जलने से पहले रावण करने लगा विवाद, सुरक्षा की दृष्टि से 50 फीट बढ़ाया रावण दहन स्थल का घेरा
150 से बढ़ाकर 200 फीट तक लगाई गई चारों तरफ बेरिकेडिंग
इस बार पुतले बड़े होने पर हर तरह की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दमकलों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है।
कोटा। नगर निगम की ओर से आयोजित 132 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का आगाज तो हो चुका है। वहीं अब दशहरे के दिन रावण दहन की तैयारी की जा रही है। 215 फीट के विशाल रावण के पुतले के जलने के दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रावण दहन स्थल के चारों तरफ के घेरे को 150 से बढ़ाकर 200 फीट का किया जा रहा है। नगर निगम की ओर से हर साल 75 से 80 फीट का रावण का पुतला बनवाया जाता था। जिसे दशहरा मैदान में ही विजयश्री रंगमंच के सामने दहन किया जाता था। रावण, कुम्भकरण व मेघनाद के पुतलों को लोहे की सीढ़ियों पर पेड़ा बांधकर खड़ा किया जाता था। लेकिन इस बार रावण का कद पहले से करीब तीन गुना अधिक बढ़ाकर 215 फीट का किया गया है। इतना बड़ा रावण का पुुतला जिसका वजन ही 12 हजार किलो का है। उसे विजयश्री रंगमंच पर खड़ा करना संभव नहीं था। इसके लिए आरसीसी की पक्की फाउंडेशन तैयार कर उस पर खड़ा किया जाएगा। इस कारण से इस बार रावण समेत तीनों पुतलों को विजयश्री रंगमंच के दांयी तरफ कच्ची जमीन पर खड़ा किया जाएगा।
पहले 150 फीट ही रखी थी डी
रावण के इतने विशाल पुतले के दहन के समय सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाएगा। हालांकि रावण का पुतला जिस तकनीक से बनाया गया है उसमें सुरक्षा के सभी मापदंडों का पूरा ध्यान रखा गया है। रावण बनाने वाले अम्बाला के कारीगार तेजेन्द्र सिंह ने बताया कि नगर निगम की ओर से पहले रावण के चारों तरफ मात्र 150 फीट की ही डी बनाई जा रही थी। 215 फीट के रावण के हिसाब से यह जगह कम थी। 150 फीट के घेरे में केवल रावण का ही पुतला खड़ा किया जाना संभव नहीं है उस जगह पर कुम्भकरण व मेघनाद समेत तीनों पुतलों को खड़ा किया जाना है। ऐसे में पुतलों के दहन में समय अधिक लगने पर लोहे के पिघलने की संभावना को देखते हुए उनके द्वारा जगह कम होने की आपत्ती दर्ज करवाई गई थी। काफी समझाइश व आपत्ती के बाद निगम अधिकारी पक्के रास्ते की तरफ जगह बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। जिसके लिए बेरीकेडिंग लगाने की जगह को बढ़ाया जा रहा है।
इस बार रावण के नजदीक नहीं जा सकेंगे लोग
हर साल रावण दहन के दिन तक रावण को खड़ा करने का काम किया जाता था। साथ ही दशहरे के दिन अधिकतर लोग रावण के पुतले के नजदीक तक जाकर उसके साथ फोटो खिचाते रहते थे। निगम अधिकारियों द्वारा मना करने के बाद भी कई लोग नहीं मानते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। निगम अधिकारियों के अनुसार सुरक्षा की दृष्टि से किसी को भी विशेष रूप से आमजन को रावण के पुतलों के नजदीक नहीं जाने दिया जाएगा। इसके चारों तरफ बेरीकेडिंग लगाई जा रही है। जिससे रावण को दूर से ही देखा जा सकेगा।
सुरक्षा को देखते हुए बढ़ाया घेरा
इधर मेला समिति के अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि पहले रावण के चारों तरफ की डी यानि घेरा 150 फीट का रखा गया था। लेकिन बाद में रावण बनाने वाले कारीगर की सलाह पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए घेरे को बढ़ाकर करीब 200 फीट का कर दिया है। इसके लिए चारों तरफ बेरीकेडिंग की जा रही है।
सुरक्षा के लिए तैयार रहेंगी दमकलें
रावण दहन के समय वैसे तो हमेशा ही पुतलों के नजदीक और आस-पास मैदान में निगम के फायर अनुभाग की दमकलें, सीएफओ, एफओ व फायरमैन तैनात रहते हैं। लेकिन इस बार पुतले बड़े होने पर हर तरह की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दमकलों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है।
180 फीट बूम की बड़ी क्रेन इंदौर से मंगवाई
रावण बनाने वाले कारीगर तेजेन्द्र सिंह चौहान का कहना है कि वे पिछले करीब 25 सालों से रावण के बड़े पुतले ही बनाते रहे है। कुम्भकरण व मेघनाद के छोटे पुतले नहीं बनाए। वहीं रावण भी एक सिर का ही बनाते थे। चौहान ने बताया कि कोटा के दशहरा मेले में उन्हें 215 फीट का रावण बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि रावण के पुतले को खड़ा करने के लिए करीब 180 फीट बूम की बड़ी क्रेन इंदौर से मंगवाई जा रही है। जिसका किराया ही लाखों में है।

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