बायोलॉजिकल पार्क में जल्द गूंजेगी टाइगर की दहाड़
मध्यप्रदेश से बाघ-बाघिन का जोड़ा लाने की कवायद तेज
वन्यजीव विभाग बड़े एनिमल लाने की तैयारी में जुटा है।
कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में युवा बाघ-बाघिन का जोड़ा लाने की कवायद तेज हो गई है। वन्यजीव विभाग की ओर से प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक व भोपाल चिड़ियाघर प्रशासन को पत्र भेजा जा चुका है। अब भोपाल-जू प्रशासन की स्वीकृति का इंतजार है। वहां से रजामंदी मिलने के बाद सेंट्रल-जू आॅथोरिटी से भी शिफ्टिंग को लेकर हरी झंडी मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि, कोटा वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट स्वीकृति मिलने की उम्मीद जता रहा है। गौरतलब है कि अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बाघ नाहर की मौत व लॉयन नहीं होने से पार्क के राजस्व पर विपरीत असर पड़ रहा है। ऐसे में वन्यजीव विभाग बड़े एनिमल लाने की तैयारी में जुटा है।
भोपाल-जू से 4 से 6 वर्ष का जोड़ा लाना प्राथमिकता
वन्यजीव विभाग के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि भोपाल चिड़ियाघर में अच्छी संख्या में बाघ-बाघिन हैं। वहां से कम उम्र का ही जोड़ा लाना प्राथमिकता है। हमारी कोशिश है कि 4 से 6 वर्ष के बीच आयु के बाघ-बाघिन लाने की है। ताकि, ब्रिडिंग होने से बायोलॉजिकल पार्क में इनकी संख्या में इजाफा हो सके और भविष्य में यहां बाघों का कुनबा पनप सके। इस संबंध में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र लिखा जा चुका है। भोपाल चिड़ियाघर के अधिकारियों को भी प्रस्ताव भेजा है।
सुहासिनी के लिए भी ढूंढा जा रहा जोड़ा
डीएफओ भटनागर ने कहा, उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क प्रशासन द्वारा लॉयन देने से इंकार किए जाने के बाद देश के अन्य राज्यों के चिड़ियाघर में लॉयन की तलाश की जा रही है। ताकि, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में रह रही लॉयनेस सुहासिनी का जोड़ा बनाया जा सके। डेढ़ साल से एकाकी जीवन बिता रही है। इसी तरह करीब 8 माह से बाघिन महक भी अकेली ही रह रही है। गौरतलब है कि, सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क ने लॉयन सफारी शुरू किए जाने का हवाला देते हुए लॉयन देने से मना दिया था। ऐसे में एक लॉयन अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को मिले, इसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को फिर से पत्र लिखा गया है।
फुर्ति दिखाते तो 2 साल पहले ही आ जाता लॉयन
जानकारी के अनुसार, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में लॉयनेस व लॉयन का जोड़ा लाने की तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर से स्वीकृति दिसम्बर 2022 में ही मिल गई थी। वहीं, उदयपुर सज्जनगढ़ से भी हाईब्रिड लॉयन अली को दिए जाने की हरी झंडी मिल गई थी। लेकिन, कोटा वन्यजीव विभाग के तत्कालीन अधिकारी स्वीकृति मिलने के दो साल बाद भी केंद्रिय चिड़ियाघर प्राधिकरण से शिफ्टिंग की स्वीकृति नहीं ले सके। जिसकी वजह से शिफ्टिंग में अनावश्यक देरी होती रही। इसका नतीजा यह रहा कि सज्जनगढ़ में लॉयन सफारी शुरू किए जाने के चलते उदयपुर वन्यजीव विभाग ने कोटा को लॉयन देने में असमर्थता जाहिर कर दी।
इधर, शहरी रूट पर डेढ़ साल बाद भी शुरू नहीं हुई सफारी
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बोराबास रेंज शहरी सीमा से सटी है। रावतभाटा रोड स्थित दौलतगंज के सामने जंगल में सफारी का रुट तय है। इसके बावजूद मुकुंदरा प्रशासन डेढ़ साल बाद भी जंगल सफारी शुरू नहीं कर पाया। जबकि, दरा अभयारणय शहर से करीब 70 किमी दूर है। वहीं, सफारी रूट में टाइगर भी नहीं है। ऐसे में पर्यटकों सफारी के लिए दरा सेंचुरी में जाने में रुचि नहीं दिखाते।
लॉयन-टाइगर नहीं होने से घटा पर्यटकों का रुझान
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, लॉयन व टाइगर जैसे बड़े एनीमल नहीं होने से न केवल अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क की सालाना इनकम पर विपरीत असर पड़ रहा है बल्कि पर्यटकों का रुझान में भी गिरावट दर्ज हो रही है। जनवरी 2023 से 14 अक्टूबर 2024 तक बायोलॉजिकल पार्क को 63 लाख 25 हजार 82 रुपए का ही राजस्व एकत्रित हुआ है। राजस्व का यह आंकड़ा करीब दो साल का है। जबकि, वर्ष 2022 में ही राजस्व करीब 40 से 45 लाख रुपए था। ऐसे में राजस्व में इजाफा हो,इसके लिए बड़े एनिमल लाए जाना चाहिए।
पर्यटक बोले-चिड़ियाघर के जानवरों की हो शिफ्टिंग
छत्रपुरा, संजय नगर निवासी इरशाद अंसारी व बिलाल खान ने बताया कि नयापुरा स्थित चिड़ियाघर में करीब दो दर्जन से अधिक वन्यजीव हैं, जिन्हें बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया जाना चाहिए। ताकि, पर्यटकों को मगरमच्छ, घड़ियाल, अजगर, पहाड़ी कछुए, लव बर्ड्स, सारस, बोनट प्रजाती के बंदर देखने को मिल सके। महावीर नगर निवासी ऋषि कुमार, भावेश, जितेंद्र मीणा कहते हैं, यदि, चिड़ियाघर के जानवरों को बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट न करें तो चिड़ियाघर के दरवाजे पर्यटकों के लिए खोल दिए जाना चाहिए। ताकि, शहरवासियों को नांता जाना न पड़े और जू में पर्यटक आएंगे तो सरकार को राजस्व भी मिल सकेगा।
इनका कहना
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में भोपाल चिड़ियाघर से युवा बाघ-बाघिन का जोड़ा लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक व भोपाल चिड़ियाघर अधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका है। साथ ही सीसीएफ कोटा को भी प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं।
-अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग
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