मरीजों के पलंग से घर ले जा रहे बीमारियां, पलंग पर बैठने से मरीज को परेशानी

अस्पताल के वार्डों में नहीं तीमारदारों के बैठने की बैंच

मरीजों के पलंग से घर ले जा रहे बीमारियां, पलंग पर बैठने से मरीज को परेशानी

तीमारदारों के बैठने की सुविधा नहीं होने से जमीन पर ही चादर बिछाकर बैठना पड़ रहा है।

कोटा। संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल के इनडोर वार्डों में मरीजों के लिए तो पलंग है। लेकिन उनके तीमारदारों के बैठने की कोई सुविधा नहीं है। जिससे अधिकतर तीमारदारों को मजबूरन मरीजों के पलंग पर ही बैठना पड़ रहा है। जिससे वे अस्पताल से अपने घर तक बीमारियों को ले जा रहे है। एमबीएस अस्पताल में जहां कोटा शहर ही नहीं दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों व रा’य  की सीमा से लगे मध्य प्रदेश के श्योपुर समेत अन्य जगहों तक के मरीज उपचार के लिए आ रहे है। उस अस्पताल में मरीजों को उनकी बीमारी के हिसाब से व ऑपरेशन के बाद भर्ती करने के लिए अलग-अलग इनडोर वार्ड बने हुए है। फिर चाहे पोस्ट आॅपरेटिव वार्ड हो या महिला सर्जीकल वार्ड। मेल सर्जिकल वार्ड हो या अस्थि वार्ड। ईएनटी वार्ड हो मेडिसिन वार्ड। इन वार्डों में मरीजों के लिए तो पर्याप्त संख्या में बैड लगे हुए है। लेकिन उन मरीजों की देखभाल के वहां रहने वाले परिजनों और तीमारदारों के बैठने के लिए वार्ड में बैंच या स्टूल तक नहीं है। ऐसे में या तो उन्हें घंटो तक खड़े रहना पड़ रहा हैया मजबूरन मरीज के पलंग पर बैठना पड़ रहा है।

पलंग पर बैठने से मरीज को परेशानी
मरीज के पलंग पर तीमारदारों के बैठने से जहां मरीजों को तो परेशानी होती ही है। वहीं उनका उपचार करने वाले मेडिकल स्टाफ को भी समस्या होती है।  इससे भी अधिक खतरनाक तीमारदारों का मरीज के पलंग पर बैठने से बीमारियों को अपने साथ ले जाना है। कुन्हाड़ी निवासी अनीता शर्मा ने बताया कि उनकी बेटी का आॅपरेशन होने से उसे महिला सर्जिकल वार्ड में भर्ती किया गया है। वहां उसके पास किसी न किसी का रहना जरूरी है। बीमारी की सूचना मिलने पर उसे देखने भी रिश्तेदार व परिजन आ रहे है। लेकिन वहां उनके बैठने के लिए नतो स्टूल है और न ही बैंच। लोग अधिक देर तक खड़े भी नहीं रह सकते। ऐसे में उन्हें मजबूरन मरीज के पलंग पर ही बैठना पड़ रहा है। वहीं रात को या तो जमीन पर सोना पड़ा या बेटी के पास ही पलंग पर। जिससे अस्पताल की बीमारी घर लेकर जाने से कम नहीं है। भीमगंजमंडी निवासी राधश्याम बैरवा ने बताया कि उनके पिता के पैर में फ्रेक्चर होने पर उनका आॅपरेशन हुआ है। उन्हें अस्थि वार्ड में भर्ती किया गया। लेकिन वहां तीमारदारों के बैठने की सुविधा नहीं होने से जमीन पर ही चादर बिछाकर बैठना पड़ रहा है। जबकि पहले हर पलंग के साथ बैंच व स्टूल होता था। उन सभी को हटा दिया है। 

इमरजेंसी वार्ड में हर पलंग पर बैंच
वहीं उसी अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में हर पलंग के साथ बैंच लगी हुई है। जिस पर तीमारदार आराम से कुछ देर बैठ भी सकते हैं और मरीज से संबंधित सामान भी रख सकते है। लोगों ने बताया कि इसी तरह की सुविधा इनडोर वार्ड में भी होनी चाहिए। जिससे मरीज के पलंग पर नहीं बैठना पड़े। 

इनका कहना है
इनडोर वार्ड में मरीजों को देखने कई लोग आते है। वहां यदि बैठने की बैंच या स्टूल रखेंगे तो वे घंटी तक वहां से नहीं जाते है। जबकि वार्ड में मरीज के पास भीड़ लगाना गलत है। वार्ड के बाहर गैलेरी में बैंचे लगी हुई है। वहां बैठने की सुविधा है। जबकि इमरजेंसी में गम्भीर मरीज आते है। उनके साथ लोग भीअधिक रहते है। हालांकि वहां कुछ देर के लिए  ही मरीज रहते है। इस कारण से हवां बैंचे लगाई हुई है। हालांकि प्रयास कर रहे हैं कि अस्पताल में तीमारदारों के बैठने कीअलग से व्यवस्था की जाए। 
- डॉ. धर्मराज मीणा, अधीक्षक एमबीएस अस्पताल

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