रणथंभौर नेशनल पार्क से 4 दर्जन टाइगर लापता
वन अधिकारी बेपरवाह
रणथंभौर में दो दशक में करीब 50 बाघ बाघिन और शावक गायब हुए है। फिलहाल राजस्थान में बाघों की कुल संख्या 100 के करीब है।
सवाई माधोपुर। रणथंभौर देश के सबसे अच्छे टाइगर रिजर्व में शुमार है। यहां राजस्थान के सर्वाधिक टाइगर टाइग्रेस निवास करते है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व इस समय करीब 77 बाघ, बाघिन और उनके शावक है। राजस्थान में बाघों के गायब होने के मामले में टॉप पर है। रणथंभौर में दो दशक में करीब 50 बाघ बाघिन और शावक गायब हुए है। फिलहाल राजस्थान में बाघों की कुल संख्या 100 के करीब है। इन सभी टाइगरों का पता लगाने में वन विभाग पूरी तरह नाकाम रहा है।
टेरोटोरियल फाइट का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ते अधिकारी:वन अधिकारी अक्सर टेरोटोरियल फाइट का बहाना लगाकर गुम हुए बाघों को जिम्मेदारी से बचते दिखते है। वनाधिकारियों का कहना है कि टेरोटोरियल फाइट के चलते बाघ बाघिन रणथंभौर से निकल जाते है। जबकि अगर नियमित ट्रेकिंग की जाए तो पगमार्क के आधार कौनसे टाइगर का, किस इलाके के मूवमेंट पता रखा जा सकता है। वहीं वन विभाग ने कैमरा ट्रैप भी लगाए हुए है। जिससे बाघ बाघिनों की निगरानी रखी जाती है। ऐसे 50 बाघ बाघिन और शावकों का गायब होना,वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। मामले को लेकर रणथंभौर के सीसीएफ सेडूराम यादव का कहना है कि रणथंभौर में स्टॉफ की ओर से नियमित ट्रेकिंग की जाती है। रणथंभौर में इस समय इतिहास की अब तक की सबसे ज्यादा बाघ बाघिनों की संख्या है। बाघ बाघिन का टेरोटोरियल फाइट के चलते जंगल छोड़कर जाना नेचुरल प्रोसेस है।
जांच की मांग: रणथंभौर से गुम हुए बाघ बाघिन और शावकों के मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। ग्रामीण विकास और बाघ संरक्षण समिति के पदाधिकारियों की ओर से लगातार इसकी जांच करवाने की मांग की जा रही है। समिति ने गुम हुए बाघ बाघिन और शावकों के मामले की सीबीआई से जांच करवाने के लिए राज्यपाल और केन्द्रीय वन मंत्री को ज्ञापन दिया जा चुका है। जिसके बाद भी फिलहाल वन विभाग इन बाघ बाघिनों की कोई खोज खबर लेने के मूड में नहीं है।

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