ओडिसी, कुचिपुड़ी और कथक नृत्य से कला प्रेमी मंत्रमुग्ध

ओडिसी, कुचिपुड़ी और कथक नृत्य से कला प्रेमी मंत्रमुग्ध

भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित इस नृत्य में बेहद खूबसूरत भाव भंगिमाओं के साथ सभी डांसर्स ने श्रीराधा-कृष्ण और गोपियों के कुंज वन के रास की जीवंत प्रस्तुति देकर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।

उदयपुर। जब पीतल की थाली पर नृत्य करते हुए शिवाराधना करते डांसर्स ने शानदार संतुलन दिखाया तो दर्शक आश्चर्यचकित और सन्न रह गए, जब उनकी तंद्रा टूटी तो वे वाह-वाह कर उठे। यह दृश्य था उदयपुर में चल रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के दौरान शनिवार शाम मुक्ताकाशी मंच पर कुचिपुड़ी नृत्य के अंतर्गत शित तरंगम की प्रस्तुति का।

आंध्र प्रदेश के इस डांस में जब कुचिपुड़ी नृत्य के विश्व प्रसिद्ध गुरु वी. जयराम राव ने प्रस्तुति दी तो तालियों की गडग़ड़ाहट से समूचा शिल्पग्राम गूंज उठा। राव पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं। इसके साथ ही कुचिपुड़ी नर्तकों-नृत्यांगनाओं ने 'जाति स्वरम' की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसमें कर्नाटक संगीत पर स्वरों का सम्मेलन के अंतर्गत आंध्र प्रदेश की वेशभूषा और ज्वेलरी पहने डांसर्स  ने मंदिरों में स्तुति की भाव भंगिमाओं का नयनाभिराम प्रदर्शन किया। इस नृत्य की रचना कई वर्षों पूर्व महान गुरु माने गए वेपट्टी  चिन्नास्वामी सत्यम ने की थी।

इससे पूर्व, पद्मश्री एवं संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार से नवाजी जा चुकीं विश्व प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना, कोरियोग्राफर तथा फिल्म निर्मात्री रंजना गौहर के ग्रुप ने दुनिया में कई मंचों वाहवाही लूट चुके ओडिसी डांस 'रास रंग' को पेश कर तमाम दर्शकों को सम्मोहित कर दिया।

भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित इस नृत्य में बेहद खूबसूरत भाव भंगिमाओं के साथ सभी डांसर्स ने श्रीराधा-कृष्ण और गोपियों के कुंज वन के रास की जीवंत प्रस्तुति देकर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। रंजना गौहर के निर्देशित इस राग मिश्र खमाज पर आधारित इस एक ताल डांस का गीत नाबा किशोर मिश्रा ने लिखा। इसकी पटकथा और कोरियोग्राफी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार प्राप्त विनोद कविन बचन ने की।

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नामचीन कथक नृत्यांगना लखनऊ घराने की मालती श्याम एंड ग्रुप ने कथक की शानदार प्रस्तुति से सुधी दर्शकों को थिरकने पर विवश कर दिया। यह नृत्य तीन ताल ख्याल में पेश किया गया। इसमें बहुत ही नयानाभिराम भावभंगिमाओं के साथ तोड़े, टुकड़े और तिहाइयों का प्रयोग किया। इस डांस में विवाह में वर के सौंदर्य को प्रकट करते गीत 'कैसो निको लगा, बनरा मोरा आंखों में' का कर्णप्रिय संगीत और नयनाभिराम नृत्य के साथ सुंदर सामंजस्य रहा। यह सुंदर संगीत प्रस्तुति वर की सौंदर्य को वर्णन करती है।

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