टोरड़ी सागर बांध में आया आठ फीट पानी

पानी की आवक शुरू होने के साथ ही क्षेत्र के किसानों के चेहरे भी खिल उठे ।

टोरड़ी सागर बांध में आया आठ फीट पानी

क्षेत्र का हर किसान टकटकी लगाकर इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी आने की प्रार्थना करता रहता है। जल संसाधन विभाग के अधीन टोरड़ी सागर बांध काफी प्राचीन बांध है। लेकिन इसकी इंजीनियरिंग का लोहा आज भी माना जाता है। इस बांध से तीन नहरें निकली हुई हैं। इस बांध की कुल भराव क्षमता 32 फुट है,लेकिन क्षेत्र के किसान इसमें 25 फुट पानी आने के बाद इसमें आधा पानी आना मानते हैं।

टोरड़ीसागर। टोरड़ी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के चलते टोरड़ी सागर बांध में 8 फुट 1 इंच पानी की आवक होने से किसान खुश नजर आ रहे हैं। क्षेत्र के किसानों के लिए टोरड़ी सागर बांध को खेती के लिहाज से लाईफलाइन माना जाता है। इसमें बारिश के दिनो में जमा होने वाले पानी से सिंचित क्षेत्र के किसानो के खेतो में खेती होती है। बारिश के दिनो में क्षेत्र के किसानों की नजरें बांध में आने वाले पानी की ओर लगी रहती है।


 क्षेत्र का हर किसान टकटकी लगाकर इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी आने की प्रार्थना करता रहता है। जल संसाधन विभाग के अधीन टोरड़ी सागर बांध काफी प्राचीन बांध है। लेकिन इसकी इंजीनियरिंग का लोहा आज भी माना जाता है। इस बांध से तीन नहरें निकली हुई हैं। इस बांध की कुल भराव क्षमता 32 फुट है,लेकिन क्षेत्र के किसान इसमें 25 फुट पानी आने के बाद इसमें आधा पानी आना मानते हैं। क्योंकि 25 फुट के बाद पानी का फैलाव अधिक होने से एक एक इंच पानी बढ़ता है। इस बांध का समूचा पानी केवल सिंचाई में ही काम आता है। बारिश के दिनों में विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इस पर नजर रखते हैं। साथ ही बांध की जल समिति के अध्यक्ष रामधन मुवाल भी प्रतिदिन बांध में आने वाले पानी की आवक पर कड़ी नजर रख रहे हैं। वैसे यह बांध सन् 1996 में पूरा भरने के बाद चादर चली थी। इसके बाद यह बांध न तो पूरा भर सका और न ही चादर चल सकी। लेकिन जैसे जैसे पानी की आवक होती है दूरदराज से बांध को देखने व बारिश के दिनो में भ्रमण की दृष्टि से आने शुरू हो जाते है।


बांध को देखने आने वाले लोगों की संख्या बढ़ने के साथ ही बांध की पाल पर दुकानें भी सजती हैं। दुकानों पर ग्राहकी होने से टोरड़ी क्षैत्र के लोगो को रोजगार भी मिलता है। बारिश से पहले तक यह बांध बिलकुल सूख कर मैदान बन गया था, लेकिन जैसे ही बारिश का दौर शुरू हुआ इसमें पानी की आवक शुरू हो गई। पानी की आवक शुरू होने के साथ ही क्षेत्र के किसानों के चेहरे भी खिल उठे ।

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