घरों से निकल रहा कचरा, कबाड़ियों की हो रही चांदी

15 से 20 लाख रुपए रोज का हो रहा कारोबार

घरों से निकल रहा कचरा, कबाड़ियों की हो रही चांदी

घरों की सफाई से अशिक्षित बेरोजगारों को मिल रहा रोजगार।

कोटा। शहर में घरों में दीपावली का सफाई कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। लोग पुराना कबाड़ निकाल रहे है। जिससे इन दिनों स्क्रेप बाजार में खासी रौनक नजर आ रही है। प्रतिदिन करीब 8 से 10 टन कबाड़ घरों से कबाड़ियों तक पहुंच रहा है। दीपावली पर घरों में साफ सफाई कार्य इन दिनों अंतिम चरण में चल रहा है। घर के पुराने एवं कबाड़ की वस्तु, पुरानी किताबें, रद्दी की बिक्री की जाती है। इस कबाड़ खरीदी बिक्री के व्यवसाय से अनेकों को मौसमी रोजगार उपलब्ध हुआ है। अनेकों की नजर में कबाड़ी के व्यवसाय का विशेष महत्व नहीं है। किंतु इस व्यवसाय में प्रतिदिन लाखों रुपए का कारोबार हो रहा है। इससे गरीब, जरूरतमंद एवं अशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध हो रहा  है। पूरे वर्ष गांव में घूमकर कबाड़ जमा किया जाता है। दीपावली की अवधि में घरेलु, दुकानें, गैराज से बड़े मात्रा में कबाड़ बाहर निकलता है।

शहर में 100 से ज्यादा होलसेल विक्रेता
कबाड़ व्यवसायी  आबीद कुरैशी ने बताया कि शहर में करीब 100 अधिक कबाड़ खरीदने वालों की बड़ी दुकानें इसके अलावा हर इलाके में एक-एक छोटे कबाड़ी की दुकान है। करीब 200 से अधिक छोटी दुकानें है। दीपावली पर सबसे ज्यादा कबाड़ निकलता है। पहले कबाड़ को छांटा जाता है शहर में 100 थोक में कबाड़ लेनेवाले दुकानदार है। उनके पास खुद के ठेले हैं, इन ठेलों को किराए से कबाड़ जमा करनेवाले छोटे व्यवसायिकों को दिया जाता है। शहर में घूमकर कबाड़ जमा करने के बाद थोक विक्रेताओं के पास बिक्री की जाती है। इस कबाड़ को छांटा की जाता है। जिसके अनुसार कबाड़ की सामग्री को प्रति किलो के अनुसार अलग अलग भाव मिलता है। दीपावली के दौरान बड़े मात्रा में कबाड़ निकलने से भाव भी कम रहते हैं। अधिक कबाड़ जमा होने पर कभी कभी 400 रुपए से 500 रुपए मिलते हैं।

कबाड़ बन रहा लोगों के रोजगार का साधन
इन दिनों शहर में दीपावली पर घर में सफाई का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। शहर में रोज करीब एक व्यापारी के पास 50 किलों से लेकर 1 टन तक कबाड़ पहुंच रहा है। शहर में प्रतिदिन करीब 8 से 10 टन कबाड, रद्दी और प्लास्टिक निकल रहा है। गली महोल्लों में कबाड़ी आवाज देकर सामान खरीदते उसको हम होलेसेल व्यापारियों को बेच देते उनका इसका कमिशन दिया जाता है।  शहर में कबाड़ जमा करनेवाले घूम रहे हैं। कबाड़ जमा करने के लिए सुबह ही यह कबाडी वाले शहर में घूमते हैं और थोक विक्रेता को कबाड़ की बिक्री करते हैं। दीपावली के कारण इस व्यवसाय में गति आ गई है। एक दिन में इस व्यवसाय से लाखों का कारोबारर हो रहा है। करीब 15 से 20 लाख रुपए का कारोबार हो रहा है।  ग्रामीण क्षेत्र में कबाड़ के बदले में बर्तन देकर भी यह व्यवसाय किया जाता है। एक कबाड़ी एक दिन में 50 से 100 किलो कबाड़ जमा करते हैं। -मोहम्मद शफीक, कबाड़ व्यवसायी

पुराना देकर नया लेना दीपावली पर ही संभव
घर में सालभर में कई अनावश्यक सामान जमा हो जाता है। वो दीपावली की सफाई के दौरान ही निकलता है। अखबार की रद्दी, पुरानी किताबे काफी, प्लास्टिकी टूटे सामान लोहे स्टील, तांबा, पीपल की विभिन्न वस्तुए कबाड़ जमा हो जाती वो दीपावली पर ही निकलती है। दीपावली पर सफाई के साथ इन सामनों को बेचने से जो पैसे आते उससे नया आइटम खरीद लेते है घर पुराना कबाड़ हट जाता है।
- विमला बैरवा, निवासी पंचवटी नगर

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