देवस्थान के मंदिर पर ही खिलेंगे और यहीं चढ़ेंगे फूल
नंदन कानन योजना के तहत देवस्थान 593 मंदिरों उपवन वाटिका
वन विभाग और नगरीय निकायों पेड़ पौधे उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
कोटा। सनातन धर्म में पेड़-पौधों का विशेष महत्व माना गया है। ये धार्मिक आस्था के भी प्रतीक है, जिन्हें अब आस्था के केंद्र देवस्थान विभाग के मंदिरों में उपवन विकसित करने की तैयारी की जा रही है। नंदनकानन योजना के तहत देवस्थान के जितने भी मंदिर हैं, वहां पुष्प वाले पौधे सदाबहार, हारशृंगार, मोगरे, रात की रानी, चंपा, चमेली लगाए जा रहे है। इसके अलावा बेलपत्र, पीपल, आंवला, बड़ जैसे पूजनीय पेड़ भी लगाए जाएंगे, ताकि सावन में भगवान शिव की पूजा के लिए बीलपत्र, वटसावित्री पर बड़, आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा भी हो और ये पेड़-पौधे पर्यावरण को भी शुद्ध करेंगे, ऑक्सीजन भी देंगे। देवस्थान विभाग के मंदिरों में भगवान को मंदिर परिसर में ही उगाए गए फूल-पत्ती अर्पित करने की योजना शुरू की है। प्रदेश 593 मंदिरों को नंदनकानन योजना के तहत आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कोटा में इस का कार्य दो माह पूर्व ही शुरू हो गया। कोटा के देवस्थान विभाग के करीब 12 मंदिरों में उपवन वाटिकाए तैयार की जा चुकी है। यहां पौधारोपण का कार्य हो गया है। तुलसी और मोगरा के फूल तो भगवान को अर्पण होने लगें है। प्रदेश में विभाग के करीब 593 मंदिरों में पेड़-पौधे लगाने की जिम्मेदारी देवस्थान विभाग के इंस्पेक्टर और मंदिर प्रशासन को सौंपी गई है। वन विभाग और नगरीय निकायों पेड़ पौधे उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
पर्याप्त जगह वाले मंदिर में लगेंगे पौधे
देवस्थान विभाग की सहायक आयुक्त ऋचा बलदवा ने बताया कि जिन मंदिर परिसरों में पानी और पर्याप्त जमीन उपलब्ध होगी, वहां पेड़ लगाए जाएंगे। गमलों में सदाबहार, हजारे और तुलसी के छोटे पौधे लगाए जाएंगे। मंदिरों में पुजारी, सेवागीर और गार्ड इन पेड पौधों को संवारेंगे। विभाग का इंस्पेक्टर भी अपनी ड्यूटी निभाएगा। कई मंदिर परिसरों में खुले क्षेत्र की वजह से बंदर या पशुओं से पेड़ पौधों को नुकसान का खतरा हो सकता है, ऐसे में वहां स्थानीय निकायों का सहयोग लेकर ट्री गार्ड लगाए जाएंगे। नंदन कानन योजना से मंदिरों को हरियाली युक्त वाटिका विकसित करना है और भक्तों को भी पूजनीय पेड़ पौधे उपलब्ध हो जाएंगे।
जहां खुली जमीन नहीं वहां गमलों होगा पौधारोपण
देवस्थान विभाग के मंदिरों में अब खुद की जमीन में उगे फूल व फल भगवान को चढ़ाए जाने की तैयारियां पूरी कर ली है। इसके लिए नंदन कानन योजना के तहत मंदिरों की खुली जमीन में पौध रोपण किया जा रहा। जहां खुली जमीन नहीं है वहां पर गमलों में पौधरोपे जा रहे है।अभी तक अधिकतर सभी मंदिरों भगवान को फूल, मालाएं एवं फल बाजार से मंगाने पड़ते हैंं, क्योंकि मंदिर परिसर में इतने फल-फूल नहीं हैं। ऐसे में अब नंदन कानन योजना के तहत देवस्थान विभाग के अधीन जिले के सभी मंदिरों में पौधरोपण किया जा रहा है। इससे मंदिरों में चढऩे वाले फूल परिसर में ही उपलब्ध हो सकेंगे और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
आने वाली पीढ़ी को प्राकृतिक आॅक्सीजन मिले
देवस्थान विभाग के प्रबंधक रामसिंह ने बताया कि प्रकृति पूजनीय है। वृक्ष को पूजने की परंपरा रही है, उस परंपरा को जीवित रखने के लिए ये पहल की जा रही है। देवस्थान विभाग के सभी मंदिरों में पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैऔर इनकी जिम्मेदारी मंदिर प्रशासन के साथ-साथ देवस्थान विभाग के इंस्पेक्टर को सौंपी गई है। नंदनकानन योजना को सफल बनाया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी को कभी आॅक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता न पड़े और उन्हें प्राकृतिक आॅक्सीजन मिल सके।
इंस्पेक्टर्स की लगाई जाएगी ड्यूटी
कोटा व बूंदी में करीब एक दर्जन से अधिक देवस्थान के मंदिर कोटा में 9 देवस्थान विभाग के मंदिर है। जहां पानी की व्यवस्था और पर्याप्त कच्ची जमीन है, वहां ये पेड़-पौधे लगाए जा रहे है। जहां कच्ची जमीन नहीं है वहां गमलों में सदाबहार, हजारे और तुलसी के छोटे पौधे लगाए जा रहे है। सहायक आयुक्त ऋचा बलदवा ने बताया कि मंदिरों में पुजारी, सेवागीर और गार्ड तैनात हैं। सभी मिलकर इस उपवन को संवारेंगे। इसके अलावा विभाग के इंस्पेक्टर्स की भी ड्यूटी लगाई जाएगी।
ट्री गार्ड लगाकर पौधों की रखवाली
कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बंदर या दूसरे पशुओं की बहुतायत की वजह से इन पेड़ पौधों को नुकसान भी पहुंच सकता है। इनके बचाव के लिए उपाय करेंगे। बंदर जैसे पशुओं को पकड़ना तो नामुमकिन है। जिन मंदिरों में आवश्यकता हो वहां जाल वाले ट्री गार्ड लगाकर पौधों की रखवाली की जाएगी, ताकि ये पौधे पनप सके।

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