पाक के लिए अभिशाप बना ग्वादार, जलवायु परिवर्तन से विकराल बना शहर का मौसम, लोगों का जीना दूभर

30 घंटे तक मुसलधार बारिश हुई

पाक के लिए अभिशाप बना ग्वादार, जलवायु परिवर्तन से विकराल बना शहर का मौसम, लोगों का जीना दूभर

शहर समुद्र तल से बहुत कम ऊंचाई पर है, जो इसे ऐसे देश में जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील बनाता है, जिसने पहले ही इससे होने वाली तबाही देखी है।

इस्लामाबाद। ग्वादार को लेकर एक वक्त कहा जाता था कि ये पाकिस्तान की किस्मत की चाबी खोलने का दरवाजा है। पाकिस्तान के इस तटीय शहर ग्वादार में लोगों को ये पता नहीं था कि जलवायु परिवर्तन क्या है। लेकिन अब ये शहर पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा शाप बनता जा रहा है। ग्वादार का मौसम इतना ज्यादा विकराल बन चुका है कि लोगों के लिए यहां रहना मुहाल हो गया है। पिछले साल फरवरी महीने में इस शहर में लगातार 30 घंटे तक मुसलधार बारिश हुई थी। जिसने शहर की सड़कों के लेकर पुल और कम्युनिकेशन लाइनों को बहा डाला था। भयानक बारिश की वजह से ग्वादार शहर का संपर्क कई घंटों के लिए पाकिस्तान से कटा रहा। मूसलाधार बारिश में ऐसा लग रहा था कि घरों पर बम गिर रहे हों। रास्ते कटने लगे और सड़कों पर बड़े बड़े गड्ढे बन गए। ग्वादार शहर बलूचिस्तान में है जो आजादी के लिए पाकिस्तान के साथ दशकों से संघर्ष कर रहा है। बलूचों के इस शहर पर पाकिस्तान ने जबरदस्ती कब्जा कर लिया था और आजादी हासिल करने के लिए हजारों बलूच अपनी जान दे चुके हैं। बलूचिस्तान, पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में एक शुष्क, पहाड़ों से घिरा एक विशाल प्रांत है। इस राज्य में भीषण गर्मी और भीषण सर्दी पड़ती है। जिससे लोगों का जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। ग्वादार, जिसकी आबादी करीब 90,000 है, यह शहर रेत के टीलों पर बना है और तीन तरफ से अरब सागर से घिरा हुआ है। ये शहर समुद्र तल से बहुत कम ऊंचाई पर है, जो इसे ऐसे देश में जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील बनाता है, जिसने पहले ही इससे होने वाली तबाही देखी है।

पाकिस्तान के हाइड्रोलॉजिस्ट ग्वादार शहर के इस हाल पर गंभीर चेतावनी दे रहे हैं। कुछ पर्यावरणविदों ने चेतावनी देते हुए कहते हैं, कि यह किसी द्वीप राष्ट्र की स्थिति से कम नहीं है। उन्होंने कहा, कि अगर समुद्र का स्तर बढ़ता रहा तो शहर के कई निचले इलाके आंशिक रूप से या पूरी तरह से जलमग्न हो जाएंगे। अरब सागर, जो कभी ग्वादार के मछली पकड़ने वालों और घरेलू पर्यटन क्षेत्रों के लिए वरदान माना जाता था, वो अब लोगों के जीवन और उनकी आजीविका के लिए, उनकी अस्तित्व पर खतरा बन गया है। गर्मी बढ़ते ही समुद्र के अंदर से प्रलय मचाने वाली शक्तिशाली लहरें उठनी शुरू हो जाती हैं और मानसूनी हवाओं से ये लहरें और ऊपर उठ जाती हैं। गर्म हवा में ज्यादा नमी होती है। प्रति डिग्री सेल्सियस में लगभग 7 प्रतिशत ज्यादा, जिसका मतलब है भयानक बारिश के लिए रास्ता साफ करना। ग्वादार विकास प्राधिकरण के उप पर्यावरण निदेशक अब्दुल रहीम ने एपी की रिपोर्ट में कहा, कि बढ़ते समुद्री तापमान और कटाव वाले समुद्र तटों के कारण लहरें काफी हिंसक हो गई हैं। उन्होंने कहा, कि ज्वार की गतिविधियां और पैटर्न बदल गए हैं। सैकड़ों घर बह गए हैं। यह बहुत चिंताजनक है।

ग्लेशियरों के पिघलने की घटना ने समुद्रों के जलस्तर को काफी तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया है। जिसकी वजह से शहरों का लगातार कटाव हो रहा है। राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के डेटा के मुताबिक, 1916 और 2016 के बीच कराची में समुद्र का स्तर लगभग 8 इंच बढ़ चुका है। 2040 तक इसके और आधे इंच (लगभग 1.3 सेंटीमीटर) बढ़ने का अनुमान है। ग्वादर शहर के नजदीकी इलाके, जैसे कि पिशुकन और गंज में समुद्र की लहरों ने मस्जिदों, स्कूलों और बस्तियों को निगल लिया है। सनसेट पार्क के लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट पर चट्टानों में दरारें आ चुकी हैं। और चट्टानें किनारों से गिरने लगी हैं। समुद्र तट दर्जनों किलोमीटर तक समतल हैं क्योंकि इस पर कोई संरचना नहीं बची है।अधिकारियों ने खारे पानी के प्रवेश को रोकने के लिए पत्थर या कंक्रीट से समुद्री दीवारें बनाई हैं। लेकिन ये एक बहुत बड़ी समस्या का एक छोटा सा समाधान हैं। ग्वादार के लोग अपने कारोबार के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ रहे हैं। पूर्व स्थानीय पार्षद कादिर बख्श हर दिन जमीन से पानी रिसकर उनके आंगन में आने से परेशान थे, जिसे केवल नियमित पंपिंग द्वारा रोका जा सकता था। उन्होंने कहा कि दर्जनों घरों में यही समस्या है।

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