लापरवाही की आग

लापरवाही की आग

महाराष्ट्र के अहमद नगर में शनिवार को एक सरकारी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में आग लगने से ग्यारह कोविड मरीजों की मौत हो गई और एक व्यक्ति गंभीर रूप से जख्मी हो गया

महाराष्ट्र के अहमद नगर में शनिवार को एक सरकारी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में आग लगने से ग्यारह कोविड मरीजों की मौत हो गई और एक व्यक्ति गंभीर रूप से जख्मी हो गया। वार्ड में बीस मरीजों का इलाज चल रहा था। आग लगने का एक बार फिर वही शार्ट सर्किट को ही कारण बताया जा रहा है। अधिकांश ऐसी घटनाओं में यही एक कारण बार-बार बताया जाता है। लेकिन शार्ट सर्किट आखिर लापरवाही की ही वजह होती है। अस्पतालों, होटलों व अन्य व्यावसायिक संस्थानों, घरों व दुकानों में आग के दर्जनों हादसे होते हैं, लेकिन कभी इस समस्या का पुख्ता समाधान निकालने के प्रयास नहीं किए जाते। सवाल है कि ज्यादातर आग की घटनाएं अस्पतालों में ही क्यों होती हैं, उनमें सरकारी अस्पतालों में? अहमद नगर के अस्पताल में आग का हादसा सुबह ग्यारह बजे के करीब हुआ, तो अंदाज लगाया जा सकता है सारा स्टाफ ड्यूटी पर तैनात रहा होगा, उनमें बिजली कर्मचारी भी मौजूद रहे होंगे। जब ऐसे हादसे रात के समय होते हैं तो दलील दी जाती है कि कर्मचारी नींद में रहे होंगे या फिर कर्मचारियों की संख्या कम होने की बात कही जाती है। ऐसा तर्क अहमद नगर की घटना के बारे में नहीं दिया जा सकता, क्योंकि आग दिन में लगी है। जब भी ऐसे हादसे होते हैं तो जांच के आदेश सबसे पहले दिए जाते हैं और इस घटना की जांच के आदेश सबसे पहले हो गए। फिर संवेदना के साथ मुआवजे की घोषणा भी कर दी गई, जो हर ऐसे हादसों के बाद की जाती है। मगर सवाल है कि जिस लापरवाही की वजह से आग लगी और उससे 11 लोगों की मौत हो गई, उसकी भरपाई कैसे होगी। जिन परिवारों के परिजन बेवजह मारे गए उन्हें भविष्य में सहारा कैसे मिलेगा? सरकारी अस्पतालों की हालत को सारा देश जानता है। संसाधनों का अभाव सेवाभाव में कमी, कर्मचारियों की मनमानी, रख-रखाव में लापरवाही आदि आम है। पैसे वाले लोग तो इन अस्पतालों में जाते ही नहीं, लेकिन गरीब आदमी को मजबूरन सरकारी अस्पतालों में ही इलाज को जाना पड़ता है। अहम नगर की घटना कोई पहली नहीं। इससे पहले भी महाराष्ट्र के कई अस्पतालों में इसी साल आग लगने की घटनाएं घटित हो चुकी हैं। नासिक व भण्डारा की घटनाओं में कुल मिलाकर 50 लोगों की जानें जा चुकी हैं। हैरानी की बात है कि फिर भी महाराष्ट्र की सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा अन्यथा अहमद नगर की घटना नहीं होती।

 

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