किसानों को फल व छायादार पेड़ों का मिला मुआवजा

किसानों के संघर्ष की हुई जीत, तीन गांवों के किसानों को सत्तर लाख रुपए का अवॉर्ड जारी, दैनिक नवज्योति ने लगातार समाचार प्रकाशित कर प्रमुखता के साथ उठाया था मामला

किसानों को फल व छायादार पेड़ों का मिला मुआवजा

दैनिक नवज्योति के लगातार प्रयास रंग लाए। बार बार किसानों की गंभीर समस्या पर सरकार का ध्यान आकर्षण करते रहने से तीन साल तक चले लंबे संघर्ष के बाद रामगंजमंडी अवाप्ति अधिकारी ने अरनिया कलां, गोला व बाशाखेड़ी के फल व छायादार किसानों के मुआवजे की राशि जारी कर दी है। दैनिक नवज्योति ने लगातार समाचार प्रकाशित कर किसानों की इस समस्या को प्रमुखता के साथ उठाया था।

रामगंजमंडी। दैनिक नवज्योति के लगातार प्रयास रंग लाए। बार बार किसानों की गंभीर समस्या पर सरकार का ध्यान आकर्षण करते रहने से तीन साल तक चले लंबे संघर्ष के बाद रामगंजमंडी अवाप्ति अधिकारी ने अरनिया कलां, गोला व बाशाखेड़ी के फल व छायादार किसानों के मुआवजे की राशि जारी कर दी है। दैनिक नवज्योति ने लगातार समाचार प्रकाशित कर किसानों की इस समस्या को प्रमुखता के साथ उठाया था।

जानकारी के अनुसार दरा-झालावाड़ एनएच 52 के छह लेन सड़क मार्ग पर पिछले 3 साल से चल रहे किसानों के फल व छायादार पेड़ों के मुआवजा विवाद में किसानों ने लंबी लड़ाई लड़ी। गुरूवार को अवाप्ति अधिकारी रामगंजमंडी ने तीन गांवों अरनिया कला, गोला, बाशाखेड़ी  गांवों के किसानों के 161 छायादार पेड़ों का 1581544 रूपया एवं 67 फलदार वृक्षों के 54 लाख 5 हजार 508 रुपए कुल 228 छूटे हुए पौधों का 69 लाख 87 हजार 52 रूपए का अवार्ड जारी कर दिया। वर्ष 2017-18 में यहां सड़क निर्माण के लिए भूमि अवाप्त की गई थी। लेकिन किसान कृषि भूमि की मुआवजा दर से संतुष्ट नहीं थे और अरनिया कलां, बास्याहेडी व गोला के किसानों के असंतोष के कारण सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया था।

वर्ष 2019 में उपखंड अधिकारी चिमनलाल मीणा, परियोजना निदेशक पटेल कंपनी, तहसीलदार एवं किसानों की संयुक्त बैठक में आपसी समझाइश से यह तय हुआ था कि जमीन की दर कोर्ट से तय करवा ली जाए। छूटे हुए पौधों का पुन: सर्वे करवाकर किसानों को मुआवजा दे दिया जाए। जिस पर दोनों पक्ष सहमत हुए और एसडीओ रामगंजमंडी द्वारा गठित टीम ने सर्वे कर किसानों के छूटे हुए पौधों की सूची तैयार कर ली। किसानों को इस सूची के अनुसार पौधों का मुआवजा देने के लिए आश्वस्त किया। जिस पर किसानों ने सहमति जता दी। पिछले एक डेढ़ वर्ष से बंद पड़ा सड़क निर्माण का कार्य वर्ष 2019 में चालू हो गया। निर्माण कार्य शुरू होने के बाद निर्माण एजेंसी ने मशीनें लगाकर सारे पौधे तोड़ दिए। मिट्टी खोदकर गिट्टी की  कुटाई कर दी और 2 माह में सड़क को जमीन लेवल से 4 से 6 फीट ऊपर उठा दिया। अपना काम निकल जाने के बाद निर्माण विभाग ने किसानों को मौके पर पेड़ नहीं होने की बात कहकर मुआवजा देने से इंकार कर दिया। किसानों ने बहुत हाथ-पैर मारे लेकिन तब उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।

इस सम्बंध में दैनिक नवज्योति ने बार बार समाचार प्रकाशित करके सरकार का ध्यान किसानों की इस समस्या की ओर आकर्षित किया। भाजपा नेता वीरेंद्र जैन ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विधायक मदन दिलावर एवं सभी उच्च अधिकारियों से संपर्क कर मामले को दोबारा उठाया और किसानों को न्याय दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया। हर जगह किसानों का पक्ष मजबूती के साथ रखा। तब अधिकारियों ने किसानों से किए वादे को पूरा कर मुआवजा देने पर सहमति दी। इस पूरी कवायद के बाद कार्यवाही आगे बढ़ी और पूरे मामले की पुन: समीक्षा की गई। तहसीलदार रामगंजमंडी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। जिसने वेरीफिकेशन रिपोर्ट तैयार की और सैद्धांतिक सहमति देते हुए माना कि मौके पर किसानों के पेड़ थे। जिनको निर्माण एजेंसी ने आनन-फानन में उखाड़ा है। किसानों से पौधों के शपथ पत्र देकर मूल्यांकन के लिए भेजे गए छायादार पेड़ों की रिपोर्ट वन विभाग और फलदार पेड़ों की मूल्यांकन रिपोर्ट फलोद्यान विभाग ने तैयार कर प्रस्तुत की। जिससे किसानों के पौधों का मुआवजा अवार्ड बनने की कार्यवाही पूर्ण हो सकी।

डेढ वर्ष तक शुरू नहीं हो पाया निर्माण कार्य 
किसानों के विरोध के कारण निर्माण एजेंसी 3 गांवों में डेढ़ वर्ष तक सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पाई। उपखंड कार्यालय द्वारा किसानों को समझा कर सहमत किए जाने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू हो पाया। लेकिन अपना काम बनते ही निर्माण एजेंसी ने किसानों की तरफ से मुंह फेर लिया और अपने वादे से मुकर गई। 3 से 4 साल तक चले इस विवाद के दौरान 5 उपखंड अधिकारी बदले, जिनमें तीन आईएएस थे।

अधिकारियों ने भी दिया किसानों का साथ
इन सभी पांचों अधिकारियों ने मजबूती से किसानों का साथ दिया और माना कि किसानों की कोई गलती नहीं है। भाजपा प्रदेश कार्य समिति के पूर्व सदस्य वीरेंद्र जैन ने कहा कि यह सच्चाई की जीत है। किसानों को उनका हक मिला है। यह संघर्ष किसानों में आत्मविश्वास पैदा करेगा।

इन्होंने दिया साथ
वीरेंद्र जैन ने बताया कि किसानों के हित की इस लड़ाई में सहयोगी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विधायक मदन दिलावर, तत्कालीन उपखंड अधिकारी चिमनलाल मीणा,  देशलदान, कनिष्क कटारिया, राजेश डागा और दैनिक नवज्योति के सहयोग के बिना यह सफलता संभव नहीं थी।

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