चांदना के पास बड़ी जिम्मेदारी, तनाव में आकर किया होगा ट्वीट: गहलोत

चांदना के इस्तीफे की पेशकश के बाद बोले गहलोत: चांदना पर काम का भार है, वो टेंशन में आ गए हो, कोई कमेंट कर दिया हो, उसको गंभीरता से नहीं लेना चाहिए

चांदना के पास बड़ी जिम्मेदारी, तनाव में आकर किया होगा ट्वीट: गहलोत

जयपुर: मंत्री अशोक चांदना के ट्वीट वाले बयान पर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि उनके पास बड़ी जिम्मेदारी है, इसलिए वह तनाव में आ गए होंगे। तनाव में ही ट्वीट कर दिया होगा। मेरी उनसे बात नहीं हुई उनसे बात करके उन्हें मना लेंगे।

जयपुर। खेल मंत्री अशोक चांदना के इस्तीफे की पेशकश के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि खेल विभाग की बजट घोषणा को पूरा करने में  उन पर इतना बड़ा भार उनके ऊपर आया हुआ है, हो सकता है कि वो टेंशन में आ गए हो, कोई कमेंट कर दिया हो, ज्यादा उसको गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, उनसे बातचीत करेंगे, अभी पता नहीं, अभी मेरी बातचीत भी उनसे नहीं हुई है, होगी तो देख लेंगे, वो दबाव में काम कर रहे दिखते है।

गहलोत शुक्रवार को रामनिवास बाग में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नहेरु को पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। पत्रकारों की ओर से अशोक चांदना के इस्तीफे की पेशकश  को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में  गहलोत ने कहा कि मुझे लगता है कि अभी अशोक चांदना ने पिछली बार जो किया था, स्टेट लेवल का प्रोग्राम बहुत बड़ा प्रोग्राम था, शानदार प्रोग्राम था वो स्टेट स्पोर्ट्स का, उसी प्रकार से अब एक प्रोग्राम बहुत बड़ा होने जा रहा है ग्रामीण ओलंपिक, हिंदुस्तान में पहली बार राजस्थान में जो बजट घोषणाएं हैं, बजट घोषणा को करने का जो अभियान चल रहा है, वो इतिहास बनाएगा, करीब 30 लाख से ज्यादा लोग गांव-गांव में खेलेंगे, चाहे कबड्डी हो, वॉलीबॉल हो, जो भी खो-खो हो, तो इतना बड़ा भार उनके ऊपर आया हुआ है, हो सकता है कि वो टेंशन में आ गए हो, कोई कमेंट कर दिया हो, ज्यादा उसको गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, उनसे बातचीत करेंगे, अभी पता नहीं, अभी मेरी बातचीत भी उनसे नहीं हुई है, होगी तो देख लेंगे, वो दबाव में काम कर रहे दिखते है, इतनी बड़ी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई है, जब बात होगी तो देख लेंगे।

नेहरू का आधुनिक भारत में बड़ा योगदान
गहलोत ने कहा कि पंडित नेहरू  का जो विजन था, वो दूरदृष्टा थे, आज जो आधुनिक भारत है, उसमें उनके विजन का बहुत बड़ा योगदान है, उन्होंने आजादी के बाद से ही वो निर्णय किए जो आज सबके सामने हैं, चाहे वो साइंस से संबंधित हों, कृषि से संबंधित हों, हेल्थ से संबंधित हों, स्वास्थ्य से संबंधित हों, हर क्षेत्र में उन्होंने बड़े-बड़े बांध, बड़े-बड़े कल-कारखाने, बड़ी-बड़ी साइंटिफिक संस्थाएं बनाईं, एम्स जैसी इंस्टीट्यूट बनाई, प्लानिंग कमीशन बनाया, दुनिया में उनका एक अलग तरह का ऑरा था, सम्मान था पूरे मुल्क के, दुनिया के अंदर। पंचशील के सिद्धांत वो लेकर आए, तो वो बहुत बड़े मानवतावादी थे जिन्होंने 10-12 साल तो जेल में बिताए हैं उस जमाने के अंदर, आजादी की जंग के अंदर और प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में उनका योगदान कोई भूल नहीं सकता है। जरूरत इस बात की है उनकी जो सोच थी, वो वर्तमान नई पीढ़ी तक पहुंचे, जिसकी कमी महसूस की जा रही है, उसमें हम सबकी गलती है। जिस रूप में लगातार उनके विजन को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम करना चाहिए था, वो हम नहीं कर पाए, उससे कई बार भटकाव भी होता है। जेल में रहकर जो उन्होंने जो पुस्तकें लिखी हैं या जेल के बाहर जो लिखी हैं, विश्व इतिहास की झलक, भारत एक खोज, ये आज भी मौजूं है और जो विद्वान लोग हैं, साहित्यकार हैं, पत्रकार हैं, उनके जेहन में आज भी वो बातें हैं जो उसमें लिखी हुई हैं, उनके टीवी सीरियल बने हैं, पूरे मुल्क ने देखा भी है, कोई जमाना था। इसलिए वो महान हस्ती का जब दिन आता है, चाहे जन्मदिवस हो, तो बाल दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं, आजादी के बाद से ही उनके जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, पुण्यतिथि पर लोग याद करते है, उनके विजन को। इसलिए आज जब हम आते हैं तो मन में संकल्प लेते हैं कि कैसे जो उन्होंने शांति का, भाईचारे का, प्यार का, मोहब्बत का जो संदेश दिया था देशवासियों को, उस पर हम लोग आगे बढ़ें, देश में प्रदेश में सभी धर्म, सभी जाति, सभी वर्ग और सभी कार्यकर्ता राजनीतिक हों, सामाजिक हों, सब मिलकर प्यार से, भाईचारे से रहें और शांति कायम रहे, ये हमारा संकल्प होता है हमेशा।

यह था मामला

चांदना ने देर रात ट्वीट किया कि माननीय मुख्यमंत्री मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है कि मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज प्रमुख सचिव को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वो ही सभी विभागों के मंत्री हैं। चांदना के इस ट्वीट के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।

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