चिकित्सा सुविधाओं की कमी नहीं, रेगुलेटरी सिस्टम में खामियां

बड़े अस्पतालों में प्रेशर ज्यादा, इसे पीएचसी, सीएचसी में डायवर्ट करने की जरूरत

चिकित्सा सुविधाओं की कमी नहीं, रेगुलेटरी सिस्टम में खामियां

डॉक्टर व मरीज के मध्य संबंधों को ठीक करने की जरूरत, सरकारी ही नहीं निजी अस्पताल भी काउंसलर और हेल्प डेस्क को मजबूत करें।

कोटा । दैनिक नवज्योति कार्यालय में होने वाली मासिक परिचर्चा की श्रंखला में बुधवार को चिकित्सा व्यवस्था पर चर्चा की गई। आर क्वालिटी हेल्थकेयर फैसिलिटी इजीली असेसिबल टू एवरी वन इन कोटा विषय पर आयोजित इस परिचर्चा में गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवा आसानी से लोगों को उपलब्ध हो रही हैं अथवा नहीं। पर चर्चा की गई। परिचर्चा में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों ने सुधार के सुझाव और खराब स्थितियों से होने वाली व्यवस्था पर भी प्रकाश डाला। परिचर्चा में सामने आया कि शहर ही नहीं ग्रामीण इलाकों तक चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन सिस्टम की कमी है। पीएचसी,सीएचसी होने के बावजूद लोग बड़े अस्पताल की ओर मुंह करते हैं। इससे सारा भार बड़े अस्पतालों पर पड़ता है और सारी व्यवस्था तहस-नहस हो जाती है। इस व्यवस्था को बिगाडने में केवल आम लोग ही नहीं मरीज, चिकित्सा व्यवस्था से जुड़े  सभी लोग शामिल हैं। इसके लिए जागरुकता आनी चाहिए। अस्पतालों में काउंसलर और हेल्प डेस्क के साथ पूछताछ और इमरजेंसी सेवा की खामियों को भी पुखता करने की आवश्यकता है। इस परिचर्चा में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य,आईएमए के अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष, सीएमएचओ के अधिकृत प्रतिनिधि,श्री राम मंदिर चिकित्सालय के सभापति, नर्सिंंग कॉलेज के डायरेक्टर,सहायक कर्मचारियों के अध्यक्ष, कोटा हार्ट अस्पताल,भाजपा चिकित्सा प्रकोेष्ठ के संयोजक,पैथालाजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट,नर्सिंग सहित मरीज और उनके तीमारदारों ने भी हिस्सा लिया। प्रस्तुत हैं परिचर्चा के अंश... 

मुख्य बिंदु
- पीएचसी, सीएचसी जिला अस्पताल की सेवाओं को मजबूत करने की आवश्यकता। 
- अस्पतालों में बने हेल्पडेस्क।  ल्ल मरीज को सिंगल विंडो पर ही मिले सारी सुविधा
- इमजेंसी सेवाओं को बेहतर बनाने की आवश्यकता। 
- डॉक्टर व मरीज के बीच का संवाद बेहतर हो। 
- अस्पताल की वेबसाइट बने जिस अस्पताल का पूरा विवरण, डॉक्टरों ओपीडी डे, सुविधा हो जानकारी
- अस्पतालों में लगने वाली कतार व्यवस्था सुधार हो।
- डॉक्टर से मिलने के लिए आॅनलाइन रजिस्टेशन हो साथ ही बैक की तर्ज पर टोकन सुविधा हो।
- हेल्पडेस्क के साथ अस्पतालों में काउंसलर लगाए जो मरीजों बीमारी के लिए गाइड कर सकें। 
- अस्पताल की सुविधाओं को ब्रोशर होना चाहिए।
- रेफर सिस्टम में सुधार की आश्यकता है। 
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का उपयोग कम हो रहा है, जिससे बड़े अस्पतालों भीड़ बढ़ रही है।
-  मरीज को डॉक्टर के पहुंचने के लिए एक चेनल की आवश्यकता है।
- आम आदमी को बीमार पड़ने नहीं है हक
- दवा जांच से चल रहे कमीशन के अंकुश लिए कानून बनना चाहिए। 
- रजिस्टर्ड व एमडी पैथेलॉजिस्ट से ही जांच हो, बिना लाइसेंस के चल रही जांच केंद्र लगें अंकुश
- सरकारी योजनाओं को ठीक से क्रियान्वयन हो तभी आम आदमी तक सुलभ व सस्ता इलाज मिलेगा।

प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता
कोटा में सस्ती, सुलभ और गुणवत्ता युक्त चिकित्सा व्यवस्था मौजूद है। आम आदमी इन सुविधाओं को ठीक से उपयोग नहीं कर पा रहा है। इसके लिए उचित माध्यम को ठीक करने की आवश्यकता है। जब तक प्राथमिक स्तर की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार नहीं होगा तब तक अस्पतालों में लंबी कतारें लगेंगी। प्राथमिक स्तर पर ही लोगों इलाज मिलेगा तो बड़े अस्पतालों में भीड़ कम होगी तो सुपर स्पेशियलेटी सुविधा लोगों को बेहतर तरीके से मिल सकेंगी। अभी लोग प्राथमिक स्तर की बीमारियों के लिए भी बड़े अस्पतालों में दौड़ लगा रहे हैं। अस्पताल में लोगों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। अस्पताल में मरीज को हेल्प डेस्क और काउंसलर की आवश्यकता है। उसको यह ही पता नहीं उसको जाना किस डॉक्टर के पास है। 
-डॉ. के श्रृंगी, एमआईए अध्यक्ष कोटा

इमरजेंसी सुविधाओं को बेहतर बनाने की आवश्यकता
वर्तमान में कोटा में आमजन के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध है। यहां मरीज के पास अस्पताल से लेकर स्पेशलिस्ट डॉक्टर चुनने की सुविधा है।  आमजन को बीमारी का इलाज कराने के लिए कई विकल्प उपलब्ध है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और खासतौर से मुख्यमंत्री आरोग्य योजना मां योजना में 85 प्रतिशत लोग कवर है। बाकी शेष लोग आरजीएचएस में कवर, मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी योजना में सभी लोग कवर है।  चिकित्सा सुविधा पूरी है लेकिन लोगों का अस्पताल में अनुभव कैसा रहा है इसी पर सारा सिस्टम चलता है। डॉक्टर ने मरीज को इलाज के दौरान कैसा फील कराया यह मायने रखता है। लोगों में कम्युनिकेशन और इमजेंसी में मरीज को ठीक से सुविधा युक्त इलाज मिल जाए तो यहां किसी चीज की कमी नहीं है। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के लिए एमडी स्तर के काउंसर हों जो मरीज से ठीक से संप्रेषण कर सकें। 
-डॉ. विजय सरदाना, पूर्व प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज कोटा।

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व्यवस्था में सुधार की जरूरत 
आमजन को कोटा में और शहरों की अपेक्षा बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल रही है। यहां संसाधन की कोई कमी नहीं है। मरीज के पास इलाज के लिए मल्टीपल चॉइस है। अलग अलग बीमारी के लिए सर्व सुविधाओं से लेस सरकारी व निजी अस्पताल मौजूद है। अन्य शहरों में कोटा में इलाज सस्ता है। उसके बावजूद मरीज संतुष्ट नहीं हो पा रहा है। मरीज  अपने को  जांच, इलाज के नाम पर ठगा ठगा सा महसूस करता है पीएचसी व सीएचसी स्तर पर सुविधाएं बेहतर करने की आवश्यकता है। सरकार की ओर से कई योजनाए चलाई जा रही जिससे आमजन को सस्ता और सुलभ इलाज मिल रहा है। चिकित्सक व मरीज में संप्रेषण अच्छा करने की आवश्यकता है। निजी व सरकारी डॉक्टर को अपने पैसे को इमानदारी से करने की आवश्यकता है। डाक्टरों पर बेवजह तोहमत लगाई जाती है। व्यवस्था की खामियां चिकित्सकों को भुगतनी पड़ती हैं। 
-डॉ. सुधीर उपाध्याय सभापति श्रीराम मंदिर चिकित्सालय

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कोटा में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता आसान
विदेशों की तुलना में देश और कोटा में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता काफी आसान है। यहां मरीज अपनी पसंद के डॉक्टर व अस्पताल में कम से कम खर्च में बेहतर उपचार ले सकता है। डॉक्टर भी आसानी से मरीज की एप्रोच में हैं। कई बार मरीज के एनवक्त पर आने से उसे सही उपचार मिलने में देरी हो सकती है। डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ के पास कार्यभार अधिक होने से परिस्थितिवश विवाद की स्थिति बन सकती है। जो लोग परेशान होते हैं वह अज्ञानता व जागरूकता की कमी के कारण होते है। अस्पतालों में हैल्प डेस्क बनाई जाएं और सरकारी योजनाओं को सही ढंग से लागू कर दिया जाए तो कोटा जैसी स्वास्थ्य सेवाएं कहीं नहीं हैं। कोरोना में कोटा जैसी मेडिकल सुविधाएं कहीं नहीं मिली। 
-डॉ. अमित व्यास, संयोजक, भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ

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प्रशिक्षित स्टाफ की कमी, सुविधाओं का लाभ नहीं
कोटा संभागीय मुख्यालय है। यहां मेडिकल कॉलेज व सुपर स्पेशलिटी जैसे अस्पताल है। डॉक्टर भी विशेषज्ञ हैं। लेकिन कई बार सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ के प्रशिक्षित नहीं होने से मरीजों को सही उपचार नहीं मिल पाता है। जिससे मरीजों को उपचार कम और दर्द अधिक  सहना पड़ता है। साथ ही सरकार की योजनाएं भी हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों में अधिकतर समय जांच मशीनें खराब होने से मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पाता है। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने व आम आदमी की पहुंच तक बनाने के लिए व्यवस्थाओं में सुधार करने की जरूरत है। 
-मधु ललित बाहेती, अध्यक्ष लॉयंस क्लब कोटा सेंट्रल

 गांव से लेकर शहर तक चिकित्सा सुविधाएं बेहतर हुई
चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं को काफी बेहतर किया है। पीएचसी व सीएचसी पर अब सीजेरियन आॅपरेशन होने लगे हैं। साथ ही शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर से लेकर जांचों की सुविधाएं पूरी उपलब्ध है। उपस्वास्थ्य केंद्र,पीएचसी सीएचसी पर जांच इलाज और भर्ती करने सुविधाएं है। लोग बेहतर के चक्कर में शहर के बड़े अस्पतालों की ओर आते है।  प्राथमिक स्तर पर सोनोग्राफी, एक्सरे और सभी प्रकार की जांचे तक उपलब्ध हैं। सरकार ने विशेषज्ञ डॉक्टर भी सीएचसी पीएचसी पर लगा रखे हंै। सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को आमजन तक बेहतर तरीके से पहुंचाया जा रहा है। टीकाकरण से लेकर बच्चों के स्वास्थ्य गर्भवती महिलाओं सोनोग्राफी के लिए वाउचर जैसी सुविधा से काफी लाभ मिल रहा है। 
-डॉ. अनिल मीणा, एसएमडी सीएमएचओ आॅफिस

नर्सिंग स्टाफ का समय-समय पर हो प्रशिक्षण
सरकारी और निजी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ कोर्स करने के बाद ही लगते हैं। लेकिन समय-समय पर उनका रिफ्रेशर कोर्स व प्रशिक्षण किया जाना आवश्यक है। जबकि कोर्स में प्रावधान है। लेकिन कई बार किसी कारणवश स्टाफ की गलती के कारण मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ता है तो उससे पूरे अस्पताल की छवि पर प्रभाव पड़ता है। यदि ट्रेनिंग में उन्हें उनके काम के साथ-साथ मरीज को हैंडल करना भी सिखाया जाएगा तो जो छोटी-छोटी समस्याएं आती हैं उनका समाधान हो जाएगा। 
-डॉ. सुधीश शर्मा, डायरेक्टर नर्सिंग कॉलेज

लोगों में जागरूकता की कमी
कोटा में स्वास्थ्य सेवाएं अन्य शहरों की तुलना में काफी बेहतर है। लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी है। जिसके कारण कई बार बीमारी में उन्हें परेशान होना पड़ता है। शहर के लोगों को तो डॉक्टर से लेकर मेडिकल स्टोर तक की जानकारी है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को सही जानकारी नहीं होने से वे मेडिकल स्टोर  पर जाकर अच्छे डॉक्टरों की जानकारी लेते है।  वहीं जहां तक दवाई का सवाल है दवाईयां अधिकतर जिस डॉक्टर को दिखाया उसके नजदीक मेडिकल स्टोर पर ही मिलती है।  लेकिन जब मरीज को उसकी सुविधा अनुसार जगह पर दवाई नहीं मिलती तो वह परेशान होता है। दवाईयां ऐसी लिखी जाएं जिनकी उपलब्धता आसान होगी तो मरीज की आधी परेशानी दूर हो जाती है। मरीज पैसा खर्च करने को तैयार है लेकिन वह सही उपचार व दवाई चाहता है जिससे वह समय रहते ठीक हो सके। इसके लिए व्यवस्था  में थोड़े सुधार की जरूरत है। 
-भजन भगवानी, मेडिकल शॉप आनर,सह संयोजक चिकित्सा प्रकोष्ठ

ओपीडी क्रिएटिव होनी चाहिए
अस्पताल में मरीज ओपीडी में आए तो उसको गुड फिल होना चाहिए। अस्पतालों की ओपीडी क्रिएटिव होनी चाहिए। हेल्दी वातावरण मरीज को मिलेगा तो आधी बीमारी वैसे ही ठीक हो जाएगी। डॉक्टर को मरीज की केस हिस्ट्री लेने के दौरान मरीज को सकारात्क करना जरूरी है। जिससे मरीज का डॉक्टर पर विश्वास बढ़ता है। मरीज बेहतर सुविधा और बेहतर इलाज में विश्वास करता है। वो अस्पताल में शत प्रतिशत अटेंशन की अपेक्षा के साथ आता उसकी अपेक्षा में खरा उतरने की जरुरत है। 
-डॉ. अभिषेक राठौड़, न्यूरोलोजिस्ट कोटा हार्ट

शुरुआत में सुविधा मिलेगी तो नहीं होंगे मरीज परेशान
सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या तो काफी अधिक रहती है। उनमें अधिकतर गम्भीर व एक्सीडेंट वाले भी होते है। जिन्हें सबसे पहले स्ट्रेचर की जरूरत होती है। लेकिन वही पर्याप्त नहीं होने से मरीजो की परेशानी उसी से बढ़ने लगती है। जबकि स्ट्रेचर चलाने से लेकर संविदा पर कार्यरत अन्य कर्मचारी कम मानदेय मिलने पर भी सेवाएं देता है। लेकिन संवेदक द्वारा समय पर मानदेय तक नहीं देने से उनकी समस्याएं अधिक हो जाती है। जिस कारण से संविदा कर्मियों को मजबूरन हड़ताल करनी पड़ती है। मरीज को यदि शुरुआत में ही सुुविधाएं बेहतर मिलने लगेंगी तो किसी तरह की समस्या ही नहीं होगी। 
-दिलीप सिंगोर, जिलाध्यक्ष ठेका संघ, मेडिकल कॉलेज कोटा 

मरीज व डॉक्टर के रिश्ते मधुर होने चाहिए
कोटा के सरकारी व निजी अस्पतालों में अन्य जिलों से चिकित्सा व्यवस्थाएं काफी बेहतर है। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और जयपुर में होने वाले जटिल आॅपरेशन कोटा में कम खर्च में हो जाते है। जिससे मरीजों की बड़े शहरों की दौड़ कम हुई है। हार्ट, किडनी, कैंसर जैसी बीमारियों का कोटा में मरीजों को बेहतर इलाज मिल रहा है। कोटा में डॉक्टर और मरीज के रिश्ते मधुर होने चाहिए। साथ अस्पतालों काउंसर और नर्सिंग स्टॉफ समय समय पर ट्रेनिंग कराकर चिकित्सा सुविधाओं हुए नवाचार लिए प्रशिक्षत करना चाहिए। 
-डॉ. ओमप्रकाश धाकड़, कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट

दस साल में स्वास्थ्य सेवाओं में हुआ सुधार
देश और विशेष रूप से कोटा में दस साल पहले और वर्तमान की स्वास्थ्य सेवाओं में जमीन आसमान का अंतर है। पहले की तुलना में वर्तमान में स्वास्थ्य सेवाएं कोटा में बेहतर हुई है। केन्द्र व  व राज्य सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में खूब खर्चा कर रही है। यहां जांच के लिए एक से बढ़कर एक प्रयोगशालाएं हैं। जहां बिना पैथोलोजिस्ट के हस्ताक्षर के जांच रिपोर्ट नहीं दी जाती। यह जरूर है कि लैब अधिक हैं और उनमें प्रशिक्षत टैक् नीशियन की कमी हो सकती है। यह पेशा विश्वास का है। 2014 से पहले जहां देश में 6 करोड़ लोगों की मौत इलाज नहीं मिलने के कारण हो जाती  थी। वैसे स्थिति अभी नहीं है। कोटा में डॉक्टरों की उपलब्धता से लेकर जांच तक की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो रही हैं।  
-डॉ. गोपाल सिंह भाटी, पैथोलोजिस्ट इंडिपेंडेंट डायरेक्टर सेल इंडिया

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