गले से नीचे भी नहीं उतरती पतली दाल और सूखी रोटी
कोटा शहर में मिल डे मील के हाल : दो दिन मिलती है दाल रोटी,दो दिन सब्जी रोटी, दो दिन दाल-चावल अथवा खिचड़ी, ज्यादातर बच्चे घर से ला रहे खाना
कोटा के अधिकतर सरकारी स्कूलों में मिलने वाला मिड-डे मील का भोजन बच्चे नहीं पा रहे। वजह हैं भोजन का स्वादिष्ट नहीं होना। दैनिक नवज्योति की टीम ने कोटा शहर के सरकारी स्कूलों में चल रही मिड-डे मील रसोई का निरीक्षण किया और खुद बच्चों से जाना कि मिड-डे मील का यह भोजन उन्हें क्यों नहीं भा रहा।
कोटा। बच्चों में पोषण बढ़ाने और उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए सरकार के अथक प्रयास करने के बावजूद स्कूलों में मिड डे मील में ज्यादातर बच्चों को दाल-रोटी ही परोसी जाती हैं। नियमित रुप से दाल, रोटी खाने से बच्चों का मन भर जाता हैं। बच्चों को रोजाना 100 से 150 ग्राम अनाज, 20 से 30 ग्राम दाले देने का दावा किया जाता है। इनसे बच्चों को 450 से 700 ग्राम कैलोरी व 12 से 20 ग्राम प्रोटीन मिलना चाहिए। लेकिन अधिकतर स्कूलों में ऐसा नहीं हो रहा है। ज्यादातर में छोटी सी कटोरी में पानी से भरी दाल और बिना घी लगी रोटियां दी जाती हैं। खिचड़ी की भी यही स्थिति होती है। बेस्वाद भोजन मिलने से अधिकतर बच्चे अपने घरों से भोजन लेकर आते हैं। बच्चे मिड-डे मील में मिला भोजन आधा भी नहीं खा पाते हैं। ऐसे में पूरी मात्रा में प्रोटीन व कैलोरी देकर बच्चों में पोषण मेंटेन करने की बात बेमानी लगती है। स्कूलों का नया शैक्षिक सत्र 1 जुलाई से शुरू हो चुका हैं। स्कूलों में धीरे-धीरे बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी हैं। मगर सत्र के शुरूआत में ही मिड-डे मील योजना में बनने वाले भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। कोटा के अधिकतर सरकारी स्कूलों में मिलने वाला मिड-डे मील का भोजन बच्चे नहीं पा रहे। वजह हैं भोजन का स्वादिष्ट नहीं होना। दैनिक नवज्योति की टीम ने कोटा शहर के सरकारी स्कूलों में चल रही मिड-डे मील रसोई का निरीक्षण किया और खुद बच्चों से जाना कि मिड-डे मील का यह भोजन उन्हें क्यों नहीं भा रहा।
दाल में पानी, रोटी पतली
खेड़ली पुरोहित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में मिड-डे मील का भोजन खाने वाले 150 से ज्यादा बच्चे हैं। लेकिन विद्यालय में सिर्फ 15 से 20 बच्चे ही खाना खाते हुए दिखाई दिए। इन बच्चों में अधिकतर के पास खाने के टिफिन थे, जो घर से लाए गए थे। बच्चों के पास टिफिन में परांठे व पौष्टिक भोजन था। बात करने पर बच्चों ने बताया कि मिड-डे का खाना उन्हें अच्छा नहीं लगता। भोजन में अधिकतर जगह रोटी पतली व छोटी बनाई जा रही हैं। दाल में भी ज्यादा पानी होता हैं।
पांच लीटर के कुकर में दाल, खाने वाले 70 बच्चे
नयापुरा स्थित कायन हाउस राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में 70 बच्चों के लिए 5 किलो के कुक्कर में दाल बन रही थी। शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को एक सौ ग्राम अनाज व 20 से 30 ग्राम दाल व कक्षा 6 से 8 वीं क्लास तक के बच्चों को डेढ़ सौ ग्राम अनाज व दाल दी जाती हैं। स्कूलों में दिए जाने वाले पोषहर के लिए छोटी थालियों में 10 से 15 ग्राम दाल मुश्किल से दी जाती हैं।
सूखी रोटियां, कैसे खाएं
राजकीय माध्यमिक विद्यालय भटापाड़ा गांवडी, कोटा में बच्चे खाना खाने के बाद प्लेटें धोते हुए दिखाई दिए। इन जूठी थालियों को बच्चे बिना कोई साबुन, सर्फ के धोकर टोकरी में रख रहे थे। अगले दिन फिर इसी थाली में खाना खाएंगे। पानी से थाली धोने से इनमें चिकनाहट नहीं जाती । बच्चों का कहना है कि मिड-डे मील की रोटी बिना घी के सूखी व पतली होती हैं। रोटी थोड़ा समय पड़ी रहने के बाद हवा लगने से सूख जाती हैं, जिसे दांतो से चबाकर खाना मुश्किल हो जाता हैं।
सप्ताह में केवल एक दिन मिलता है एक केला
शिक्षा विभाग के अनुसार प्रारम्भिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को सप्ताह में किसी भी एक दिन वेजिटेबल व फ्रूट्स देना अनिवार्य किया गया हैं। इसमें बिस्किट भी शामिल हैं। इसके लिए निर्धारित पांच रुपए का फल मौसम के अनुसार देना हैं। लेकिन विद्यालयों में केवल एक केला दिया जाता हैं। कभी-कभी तो वो भी नहीं मिल पाता।
नहीं चखा जाता खाना
शिक्षा विभाग ने बच्चों को खाना परोसने से पहले उसे चखने के निर्देश दिए हैं। खाने को रसोइया व स्कूल के प्रधानाध्यापक चखेंगें। इसके साथ ही अभिवावकों भी खाना चखकर देखना होगा। इसके बाद खाने की गुणवत्ता व स्वाद के बारे में रजिस्टर पंजी में अंकित करना होता हैं। लेकिल विद्यालयों में यह व्यवस्था नहीं देखने को मिली। खाना गैस-चूल्हे से उतारकर बिना कोई टेस्ट किए सीधा बच्चों को परोसा जा रहा था।
| सरकार द्वारा दी जा रही खाद्यान की निर्धारित मात्रा | |
| खाद्यान का नाम | प्राथमिक उच्च प्राथमिक |
| अनाज जैसे गेहूं चावल | 100 ग्राम 150 ग्राम |
| दालें | 20 ग्राम 30 ग्राम |
| सब्जियां | 50 ग्राम 75 ग्राम |
| घी /तेल इत्यादि | 5 मिली 7.50 मिली |
| कम से कम कैलोरी | 450 कि.कैलोरी 700 कि.कैलोरी |
| कम से कम प्रोटीन | 12 ग्राम 20 ग्राम |
| वास्तव में बच्चे खा रहे भोजन | ||
| खाद्यान का नाम | प्राथमिक | उच्च प्राथमिक |
| अनाज जैसे गेहूं चावल | 50 से 60 ग्राम | 100 ग्राम |
| दालें | 10 से 15 ग्राम | 15 से 20 ग्राम |
| सब्जियां | 15 ग्राम | 20 ग्राम |
| घी /तेल इत्यादि | 5 मिली | 7.50 मिली |
| कम से कम कैलोरी | 200 कि.कैलोरी | 250 कि.कैलोरी |
| कम से कम प्रोटीन | 6 से 7 ग्राम | 10 ग्राम |
मिड-डे मील में बच्चों को गुणवतापूर्वक अच्छा खाना परोसा जाता हैं। खाना परोसते समय सफाई व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जाता हैं। बच्चे मिड-डे मील में ज्यादा खाना पंसद करते हैंं। कुछ बच्चे स्कूल में टिफिन लाना पंसद करते हैं। ऐसी कोई बात नहीं हैं। सभी स्कूलों में अच्छा खाना दिया जा रहा है। - केके शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, प्रा.शिक्षा

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