खमेर साम्राज्य के समय बने प्रीह विहियर शिव मंदिर को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया आमने-सामने

सीढ़ीदार रास्ता जाता है थाईलैंड सीमा तक 

खमेर साम्राज्य के समय बने प्रीह विहियर शिव मंदिर को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया आमने-सामने

दुनियाभर में अभी हाल ऐसा हो गया है कि कोई भी देश किसी भी सीमा विवाद को लेकर जंग छेड़ दे रहा है

नई दिल्ली। दुनियाभर में अभी हाल ऐसा हो गया है कि कोई भी देश किसी भी सीमा विवाद को लेकर जंग छेड़ दे रहा है। इस लिस्ट में थाईलैंड और कंबोडिया भी शामिल हो चुके हैं और इनके बीच तनाव की वजह है एक मंदिर। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद का कारण सदियों पुराना एक शिव मंदिर है। मंदिर पर दोनों ही देश का दावा है और इसे लेकर हाल ही में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प चल रही है। ये मंदिर प्रीह विहियर यानी प्राचीन शिव मंदिर है। इसे थाई भाषा में फ्रा विहान कहते हैं। चलिए आपको बताते हैं, क्या है शिव मंदिर की कहानी और कितना है ये पुराना।

प्रीह विहियर मंदिर थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर डोंगरेक पहाड़ियों की चोटी पर मौजूद है। इस मंदिर में 5 मुख्य प्रवेश द्वार हैं, जो सीढ़ियों और गलियारों से जुड़े हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर शिव का वाहन नंदी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर जाने का मुख्य रास्ता थाईलैंड की ओर से है लेकिन दो रास्ते ऐसे हैं जो पूर्वी और पश्चिम की ओर से कंबोडिया के शहरों से जुड़े हैं।

मंदिर का इतिहास 
कंबोडिया में स्थित प्रीह विहियर मंदिर आज के समय की दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों की सीमाओं से कहीं आगे है। यह मंदिर ज्यादातर 11वीं और 12वीं सदी के खमेर साम्राज्य के समय का है। आज के कंबोडियाई लोग खुद को खमेर कहते हैं, क्योंकि वे उन्हीं प्राचीन खमेर लोगों के वंशज हैं। ये 9वीं से 15वीं सदी तक पूरे मुख्य दक्षिण-पूर्वी एशिया (जिसमें आज का थाईलैंड, जिसे पहले स्याम कहा जाता था ) पर राज करते थे।

सीढ़ीदार रास्ता जाता है थाईलैंड सीमा तक 
इसमें 5 क्रूस के आकार के गोपुरम (प्रवेश द्वार मंडप) बने हुए हैं, जो बेहद खूबसूरत नक्काशी से सजाए गए हैं। हर गोपुरम के बीच में करीब 275 मीटर तक फैला खुला मैदान है। पार्किंग से आपको पहाड़ी पर चढ़ना होगा, जहां सबसे उत्तर में स्थित गोपुरम 5 अब गिर चुका है और खंडहर में बदल चुका है। यहीं से एक भव्य सीढ़ीदार रास्ता नीचे थाईलैंड की सीमा की ओर जाता है।

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मैदान से दिखता है कंबोडिया 
गोपुरा 5 से ढलान पर दक्षिण दिशा में चढ़ते हुए अगला मंडप जो सामने आता है, वह गोपुरा 4 है। इसके दक्षिणी दरवाजे के ऊपर बने शिखर पर समुद्र मंथन की एक शुरूआती कलाकृति देखी जा सकती है, यही नजारा बाद में अंगकोर वाट में भव्य रूप से उकेरा गया था। हालांकि, बीच में बना मंदिर अब सिर्फ पत्थरों का ढेर बनकर रह गया है। मंदिर के बाहर की चट्टान से आप कम्बोडिया के उत्तरी मैदानों का शानदार नजारा देख सकते हैं, और दूर आपको पवित्र पहाड़ी फ्नोम कुलन (487 मीटर ऊंची) दिखाई देगी। 

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