करोड़ों के साधन भरमार, काम के उपकरण बस दो चार

कोटा दक्षिण निगम के ये हैं हालात : 80 वार्डों के लिए मात्र पांच जेसीबी, उसमें भी एक खराब

करोड़ों के साधन भरमार, काम के उपकरण बस दो चार

निगम की हालत यह है कि उनके गैराज में मात्र 5 जेसीबी है। जिनमें से भी 1 खराब पड़ी हुई है।

कोटा। एक तरफ करोड़ों के साधनों की भरमार, लेकिन काम के उपकरण बस दो चार, यह हालात हैं कोटा नगर निगम के। निगम के पास करोड़ों रुपए की ऐसी मशीनें हैं जो कभी काम ही नहीं आई, लेकिन रोज मर्रा काम आने वाली जेसीबी और अन्य छोटे उपकरण तक काफी कम हैं। इस पर कर्मचारियों का सरकारी रवैया कोढ़ में खाज साबित हो रहा है। परिसीमन के बाद कोटा में दो नगर निगम उत्तर व दक्षिण बनाए गए। कोटा उत्तर में 70 व कोटा दक्षिण में 80 वार्ड हो गए। हर वार्ड में एक निर्वाचित पार्षद है। इनके अलावा दोनों निगमों में राज्य सरकार द्वारा मनोनीत 12-12 पार्षद भी है। ऐसे में कोटा उत्तर में 82 व कोटा दक्षिण में 92 पार्षद हैं। हर पार्षद को अपने वार्ड में सफाई के लिए रोजाना आवश्यक संसाधन चाहिए। वर्तमान में बरसात का सीजन चल रहा है। ऐसे में सबसे अधिक आवश्यकता नालों की सफाई व कचरा उठाने के लिए जेसीबी की पड़ रही है। लेकिन निगम की हालत यह है कि उनके गैराज में मात्र 5 जेसीबी है। जिनमें से भी 1 खराब पड़ी हुई है। 4 जेसीबी को 80 में से रोजाना एक चौथाई वार्डों में भी जरूरत पड़ रही है तो एक मशीन को रोजाना 20 वार्डो में जाना पड़ रहा है। ऐसे में मशीन किस तरह से काम कर रही है।

हर जगह आधा काम छोड़ना पड़ रहा
जेसीबी चालकों का कहना है कि जेसीबी की संख्या तो कम है और उसकी डिमांड करने वाले अधिक। ऐसे में जिस पार्षद या अधिकारी का फोन पहले आ जाता है वहां भेज देते हैं। कुछ देर वहां काम करने के बाद फिर दूसरी जगह चल जाते हैं। दिन में कई जगह एक साथ जाने पर खींचतान में अधिकतर जगह पर काम अधूरा छोड़ना पड़ रहा है। बचे हुए काम को अगले दिन जाकर पूरा कर रहे हैं। 

तालमेल की भी कमी, जनता परेशान
निगम के विभिन्न अनुभागों में आपसी तालमेल का भी अभाव है। किसी जगह पर नाला सफाई के लिए जेसीबी गई। वहां पेड़ सफाई में बाधक बनने पर उसकी छटाई  करवाने के लिए उद्यान अनुभाग से कर्मचारी भेजने पड़ते हैं। जेसीबी वाला पेड़ कटिंग वाले का इंतजार करना नहीं चाहता। एक दूसरे के आने में देरी होने पर वे काम अधूरा छोड़कर जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि छोटे-छोटे काम के लिए अधिकारियों को बार-बार कहना पड़ रहा है। उसके बाद भी काम नहीं हो रहे हैं। लोगों ने बताया कि नाला सफाई के साथ पेड़ की छंटनी करनी थी। उसके लिए  जेसीबी पहुंच गई तो टिपर नहीं पहुंचा। पेड़ काटने वाला आया तो कैंची लेकर नहीं पहुंचा। जो काम एक से डेढ़ घंटे का था उसमें पूरा दिन खराब हो गया। लोगों का कहना है कि निगम के विभिन्न अनुभागों में आपसी तालमेल व अधिकारियों की कमी के चलते जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

करोड़ों की मशीनें गैराज में 
नगर निगम कोटा उत्तर और दक्षिण में जहां सीवरेज सफाई से लेकर रोड स्वीपर मशीनों समेत कई संसाधनों की भरमार है।रोड स्वीपर ट्रायल के अलावा कभी चलती हुई नहीं दिखी। सीवरेज सफाई की एक चौथाई मशीनें भी काम नहीं आई। सुपर सकर का उपयोग बहुत कम हो रहा है। ये संसाधन निगम के गैराज में धूल खा रहे हैं।

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इनका कहना है
निगम के पास जेसीबी 5 ही है। उनमें से 1 खराब है। वार्ड में सफाई में सबसे अधिक इसी की जरूरत होती है। समिति की बैठक में नई 6 जेसीबी व अन्य जरूरी संसाधन खरीदने का प्रस्ताव लिया हुआ है। अधिकारियों को भी कहा जा चुका है। 80 पार्षदों की मांग पूरी नहीं होने से सभी के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। 
- कपिल शर्मा, अध्यक्ष, गैराज व्यवस्था समिति 

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जेसीबी की कमी है। जिससे इस बार नालों की सफाई का भी शिड्यूल बिगड़ गया है। जहां अधिक जरूरत होती है। वहां प्राथमिकता से भेजी जाती है। सेक्टर 4 समेत कई जगह पर नाला सफाई के लिए जेसीबी नहीं पहुंचने से वहां परेशानी है। इसका समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है। 
- पवन मीणा, उप महापौर नगर निगम दक्षिण

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निगम का क्षेत्र व दायरा काफी बढ़ा है। सफाई के लिए जेसीबी की सबसे अधिक जरूरत होती है। इसकी जानकारी की जाएगी कि अभी तक जेसीबी क्यों नहीं खरीदी गई। सीमित संसाधनों से सभी भी संतुष्ट करने व शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने का प्रयास किया जा रहा है। 
- राजेश डागा, कार्यवाहक आयुक्त नगर निगम कोटा दक्षिण 

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