चीन ने समुद्र के पानी से बनाया भविष्य का पेट्रोल, 24 रुपए में तैयार हो रहा ग्रीन हाइड्रोडन और पीने का पानी
ग्रीन हाइड्रोजन और मीठे पानी की एकसाथ पैदावार
चीन ने शानडोंग प्रांत में समुद्र के पानी से ग्रीन हाइड्रोजन और पीने योग्य पानी बनाने वाली अनोखी फैक्ट्री शुरू की है। यह तकनीक कम लागत में ऊर्जा और जल संकट का समाधान पेश कर रही है।
बीजिंग। चीन ने समुद्र के पानी से भविष्य का ईंधन बना कर वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों दोनों को चौंका दिया है। दरअसल चीन ने शानडोंग प्रांत में एक ऐसी फैक्ट्री शुरू की है, जो समुद्र के पानी से भविष्य का पेट्रोल यानी कि ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करती है। बस इतनी ही नहीं यह फैक्ट्री समुद्र के पानी को ग्रीन ईंधन के साथ-साथ साफ पीने के पानी में भी बदल रही है।
चीन का यह अजूबा दुनिया की दो बड़ी समस्याओं, पीने के पानी की कमी और पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधनों का पर्यावरण पर बढ़ते बोझ को एक साथ हल कर देता है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इसकी लागत सिर्फ 2 युआन यानी करीब 24 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर है। चलिए चीन की इस खास टेक्नोलॉजी के बारे में डिटेल में जानते हैं।
समुद्र के पानी से बनेगा मीठा पानी और ग्रीन हाइड्रोजन
दुनिया में अपनी तरह की पहली यह फैक्ट्री चीन के रिजाओ शहर में बनी है। इस फैक्ट्री में समुद्र के पानी को पीने लायक अल्ट्रा-प्योर पानी और ग्रीन हाइड्रोजन में बदला जाता है। इस फैक्ट्री की एक खास बात और है कि यह चलने के लिए बिजली या ईंधन पर नहीं बल्कि पास की स्टील और पेट्रोकेमिकल फैक्ट्रियों से निकलने वाली बेकार गर्मी (वेस्ट हीट) का इस्तेमाल करती है। कहने का मतलब है कि स्टील और पेट्रोकेमिकल फैक्ट्रियों से निकलने वाली जो गर्मी एक समय तक खराब चली जाती थी, वह अब पानी और ईंधन बनाने के काम में ली जा रही है। यही वजह है कि इसकी लागत बहुत कम है और यह टेक्नोलॉजी सऊदी अरब और अमेरिका जैसे देशों की टेक्नोलॉजी से भी आगे निकल गई है।
तीन बड़े फायदे दे रही एक टेक्नोलॉजी
चीन की इस टेक्नोलॉजी को वन इनपुट, थ्री आउटपुट कहा जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें इनपुट के तौर पर समुद्र का खारा पानी और इंडस्ट्रियल वेस्ट हीट का इस्तेमाल होता है जबकि बदले में तीन चीजें मिलती हैं। पहली, हर साल 800 टन समुद्री पानी से 450 क्यूबिक मीटर साफ पानी मिलता है। इसका इस्तेमाल पीने के लिए और इंडस्ट्री दोनों जगह पर होता है। दूसरा, इससे सालाना 1,92,000 क्यूबिक मीटर ग्रीन हाइड्रोजन बनती है। तीसरा, इस प्रक्रिया में हर साल लगभग 350 टन खारा घोल यानी कि ब्राइन बचता है। इसका इस्तेमाल समुद्री केमिकल्स बनाने में किया जाता है। ऐसे में इस फैक्ट्री से निकलने वाला हर एक प्रोडक्ट इस्तेमाल होता है और कुछ भी बेकार नहीं जाता।
किस लागत पर बन रही है
चीन के इस खास प्लांट को पूरी दुनिया के लिए एक उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह प्लांट कई बड़ी समस्याओं को तो हल करता ही है लेकिन साथ ही लागत के मामले में भी इसने रिकॉर्ड बनाया है। इस प्लांट के जरिए समुद्र के पानी से साफ पानी बनाने में सिर्फ 24 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर का खर्च आ रहा है। इसके अलावा इससे ग्रीन हाइड्रोजन इतनी मात्रा में बनती है कि इससे 100 बसें 3,800 किलोमीटर तक चल सकती हैं। समुद्र से घिरे देशों के लिए यह तकनीक पानी और ऊर्जा दोनों बड़ी समस्याओं का हल बन सकती है।

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