भारत-अमेरिका व्यापार डील फिर फिसल रही, यूएस ट्रेड चीफ ने दिल्ली को चेताया
ट्रंप प्रशासन के ट्रेड अधिकारी की टिप्पणी से बढ़ी अनिश्चितता
वॉशिंगटन में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने यूरोपीय यूनियन और भारत की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत के साथ शुरू हुई वार्ता अब तक समझौते तक नहीं पहुंची है, जबकि ईयू के नियम अमेरिकी कंपनियों के लिए भेदभावपूर्ण हैं।
वॉशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टॉप व्यापार अधिकारी ने अमेरिका के दो बड़े पार्टनर यूरोपीय यूनियन और भारत की आलोचना की है। जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस साल अब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार डील नहीं हो पाएगी? अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा कि उन्होंने गुरुवार को यूरोपीयन यूनियन के ट्रेड कमिश्नर मारोस सेफकोविक के साथ अमेरिकी टेक कंपनियों पर ईयू के रेगुलेशन पर चर्चा की। इसके बाद उन्होंने इस बारे में गंभीर चिंताएं जताईं कि ये उपाय अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभावपूर्ण हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस साल की शुरूआत में भारत के साथ शुरू हुई बातचीत अभी तक किसी समझौते पर नहीं पहुंची है। उन्होंने कहा कि इस बीच अमेरिका ने मलेशिया से लेकर स्विट्जरलैंड तक कई अन्य पार्टनर्स के साथ डील पूरी कर ली हैं। ग्रीर ने शुक्रवार को ब्लूमबर्ग टेलीविजन को दिए एक इंटरव्यू में कहा, मुझे इस बात पर हैरानी नहीं हुई कि यह कहां ज्यादा मुश्किल रहा है। ईयू के मामले में उन्होंने नॉन-टैरिफ बाधाओं पर जोर दिया जिसमें अमेरिकी खेती शामिल नहीं है। यूरोपीय यूनियन के नियम अमेरिका के इंडस्ट्रियल एक्सपोर्ट को सीमित करते हैं।
भारत पर भड़के अमेरिका के ट्रेड अधिकारी
यूरोपीय संघ को लेकर ग्रीर का आरोप है कि वह अमेरिकी कंपनियों, खासकर टेक कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां अपना रहा है। उन्होंने ईयू के ट्रेड कमिश्नर मारोश शेफचोविच से बातचीत के बाद कहा कि यूरोप द्वारा बनाए गए डिजिटल नियम, अमेरिकी कंपनियों को ही निशाना बनाते हैं। ग्रीर का दावा है कि ईयू के नए डिजिटल टैक्स और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में ऐसे नियम हैं, जो सिर्फ अमेरिकी कंपनियों पर ही लागू होते दिखते हैं, जिनमें गूगल, मेटा और अमेजन जैसी दिग्गज टेक कंपनियां शामिल हैं। अमेरिका का कहना है कि ये नियम इनोवेशन को धीमा करते हैं और अमेरिकी कंपनियों से अतिरिक्त टैरिफ वसूलने का जरिया हैं। इसको लेकर अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिकी टेक कंपनियों पर टैक्स लगाने की कोशिशें जारी रहती हैं, तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
अब तक कोई ठोस समझौता नहीं हो सका
ग्रीर की बातों से पता चलता है कि भारत को लेकर भी तस्वीर ज्यादा सकारात्मक नहीं हैं। ग्रीर ने कहा कि भारत के साथ बातचीत इस साल की शुरूआत में शुरू हुई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस समझौता नहीं हो सका है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच हाल ही में फोन पर बातचीत हुई थी। अगस्त में भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह चौथी बातचीत थी, जिसे रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है।

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