श्वान और बंदरों से जनता त्रस्त, निगम अधिकारी कार्यालय में मस्त

कोटा दक्षिण में न श्वानों का समाधान हो रहा ना ही बंदरों का

श्वान और बंदरों से जनता त्रस्त, निगम अधिकारी कार्यालय में मस्त

जनहित के मुद्दों पर भी आचार संहिता का रोड़ा।

कोटा। शहर में आए दिन श्वान लोगों को विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं को शिकार बना रहे हैं। बंदरों का भी आतंक बना हुआ है। जनता इन सबसे त्रस्त हो रही है लेकिन निगम अधिकारियों को जनता की परवाह नहीं होने से वे मस्त हो रहे हैं। जनहित के मुद्दों पर भी आचार संहिता का रोड़ा आड़े आ रहा है।  कोटा दक्षिण निगम क्षेत्र में श्वानों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। एक दिन हले भी श्वान ने दस साल के बच्चे को बुरी तरह से नोच दिया। जिससे उसकी हालत गम्भीर बनी हुई है। उसी तरह से विज्ञान नगर में कुछ दिन पहले एक बुजुर्ग को राह चलते काट लिया था। श्वान राह चलते लोगों पर आए दिन हमले कर रहे हैं। किसी के पैर में तो किसी के चेहरे पर काट रहे हैं। जिससे लोगों में श्वानों के प्रति दहशत बढ़ती ही जा रही है। शहर मे सड़कों पर और गली मोहल्लों में श्वानों के झुंड दिखते ही लोग डरने लगे हैं। श्वानों के पास से निकलने में डर लगने लगा है। लेकिन निगम अधिकारियों द्वारा श्वानों की समस्या का कोई स्थायी समाधान तक नहीं किया जा रहा। वहीं निगम अधिकारी चुनाव की आचार संहिता का बहाना बनाकर नए टेंडर भी नहीं कर रहे हैं।  

बंदर पकड़ने का ठेका खत्म, नया हुआ नहीं
इसी तरह से नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में बंदरों की संख्या भी काफी अधिक हो गई है। आए दिन उनके द्वारा लोगों के घरों में घुसने, खाने की सामग्री ले जाने और लोगों पर हमले करने के मामले हो रहे हैं। पार्षदों का कहना है कि बंदर पकड़ने का ठेका मथुरा की फर्म को दिया हुआ था। वह ठेका भी समाप्त हो गया। लेकिन अधिकारियों ने समय रहते नया ठेका नहीं किया। अब अधिकारियों के पास चुनाव आचार संहिता का बहाना है। जिससे नए टेंडर भी नहीं किए जा रहे हैं। 

फर्म को किया डीबार, अब जनता परेशान
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में पुणे की निजी फर्म द्वारा श्वानों का बधियाकरण व टीकाकरण किया जा रहा था। लेकिन कोटा दक्षिण निगम में आयुक्त द्वारा उसे फरवरी-मार्च में डीबार कर दिया था। उसके बाद से फर्म ने काम बंद कर दिया। जिससे क्षेत्र की जनता परेशान हो रही है। जानकारों के अनुसार जबकि वही फर्म कोटा उत्तर निगम क्षेत्र में काम कर रही है।  कोटा दक्षिण के पार्षदों का कहना है कि   तलवंडी, जवाहर नगर, छावनी, बल्लभबाड़ी और बोरखेड़ा क्षेत्र में श्वानों का आतंक अधिक है। समाचार पत्रों में व प्रशासन के सामने तो बहुत कम मामले आ रहे हैं जबकि घटनाएं काफी अधिक हो रही है। लेकिन निगम अधिकारियों का जनता की समस्याओं पर कोई ध्यान ही नहीं है।  लोगों का कहना है कि श्वानों का बधियाकरण व टीकाकरण करने के बाद ये अधिक खूंखार हो रह हैं। जिससे ये लोगों पर हमले कर रहे हैं। 

लावारिस मवेशी तक नहीं पकड़े जा रहे
शहर की सड़कों पर लावारिस मवेशियों का जमघट इतना अधिक हो गया है कि जगह-जगह पर ये झुंड में खड़े देखे जा सकते हैं। जिससे हादसों का तो खतरा बना हुआ है साथ ही लोगों पर हमले की घटनाएं भी हो रही है। विशेष रूप से सब्जीमंडी में और मेन रोड पर इनकी समस्या अधिक है।  लोगों का कहना है कि शहर में आवारा मवेशी अधिक होने के बाद भी उन्हें नहीं पकड़ा जा रहा है। निगम अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। 

Read More गुजरात एटीएस का जोधपुर में छापा : एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री पकड़ी, केमिकल भरे जार जब्त ; कई राज्यों में सप्लाई

श्वानशाला में सिर्फ बधियाकरण व टीकाकरण
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला परिसर में श्वानशाला बनाई गई है। यहां पुणे की निजी फर्म द्वारा श्वानों को लाकर उनका बधियाकरण व टीकाकरण किया जा रहा है। कुछ दिन रखने के बाद उन्हें वापस उसी स्थान पर छोड़ा जा रहा है जहां से पकड़कर लाए। जिससे श्वानों का खतरा कम नहीं हो रहा है। गली मोहल्लों में इनकी संख्या कम भी नहीं हो रही है। जबकि निगम अधिकारियों का कहना है कि बधियाकरण से इनकी संख्या नहीं बढ़ रही है और टीकाकरण से इनके काटने पर भी रैबीज फेलने का खतरा नहीं रहता। 

Read More Weather Update : उत्तरी हवाओं का असर हुआ कमज़ोर, प्रदेश में सर्दी कम

श्वानों की समस्या का हो समाधान
नए कोटा क्षेत्र के जवाहर नगर व तलवंडी समेत सभी जगह पर श्वानों का इतना अधिक आतंक है कि लोग डर के कारण रात के समय तो घर से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं। बच्चे आस-पास पार्क में खेल नहीं पा रहे हैं। लेकिन निगम अधिकारी चुनाव आचार संहिता का बहाना बनाकर बच रहे हैं।
- सुरेन्द्र सिंह, जवाहर नगर

Read More बूढ़ादीत के लाखसनीजा गांव का मामला: देर रात घर में घुसकर 70 वर्षीय वृद्धा की हत्या, बहू भी गंभीर घायल

श्वानों की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जहां भी श्वान नजर आ जाते हैं वहां से रास्ता ही बदलना पड़ता है। आए दिन लोगों को काटने की घटनाएं होने पर बच्चों को घर से बाहर अकेले भेजने तक में डर लगने लगा है। निगम अधिकारियों को चाहिए कि इनका समाधान करे।
- गरिमा सोनी, तलवंडी

सड़कों पर जहां देखो वहां श्वान ही श्वान दिखते हैं। सुबह के समय मंदिर जाते समय कई बार श्वान पीछे पड़ गए उस समय बड़ी मुश्किल से जान बचाई। महिलाओं व बच्चों के लिए तो इनसे बचना मुश्किल हो रहा है। निगम अधिकारियों को जनता के मुद्दों में तो आचार संहिता की आड़ नहीं लेनी चाहिए। समय रहते टेंडर करते तो ऐसी समस्या नहीं होती।
- महेन्द्र जैन, दादाबाड़ी

इनका कहना है
निजी फर्म द्वारा सही ढंग से काम नहीं करने पर उसके खिलाफ शिकायतें आ रही थी। जांच में दोषी मानते हुए उसे डीबार कर दिया था। उसके बाद टेंडर किए लेकिन कोई फर्म नहीं आई। फिर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। इस दौरान नया टेंडर नहीं कर सकते। ऐसे में अब अगले महीने आचार संहिता हटने के बाद ही नए टेंडर होंगे। जिससे श्वान, बंदर व अन्य सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। 
- सरिता सिंह, आयुक्त नगर निगम कोटा दक्षिण

Post Comment

Comment List

Latest News

कांग्रेस महासचिव प्रिंयका गांधी वाड्रा का आरोप, बोलीं-सरकार खुद ही संसद नहीं चलाना चाहती, क्योंकि....जानें पूरा मामला कांग्रेस महासचिव प्रिंयका गांधी वाड्रा का आरोप, बोलीं-सरकार खुद ही संसद नहीं चलाना चाहती, क्योंकि....जानें पूरा मामला
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया कि सरकार के मंत्री ही संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं।...
मोदी पर विवादित नारा लगाने वाली मंजुलता मीना अपने बयान पर कायम, कहा- मैंने कोई गलत बयान नहीं दिया
जेडीए द्वारा 16 से 24 दिसंबर तक होगा शहरी समस्या समाधान शिविर-2025 का आयोजन, लंबित मामलों का होगा निस्तारण
आम आदमी की जेब पर फिर पड़ेगी की महंगाई की मार, थोक मुद्रास्फीति की दर लगातार दूसरे महीने शून्य से नीचे
जयपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई : एटीएम कार्ड बदलकर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के दो शातिर गिरफ्तार, बिना नंबर की क्रेटा कार व 49 हजार नकद बरामद
दरभंगा से लगातार हैं 6 बार के विधायक संजय सरावगी बने बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, जिम्मेदारी मिलते ही दिया संगठन को मजबूत करने का संदेश
कांग्रेस विधायक दल की बैठक कल, एक दिवसीय विशेष सत्र की रणनीति पर होगी चर्चा