पिंक फेस्ट : शास्त्रीय संगीत की गूंज से साहित्य प्रेमियों का मन हुआ आनंदित, विशेषज्ञों ने डिजिटल युग में सौंदर्यशास्त्र की नई परिभाषाओं पर चर्चा की
धर्म के प्रतिपादक शास्त्र हैं, कोई व्यक्ति नहीं : कोसलेंद्रदास
जयपुर पिंकफेस्ट के दूसरे दिन शनिवार को भारतीय संस्कृति और साहित्य पर विभिन्न चर्चा सत्र आयोजित हुए
जयपुर। जयपुर पिंकफेस्ट के दूसरे दिन शनिवार को भारतीय संस्कृति और साहित्य पर विभिन्न चर्चा सत्र आयोजित हुए। इस दौरान फेस्ट में भारतीय संस्कृति और साहित्य पर विभिन्न चर्चा सत्र आयोजित किए गए। इसमें जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्रदास ने कहा कि वैदिक ग्रंथों धर्म को तीन प्रमुख भागों में बांटा गया है। ये श्रौत, स्मार्त और शिष्टाचार धर्म कहलाते हैं। श्रौत वेदों पर आधारित, स्मार्त स्मृतियों पर आधारित और शिष्टाचार शिष्ट या भले लोगों के आचार-व्यवहार से संबंधित धर्म है। उन्होंने कहा कि स्मृतियों ने धर्म के छह प्रमुख प्रकारों का उल्लेख किया है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दशार्ते हैं। इसमें वर्ण धर्म, आश्रम धर्म, वर्णाश्रम धर्म, गुण धर्म, नैमित्तिक धर्म और साधारण धर्म सम्मिलित हैं।
आर्ट एवं डिजाइन एग्जीबिशनए साहित्यिक चर्चाएं, कल्चर वॉक ताना-बाना, आर्ट पवेलियन सृष्टि मंडपम, पिकासो एग्जीबिशन, अनुगूंज लाइव स्टेज परफॉर्मेंस, कविता पाठ जैसे आयोजन कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा। दूसरे दिन की शुरुआत साउंड मैडिटेशन नाद योग से की गई, जिसके बाद डिजिटल एस्थेटिक: अल्गोरिदम और वर्चुअल वास्तविकता पर आयोजित पैनल डिस्कशन में विशेषज्ञों ने डिजिटल युग में सौंदर्यशास्त्र की नई परिभाषाओं पर चर्चा की। पैनल में भवानीशंकर शर्मा, तरुण टाक तथा मुकेश तोंगरिया उपस्थित रहे।
फेस्ट में डागर घराने की लाइव प्रस्तुति हुई। उस्ताद साबिर खान के सारंगी वादन ने संगीत प्रेमियों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का अंत ताना-बाना कल्चर वॉक से हुआ।
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