राजस्थान को सरसों प्रदेश घोषित किया जाए: मोपा
तेल तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने पर होगा मंथन
देश में जितना तिलहन पैदा होता है या जितना तेल खाया जाता है उसका करीब पचास परसेंट तेल विदेश से आयात करना पड़ता है।
जयपुर। खाद्य तेल पर लागू सभी प्रकार के नियमों, कानूनों एवं विभिन्न करों पर विस्तृत चर्चा करने के लिए अखिल भारतीय रबी तिलहन सेमिनार के 43वें संस्करण का आगाज जयपुर में हो रहा है। सेमिनार का आयोजन मस्टर्ड आइल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (मोपा) द्वारा दी सेन्ट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर आयल इण्डस्ट्री एवं ट्रेड (कुईट) के तत्वाधान में किया जा रहा है। शनिवार को यह जानकारी बाबू लाल डाटा प्रेसीडेंट मोपा एवं कुईट ने दी। सरकार से बार-बार मांग करते रहे हैं कि सरकार राजस्थान को सरसों प्रदेश घोषित करें। पूरे हिंदुस्तान की करीब 40 से 45 प्रतिशत सरसों राजस्थान में पैदा होती है यह एक ऐसी पैदावार है जो सबसे कम पानी में पैदा हो जाती है। देश में जितना तिलहन पैदा होता है या जितना तेल खाया जाता है उसका करीब पचास परसेंट तेल विदेश से आयात करना पड़ता है। कुईट चेयरमैन सुरेश नागपाल, अनिल चतर चेयरमैन क्रॉप कमिटी एवं जॉइंट सेक्रेटरी मोपा और मोपा प्रवक्ता दीपक डाटा भी उपस्थित थे। सेमिनार की शुरुआत 11 मार्च को होगी यहां पर पधारे हुए प्रतिनिधियों का आपसी परिचय के साथ व्यापारिक पूछताछ भी होगी जो कि तिलहन उद्योग के विकास में सहायक होगी। सेमिनार के माध्यम से भारत सरकार एवं संबंधित राज्य सरकारों को तेल तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने, राष्ट्रीय तेल मिशन को सफल बनाने एवं आयात पर निर्भरता घटाने के लिए सुझाव प्रेषित किए जाते हैं।
साथ ही सरकारों को सेमिनार के माध्यम से यह भी बताते है कि कौन-कौन से नियम, कानून एवं कर किसानों, उत्पादकों, व्यापारियों एवं श्रमिकों के हित में नहीं है। केन्द्रीय राज्यमंत्री उपभोक्ता मामलात भारत सरकार साध्वी निरंजन ज्योति और उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुन्तला रावत अतिथि के रूप शामिल होंगे।
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