जन्म देने वाला ही बना बेटे की जान का दुश्मन : शादी के लिए पिता ने बेटे को 45 हजार रुपए लेकर गुजरात में रखा गिरवी
साथी संग मासूम तक पहुंचा उदयपुर का सरकारी शिक्षक
मामला गंभीर है, जल्द ही कोटड़ा जाकर बच्चों की स्थिति और उन्हें गिरवी रखने वाले अभिभावकों की जानकारी जुटाई जाएगी।
फलासिया। जब जन्म देने वाला ही दुश्मन बन जाए तो बच्चे कैसे सुरक्षित रह सकते हैं। ऐसा ही मामला उदयपुर जिले के फलासिया क्षेत्र के एक गांव से सामने आया है, जहां एक पिता ने अपने नौ वर्षीय बच्चे को 45 हजार रुपए में गिरवी रख दिया। मामला सामने आया तो एक सरकारी शिक्षक ने अपने साथी के साथ मासूम को बदमाशों के चंगुल से छुड़वाने पहुंचा। जैसे ही बदमाशों को इसका पता चला तो शिक्षक को जान से मारने के लिए पीछा भी किया। शिक्षक की मेहनत रंग लाई और घबरा कर बदमाश ने बच्चे को लौटाने के लिए पिता को फोन किया। जानकारी के अनुसार उदयपुर शहर के रेलवे ट्रेनिंग राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक दुर्गाराम मुवाल को सूचना मिली कि अम्बादेह में एक परिवार ने अपने बच्चे को गिरवी रखा है और उसे गुजरात के ईडर भेज दिया है।
दुर्गाराम इस परिवार से मिलने वहां पहुंचे तो पूरी कहानी पता चली। आम्बादेह निवासी मिरखा ने तेमी नामक महिला से सगाई की थी और दोनों साथ रहने लग गए। समाज के पंचों ने उनको सामाजिक रीति रिवाज के तहत विवाह करने के लिए कहा। पंचों ने शादी के लिए दापा की रकम 45 हजार रुपए तय की। इतनी रकम मिरखा के पास नहीं होने से उसने अपने 9 वर्षीय बेटे को 10 महीने पहले किसी रेवड़ रखने वाले के पास 45 हजार रुपए में गिरवी रख दिया और यह रकम जुटा ली। दुर्गाराम ने बताया कि पिता मिरखा के पास न तो उस व्यक्ति का पता था और न ही अन्य कोई जानकारी। सिर्फ एक फोन नंबर था, जिसके जरिए उस व्यक्ति से बात होती थी। ऐसे में उसने एक साथी कुणाल चौधरी के साथ बच्चे को लाने का प्लान बनाया। फोन करके उस बच्चे के बारे में बातचीत शुरू की और उससे मिलने की इच्छा जताई जिस पर वह व्यक्ति तैयार हो गया। इसके बाद गुजरात में ईडर से लगभग 100 किलोमीटर दूर अकोदरा गांव में बच्चे से मिलने के लिए बुलाया। उन्हें जंगल में अंदर आने को कहा गया।
जंगल में गुमराह कर भागा युवक
दुर्गाराम ने बताया कि वहां पहुंचने पर उस व्यक्ति ने कहा कि पहले बच्चे के पिता से बात करवाओ तो आपको उस बच्चे से मिलवा सकता हूं। उस व्यक्ति ने अपना नाम मेहुल बताया और पहचान छुपाने के लिए टोपी और मास्क लगा रखे थे। हाथ में लाठी भी थी। इस दौरान कुणाल ने वीडियो बना लिया था। वह व्यक्ति सुनसान कंटीले जंगलों में कई किलोमीटर चलाकर एक झोपड़ी पर ले गया, जहां बच्चे का होना बताया और वह वहीं रुकने का इशारा कर चला गया। इसी दौरान वहां एक रेवड़ आता दिखाई दिया, जिसमें शामिल लोगों से मेहुल के बारे में पूछा तो पता चला कि क्षेत्र में मेहुल नाम का कोई भी नहीं है।
बच्चे को लेकर आ रहा हूं डेढ़ लाख तैयार रखो
-बच्चों को लेकर आ रहा हूं, डेढ़ लाख तैयार रखो
इसी दौरान शिक्षक दुर्गाराम के पास बच्चे के पिता मिरखा का फोन आया कि करणा भाई बच्चे को लौटाने की बात कह रहा है। वह डेढ़ लाख रुपए मांग रहा है। पूछताछ में सामने आया कि बच्चों के माता-पिता को जब और पैसों की जरूरत होती है तो बच्चों से मिले बिना ही गिरवी रखने वाले व्यक्ति से ऑनलाइन पैसा मंगवा लेते हैं। उधारी की राशि 1500 रुपए प्रति माह के हिसाब से किस्तों में चुकती रहती हैं, तब तक बच्चा वहीं पर बन्धक रहता है। शिक्षक की इस पहल से गिरवी रखने वाले व्यक्ति ने बच्चों को घर भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
मामला गंभीर है, जल्द ही कोटड़ा जाकर बच्चों की स्थिति और उन्हें गिरवी रखने वाले अभिभावकों की जानकारी जुटाई जाएगी।
- संगीता राव, सदस्य बाल कल्याण समिति।
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