जाने राजकाज में क्या है खास

जाने राजकाज में क्या है खास

सूबे में इन दिनों फील्ड वर्क एंड पब्लिक कॉन्ट्रेक्ट की चर्चा जोरों पर है। हो भी क्यों ना, जब से भगवा वाले एक खेमे के लोगों को फील्ड में जाकर पब्लिक से कॉन्ट्रेक्ट करने का संकेत मिला है, तब से ही सामने वाले खेमे के लोगों में बेचैनी है।

फील्ड वर्क एंड पब्लिक कॉन्ट्रेक्ट 
सूबे में इन दिनों फील्ड वर्क एंड पब्लिक कॉन्ट्रेक्ट की चर्चा जोरों पर है। हो भी क्यों ना, जब से भगवा वाले एक खेमे के लोगों को फील्ड में जाकर पब्लिक से कॉन्ट्रेक्ट करने का संकेत मिला है, तब से ही सामने वाले खेमे के लोगों में बेचैनी है। सरदार पटेल मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर चर्चा है कि सालासर वाले बालाजी के चरणों में वंदना करने के बाद टीम के हार्ड कोर वर्कर्स को फील्ड में जाने के मिले संकेतों के पीछे कोई न कोई गहरा राज छिपा है, जिसके अप्रैल तक पंचों की जाजम पर आने की उम्मीद है। इन संकेतों को समझकर कई भाई लोग अभी से उछलकूद करने लगे हैं, बाकी समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी हैं।

चर्चा में हिडन एजेण्डा
पॉलिटिक्स में हिडन एजेण्डा ऐसा होता है, जिसे पूरा करने के लिए लीडर अपनी अर्द्धांगिनी तक को सुराग नहीं लगने देते। कई लीडर अपने हिडन एजेण्डे के लिए खास को ही बलि का बकरा बनाने में न तो आगा सोचते हैं और न ही पीछा। अब देखो ना, गुजरे जमाने में भारती भवन में  हुए चिंतन-मंथन में वृश्चिक राशि वाले भाई साहब के भाग्योदय को लेकर एक भाईसाहब का मुंह खुला तो, कन्या और मीन राशि वाले बंधुओं के पेट में आफरा आना ही था। उनको न तो भोजन हजम हो पा रहा था और नहीं दूध का गिलास पच पा रहा था। अपना आफरा उतारने के लिए बीवीजी फार्मेसी में बनी गोली का सहारा लिया, तब जाकर पार पड़ी। अब चिंतन-मंथन में कन्या राशि वाले भाईसाहब ही हिडन एजेण्डे में हैं।

गणित में उलझे पंडितजी
सूबे में पंडितों का भी कोई सानी नहीं है। बिना पूछे ही हर किसी का भाग्य बताने में कोई कंजूसी नहीं करते हैं। और तो और जोड़-गुणा और भाग-बाकी करके सामने वाले के दिमाग में अपनी बात फिट करके ही दम लेते हैं। अब देखो ना, इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर सालों से आने वाले पंडितजी ने शनि को जो कुछ बताया, उसको लेकर खुसरफुसर भी खूब हुई। पंचांग देख कर पंडितजी ने मुंह खोला कि सूबे में होने वाली चुनाव जंग में नए दल की संभावनाओं के बीच चतुर्कोणीय मुकाबले में जोधपुर वाले अशोकजी भाईसाहब को नुकसान कम फायदा ज्यादा है। इन्हीं तर्कों से भाईसाहब ने भी गवर्नर्मेंट रिपीट के लिए आलाकमान को भी पूरी तरह कन्विंस कर रखा है। 

बाबा और मन की बात
सूबे की सबसे बड़ी पंचायत के सरपंच साहब को लेकर सदन की दोनों लॉबियों में चर्चा जोरों पर है। हो भी क्यों ना श्रीनाथ जी के द्वार से आने वाले सरपंच साहब ने कइयों की हेकड़ी जो निकाल दी। सरपंच साहब जब अपनी पर आते हैं, तो वे यह नहीं देखते की सामने वाला कौन है। अपने आप को धुरंधर समझने वाले भी उनके लपेटे में आ चुके हैं। सरपंच साहब ने एक बार जो फरमान जारी कर दिया, उसे वापस कराने के लिए ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगाने पर भी पार नहीं पड़ती। सबकी मन की जानने वाले साहब के इस अक्खड़पन से ना पक्ष लॉबी वाले दिखावे के लिए ऊछलकूद जरूर करते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर खुश हैं, चूंकि साहब के लपेटे में आने वाले राज के भोपे भी पानी पिए बिना रह रहते। दोनों लॉबियों में भी चर्चा है कि बाबा ने अपने मन से सिस्टम किया है, उसके रिजल्ट भी दूर से ही दिखाई देने लगे हैं। 

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एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं, बल्कि ब्यूरोक्रेसी से ताल्लुक रखता है। इस जुमले को जयपुर से दिल्ली तक चटकारे लेकर सुनाया जा रहा है। जुमला है कि सूबे के ब्यूरोक्रेट्स भी इस बार अपना रुख स्पष्ट नहीं कर पा रहे, अभी तक जादूगरी जी के राज के पक्ष में हैं। तभी तो हवा भांपने में एक्सपर्ट ब्यूरोक्रेट्स ने अपना मुंह बंद कर रखा है। ब्यूरोक्रेसी भी रिजर्व केटेगरी के हाथों में है और अनरिजर्व केटेगरी वाले पहले दिल्ली की तरफ मुंह कर चुके हैं, जो यहां हैं, वे बेचारे मौन हैं।

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-एल. एल शर्मा
    

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