चंबल सफारी में भ्रष्टाचार का खुलासा, टयूरिस्ट बोट चंबल में और पैसा जेब में
घड़ियाल सेंचुरी में सफारी को जा रही बोट, रिकॉर्ड में नहीं ले रहा मुकुंदरा प्रशासन
पर्यटकों से वसूला शुल्क सरकार के खाते में जमा करने के बजाए खुद की जेब भर रहे कर्मचारी
कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व द्वारा राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी में करवाई जा रही सफारी में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। पर्यटकों से वसूला जा रहा सफारी का पैसा सरकार के खाते में जमा करवाने के बजाए वन कर्मचारी खुद की जेब में भर रहे हैं। इसका खुलासा चंबल गार्डन स्थित नगर निगम की जेटी शुल्क पर्ची से हुआ है। हैरानी की बात यह है, चंबल में प्रतिदिन ट्यूरिस्ट बोट जा रही है, जिसे मुकुंदरा प्रशासन अपने रिकॉर्ड में नहीं ले रहा। इसकी वजह से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। दरअसल, हाल ही में चंबल घड़ियाल सेंचुरी में मिली अजगर और मगरमच्छ की लाश के मामले में मुकुंदरा डीएफओ द्वारा कहा गया था कि हमारे रिकॉर्ड के अनुसार, गत 10 फरवरी को चंबल सेंचुरी में एक भी ट्यूरिस्ट बोट नहीं गई थी। जबकि, इसी दिन 11 ट्यूरिस्ट को लेकर दो बोट चंबल गार्डन की जेटी से गरड़िया तक गई थी। ऐसे में नगर निगम कर्मचारी ने प्रति ट्यूरिस्ट 60 रुपए की दर से जेटी शुल्क की पर्ची काटी लेकिन वनकर्मियों ने सेंचुरी शुल्क की पर्ची नहीं काटी। इसकी वजह से डीएफओ को सरकारी रिकॉर्ड में 10 फरवरी को बोट जाने का सबूत नहीं मिला।
निगम ने काटी लेकिन फोरेस्ट ने नहीं काटी रसीद
डीएफओ द्वारा गत 10 फरवरी को एक भी ट्यूरिस्ट बोट चंबल सफारी को नहीं जाने का दावा किया तो नवज्योति ने इसकी पड़ताल की। जिसमें डीएफओ के दावे की पोल खुल गई। हुआ यूं, दस फरवरी को दो परिवार के 11 सदस्य सफारी के लिए चंबल गार्डन स्थित जेटी (बोट स्टेशन) पहुंचे थे। जहां तैनात नगर निगम कर्मचारी ने 60 रुपए प्रति व्यक्ति दर से 600 रुपए जेटी शुल्क वसूला। जिसकी रसीद भी दी गई। हालांकि, पर्यटकों में से एक बच्चा था, जिसका किराया नहीं लगता है। इसलिए 10 लोगों की ही रसीद काटी गई। जबकि, मौके पर मौजूद फोरेस्ट कर्मचारी ने प्रति 12 सीटर बोट के 1040 रुपए शुल्क के हिसाब से दो बोट के 2080 रुपए तथा प्रति व्यक्ति 153 रुपए के हिसाब से दस पर्यटकों से 1530 रुपए सेंचुरी प्रवेश शुल्क वसूला। लेकिन रसीद नहीं काटी और बिना रसीद के ही पर्यटकों को सफारी के लिए भेज दिया। यदि, फोरेस्ट कर्मचारी रसीद काटता तो विभाग के रिकॉर्ड में इसका आंकड़ा दर्ज होता। यही वजह है, मुकुंदरा डीएफओ को अपने रिकॉर्ड में गत 10 फरवरी को ट्यूरिस्ट बोट का सफारी पर जाने का रिकॉर्ड नहीं मिला।
बिना शुल्क के सफारी को नहीं जा सकती बोट
मुकुंदरा प्रशासन द्वारा कोटा से गरड़िया महादेव तक पर्यटकों को चंबल सफारी करवाई जाती है। इसके लिए चंबल गार्डन से वन विभाग की जेटी लगती है। जहां से बोट ऑपरेटर पर्यटकों को चंबल सफारी कराते हैं। चूंकी, चंबल गार्डन नगर निगम के अधीन है, इसलिए निगम पर्यटकों से जेटी शुल्क वसूलता है। वहीं, वन विभाग द्वारा सरकार द्वारा तय बोट किराया व पर्यटक शुल्क वसूला जाता है। जिसे सरकार के खाते में जमा कराना होता है। लेकिन, वनकर्मी कभी रसीद काटते हैं तो कभी बिना रसीद के ही बोट सफारी को भेज देते हैं। जबकि, फोरेस्ट का बोट ऑपरेटर्स के साथ हुए अनुबंध की शर्तों के तहत शुल्क लेने की रसीद बोट ऑपरेर्स दिए जाने के निर्देश हैं। इसके बादवजूद आॅपरेटर्स को रसीद नहीं दी जाती।
जांच हो तो खुले कई बड़े घोटाले
चंबल में अजगर-मगरमच्छ के शव मिलने का मामला उजागर हुआ तो भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ। यदि, अब तक के ट्यूरिस्ट बोट व पर्यटकों से वसूले गए सरकारी शुल्क में हेरफेर की जांच करवाई जाए तो कई घोटाले खुल सकते हैं। बता दें, सितम्बर 2024 से अब तक चंबल सफारी के लिए नियमित ट्यूरिस्ट बोट जा रही है और बिना शुल्क जमा करवाए विभाग बोट को सफारी के लिए जाने की परिमिशन नहीं दी जाती। वन्यजीव प्रेमियों का तर्क है, लंबे समय से बोट व ट्यूरिस्ट शुल्क में गड़बड़ियां की जा रही है। पहले भी शिकायत की थी लेकिन ध्यान नहीं दिया।
पर्यटक बोले-परिवार के साथ गए थे सफारी को
हम परिवार के 7 सदस्यों के साथ गत 10 फरवरी को चंबल सफारी के लिए सुबह 8 बजे करीब ट्यूरिस्ट बोट से गए थे। इस दौरान फिशिंग नेट में लिपटा अजगर का शव देखा था। वहीं, थोड़ा आगे मगरमच्छ की डेड बॉडी तैरती नजर आई थी। मछुआरे चंबल में उतरकर जाल लगाते हैं, जिसमें कई जलीय जीव मर जाते हैं। यह फोरेस्ट का फेल्योर है।
-यूसूफ, पर्यटक चंबल सफारी
हां 10 फरवरी को हम 4 जने चंबल सफारी के लिए ट्यूरिस्ट बोट से गरड़िया महादेव तक गए थे। इस दौरान हमें एक मगरमच्छ नदी किनारे मृत पड़ा हुआ नजर आया था। सफारी के लिए प्रति व्यक्ति 1800 रुपए किराया चुकाया था।
-डॉ. धनंजय, पर्यटक चंबल सफारी
इनका कहना है
एसीएफ को मामले की जांच दे रखी है, जिसकी रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह मामला भी अजगर-मगरमच्छ की डेडबॉडी मिलने वाले से ही जुड़ा है।
-सुगनाराम जाट, सीसीएफ मुकुंदरा
हमारे पास भी चंबल सफारी पर्यटकों का रिकॉर्ड होता है। लेकिन, 10 फरवरी को कोई भी ट्यूरिस्ट बोट से सफारी को नहीं गया। इसका डेटा हमारे रिकॉर्ड में नहीं है। यदि, ट्यूरिस्ट सफारी को बोट से जाते तो हमारे रजिस्टर में एंट्री होती।
-मूथूएस, डीएफओ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व
चंबल घड़ियाल सेंचुरी में लंबे समय से प्रवेश शुल्क की चोरी हो रही है। मैंने पूर्व सीसीएफ से शिकायत की थी। लेकिन, उन्होंने मामले को गम्भीरता से नहीं लिया, फिर सूचना का अधिकार के तहत इससे संबंधित सूचना चाही, जो मुकुंदरा डीएफओ ने आज तक उपलब्ध नहीं करवाई। जिम्मेदारों के इस आचरण से स्पष्ट है कि उनकी न तो गबन की जांच करने में दिलचस्पी है और न ही आरटीआई में पूर्ण दस्तावेज देने की। जबकि, इन दस्तावेजों से बड़े घोटाले उजागर हो सकते हैं। सरकार के राजस्व में गबन करने वाले कर्मचारी को तुरंत निलंबित करना चाहिए।
-तपेश्वर सिंह भाटी, पर्यावरणविद् एवं एडवोकेट
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