अखाद्य तेल की कीमतों में आ रहे उछाल से 10 किलो तक महंगा हो सकता है साबुन
ओसवाल ग्रुप निदेशक अजय जैन से बातचीत
तेल की अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कीमतों में अचानक आई तेजी से उपभोक्ताओं पर महंगाई का नया बोझ पडऩे वाला है
जयपुर। तेल की अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कीमतों में अचानक आई तेजी से उपभोक्ताओं पर महंगाई का नया बोझ पडऩे वाला है। बीते कुछ दिनों में अखाद्य (औद्योगिक उपयोग के) तेल की कीमतों में औसतन 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे न केवल घर का बजट बिगड़ेगा, बल्कि रोज़मर्रा के उपभोग वाले उत्पादों की लागत पर भी सीधा असर पड़ेगा। इस विषय में ओसवाल सोप ग्रुप के निदेशक अजय जैन का मानना है कि तेल से जुड़े उद्योग जैसे साबुन, डिटर्जेंट, कॉस्मेटिक्स उत्पादों की उत्पादन लागत बढऩे से बाजार में इनके दाम 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकते हैं। पहले से ही महंगाई से जूझ रहे उपभोक्ताओं को आने वाले समय में जरूरी सामान और महंगे होने की संभावना है। जैन ने कहा कि नेपाल से आयातित तैयार माल ड्यूटी फ्री होने की वजह से और यहां की मिलों में उत्पादन लगत अधिक होने से माल महंगा बैठ रहा है । ये स्थिति सरकार की इम्पोर्ट एवं एक्सपोर्ट टैक्स की विसंगति की वजह से उत्पन्न हो रही है।
जैन ने बताया कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक जारी रही तो देश के और अधिक परिवार प्रभावित होंगे। विशेष रूप से निचले आय वर्ग के लोग सबसे ज्यादा दबाव में आएंगे। इससे न केवल उपभोक्ताओं की क्रय क्षमता घटेगी, बल्कि भारत की समग्र अर्थ व्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। वहीं कच्चे तेल व आयात लागत पर नियंत्रण नहीं हुआ तो आने वाले महीनों में महंगाई दर भी और अधिक बढ़ सकती है। सरकार और उद्योग जगत से उम्मीद की जा रही है कि उपभोक्ताओं पर बोझ कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएँ।

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