागू करने पर करीब 52 सौ लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह व्यय तीन साल के लिए होगा। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इस कार्य को करने के लिए निविदा आमंत्रित की जानी है। जिसकी वित्तीय स्वीकृति के लिए इस विषय को नगर निगम कोटा उत्तर की बोर्ड बैठक में रखा गया। वहां से इसका अनुमोदन कराया गया है। अब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
इनका कहना है
कोटा उत्तर निगम में सफाई की नई व्यवस्था को लागू करना है। इसके लिए हर घर को आरएफआईडी टैगिंग सिस्टम से जोड़ा जाएगा। साथ ही टिपरों को जीपीएस ट्रैकिंग और कंट्रोल रूप से मॉनिटरिंग की जाएगी। इस नई व्यवस्था को लागू होने में समय लग सकता है। इसके लिए निविदा जारी की जाएगी। संवेदक के माध्यम से इस काम को कराया जाएगा। लेकिन मॉनिटरिंग नगर निगम के स्तर पर होगी।
- अनुराग भार्गव, आयुक्त नगर निगम कोटा उत्तर

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