अनूठी पहल : मृत्यु भोज नहीं, शिक्षा ही सच्ची श्रद्धांजलि, शिक्षा मिलेगी तो आने वाली पीढ़ियां मजबूत बनेगी

अतिरिक्त जिला शिक्षाधिकारी रामचरण ने कायम की मिसाल

अनूठी पहल : मृत्यु भोज नहीं, शिक्षा ही सच्ची श्रद्धांजलि, शिक्षा मिलेगी तो आने वाली पीढ़ियां मजबूत बनेगी

विद्यार्थियों के विकास को स्कूल को भेंट किए 1.21 लाख रुपए, समाज में जगाई चेतना।

कोटा। मृत्यु भोज जैसी परम्पराओं को तोड़कर शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर कोटा के अतिरिक्त जिला शिक्षाधिकारी ने अनुकरणीय मिसाल कायम की है। जिले के मुंगेना गांव में शिक्षा अधिकारी रामचरण मीणा ने अपने पिता कन्हैयालाल मीणा की स्मृति में मृत्यु भोज कराने के बजाय विद्यालय विकास और विद्यार्थियों की शैक्षणिक उन्नति के लिए 1.21 लाख रुपए की सहयोग राशि भेंट कर समाज के सामने बदलाव की नई चेतना जाग्रत की है।  

मीणा ने परंपरागत मृत्यु भोज का आयोजन करने की बजाय यह निर्णय लिया कि आयोजन में खर्च की जाने वाली राशि सीधे विद्यालय विकास और विद्यार्थियों की शिक्षा उन्नति में लगाई जाए। इस पर वह अपनी मां के साथ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मुंगेना पहुंचे और अध्यापिका मनीषा खींची को 1.21 लाख रुपए का चेक सौंपा। एडीईओ रामचरण मीणा ने न केवल अपने पिता को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की बल्कि समाज में यह संदेश भी दिया कि असली सम्मान और श्रद्धांजलि मृत्युभोज में नहीं, बल्कि शिक्षा और आने वाली पीढ़ियों के विकास में है। इस दौरान गांव के पटेल गंगाराम, रामेश्वर, रघुनाथ, छोटूलाल एवं उम्मेदमन ने भी इस पहल की सराहना की। 

विद्यालय से मां का जुड़ाव
उन्होंने बताया कि 88 वर्षीय मां भोली बाई विद्यालय से गहरा जुड़ाव रखती हैं। स्कूल में जब भी कोई कार्यक्रम होता है, हर कार्य में उत्साह से सहयोग करती हैं। भाई जगदीश मीणा एवं मुकुट मीणा, पत्नी मोहनी मीणा ऐसे कार्यों के लिए प्रेरित करते हैं। 

मृत्युभोज बढ़ाता आर्थिक बोझ
शिक्षा अधिकारी मीणा कहते हैं, मृत्यु भोज जैसी परम्पराएं केवल आर्थिक बोझ बढ़ाती हैं। इस पर खर्च किया जाने वाला पैसा शिक्षा और विकास में लगाया जाए तो यह आने वाली पीढ़ियों को मजबूत करेगी। साथ ही यह प्रयास दिवंगत परिजनों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।  इस सहयोग राशि से मुंगेना विद्यालय का गेट निर्माण सहित अन्य सुविधाएं विकसित हो सकेगी।  

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अब तक 12 लाख रुपए से करा चुके विद्यालय का विकास
वर्ष 1980 में जब विद्यालय खुला तो एक ही कमरा था। विद्यार्थी नीम के पेड़ के नीचे पढ़ते थे, तब से लेकर अब तक मीणा शिक्षा और समाज सेवा में लगे हैं। उनके प्रयासों से अब तक विद्यालय में लगभग 12 लाख रुपए से विभिन्न विकास कार्य करवाए गए हैं और विद्यालय को 12वीं कक्षा तक क्रमोन्नत किया है। 

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पूरा परिवार शिक्षा को समर्पित
एडीईओ रामचरण मीणा के परिवार में दो बेटे, पुत्रवधु पत्नी व मां हैं। पूरा परिवार गांव के बच्चों को प्रशासनिक सेवाओं में आने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके बड़े पुत्र हरिओम मीणा भोपाल में भारतीय मानक ब्यूरो में डिप्टी डायरेक्टर हैं। वहीं, छोटे पुत्र राधव मीणा आंधप्रदेश में तिरुपति जिले में गुडूर ब्लॉक में अतिरिक्त जिला कलक्टर हैं। वहीं, पुत्रवधू सुलेखा मीणा दिल्ली में आईपीएस हैं। जब बेटा-बहु गांव आते हैं तो यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को मोटिवेट करते हैं।  वहीं, पुत्र रामावतार व हर्षित मीणा भी विद्यार्थियों की मदद को तत्पर रहते हैं।  नई पीढ़ी के लिए जीवंत संदेश: इधर, प्रधानाध्यापक निर्मला गोचर ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह केवल एक दान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जीवंत संदेश है। समाज में शिक्षा के प्रति नई चेतना जाग्रत होगी ।

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