आज आएगी राहत की रेल, डीएपी व यूरिया की होगी आपूर्ति
2600-2600 मीट्रिक टन खाद का होगा वितरण
कोटा सहित हाड़ौती क्षेत्र में यूरिया और डीएपी की डिमांड बढ़ने लगी है। ऐसे में अब किसानों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद जगी है।
कोटा । जिले में गत वर्ष की तुलना में इस बार लगभग दोगुने क्षेत्रफल में धान एवं मक्का फसल की बुवाई होने से डीएपी और यूरिया की मांग निरन्तर बनी हुई है। अब फसलों की बढ़वार का दौर होने से किसान खाद के लिए भागदौड़ करने में लगे हुए हैं। कोटा सहित हाड़ौती क्षेत्र में यूरिया और डीएपी की डिमांड बढ़ने लगी है। ऐसे में अब किसानों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद जगी है। शनिवार को नर्मदा बायो केम की यूरिया, कृभको की डीएपी और इफको की यूरिया की नई रैक पहुंचेगी। इससे कोटा जिले को करीब 2600-2600 मीट्रिक टन अतिरिक्त यूरिया और डीएपी मिल सकेगा। रैक आने के बाद यूरिया और डीएपी को ग्राम सेवा सहकारी समितियों के पास पहुंचाया जाएगा। इसके बाद वहां से किसानों को वितरित किया जाएगा। वितरण की पूरी तैयारी कर ली गई है।
उर्वरक उपलब्धता के कर रहे निरन्तर प्रयास
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले में अभी लगभग 7014 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। 1910 मीट्रिक टन यूरिया सहकारी संस्थाओं यथा ग्राम सेवा सहकारी समितियों, क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में तथा 5104 मीट्रिक टन यूरिया प्राइवेट उर्वरक विक्रेताआें के पास उपलब्ध है। साथ ही, निजी डीलरों एवं सरकारी संस्थाओं के पास अब तक 4399 मीट्रिक टन डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उपलब्ध है। चम्बल फर्टिलाईजर एण्ड केमिकल्स लिमिटेड, गढेपान द्वारा प्रतिदिन 400 मैट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति निरन्तर की जा रही है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को समय पर उर्वरक उपलब्धता के प्रयास निरन्तर किए जा रहे हैं। साथ ही, विभाग द्वारा धान की खेती करने वाले किसानों को यूरिया के स्थान पर बहुउपयोगी एवं गुणकारी अमोनियम सल्फेट उपयोग में लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था मामला
हाड़ौती अंचल में खरीफ सीजन के बीच डीएपी खाद की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। जार्डन, मोरक्को, सऊदी अरब जैसे देशों से आने वाली डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की आपूर्ति में बाधा पड़ने के कारण किसानों को समय पर खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। डीएपी की कमी से अमोनिया और अन्य तत्वों की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है, जो मुख्य रूप से सऊदी अरब, कतर, ओमान और रूस से आयात होते हैं। स्थिति यह है कि डीएपी की कमी ने अब यूरिया की खपत पर भी दबाव बढ़ा दिया है। किसान विकल्प के तौर पर यूरिया पर अधिक निर्भर होने लगे हैं। इससे स्थानीय गोदामों और सहकारी समितियों पर यूरिया की मांग अचानक बढ़ गई है। मांग बढ़ने से कई स्थानों पर यूरिया का स्टॉक कम पड़ने लगा है, जिससे किसानों को लंबी कतारों में लगकर खाद लेने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है।
इनका कहना है
नर्मदा बायो केम की यूरिया, कृभको की डीएपी और इफको की यूरिया की नई रैक शनिवार को पहुंचेगी। इससे कोटा जिले को करीब 2600-2600 मीट्रिक टन अतिरिक्त यूरिया और डीएपी मिल सकेगा। जिले में निरन्तर यूरिया एवं डीएपी की आपूर्ति हो रही है। विभाग द्वारा धान की खेती करने वाले किसानों को यूरिया के स्थान पर बहुउपयोगी एवं गुणकारी अमोनियम सल्फेट उपयोग में लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
-अतीश कुमार शर्मा, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार

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